अब अंतरिक्ष में हथियार तैनात करने की लगी होड़
दुनिया के थानेदार अमरीका की थानेदारी पर अब संकट के बादल मंडराने लगे हैं। इस नज़रिए से उसे कभी रूस की चुनौती मिल रही है तो कभी चीन की, कभी भारत ताल ठोक देता है तो कभी यूरोपीय संघ और कभी कभार ईरान व उत्तरी कोरिया जैसे सनकी देश भी। यही वजह है कि अमरीकी प्रशासन की चिंता बढ़ चुकी है। इस लिहाज से कभी वह रूस को पटाने की कोशिश करता है तो कभी चीन को। वहीं उसके साथ भारत जो शातिराना खेल खेल रहा है, उस चक्रव्यूह में अमरीका दिन-प्रतिदिन उलझता जा रहा है।
देखा जाए तो इराक में जो अमरीकी रणनीति को सफलता मिली, वह अफगानिस्तान में नहीं मिली, वहीं ईरान में भी वह औंधे मुंह गिरेगा, क्योंकि उसे रूस और चीन का समर्थन हासिल है। यही वजह है कि कभी दुनिया को युद्ध और संघर्ष बांटने वाला अमरीका अब कथित शांति की बात कर रहा है। अमरीका देर-सबेर सबके निशाने पर आएगा और इसी से अपनी सुरक्षा पुख्ता करने के लिए अमरीकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रम्प ने एक ऐतिहासिक घोषणा करनी पड़ी। जैसा कि देश के 40वें दूरदर्शी राष्ट्रपति रोनाल्ड रीगन का जिक्र करते हुए उन्होंने कहा कि मिसाइल हमले से बचाव के लिए यह तकनीक पहले उपलब्ध नहीं थी, इसलिए अपनी सोच समझ के मुताबिक रीगन साहिब ऐसा नहीं कर पाए लेकिन उनके यशस्वी उत्तराधिकारी के रूप में वह यह ऐतिहासिक घोषणा कर रहे हैं कि अब अमरीका ‘गोल्डन डोम मिसाइल डिफैंस शील्ड’ की मदद से विदेशी मिसाइल हमलों से अपना बचाव करेगा। जिसकी लागत 175 बिलियन डॉलर आएगी। समझा जाता है कि यह तकनीक इज़रायल की मिसाइल प्रतिरक्षा प्रणाली आयरन डोम से भी उन्नत तकनीकी होगी, जो ज़मीन के अलावा अंतरिक्ष तक फैली होगी। यह योजना अमरीका की पहली ऐसी प्रणाली होगी जिसमें अंतरिक्ष में हथियार तैनात किए जाएंगे। अमरीकी प्रशासन से मिली जानकारी के मुताबिक पूरे गोल्डन डोम प्रोजेक्ट की लागत लगभग 175 अरब डॉलर है। सिर्फ अंतरिक्ष आधारित हिस्से की अनुमानित लागत 542 अरब डॉलर (20 वर्षों में) है। वहीं ट्रम्प ने प्रारंभिक खर्च के लिए 25 अरब डॉलर की मांग की है जो कि उनके प्रस्तावित टैक्स बिल में शामिल है।
उल्लेखनीय है कि गोल्डन डोम एक बहु-स्तरीय रक्षा प्रणाली है जिसका उद्देश्य मिसाइलों को चार अलग-अलग चरणों में रोकना है। इस योजना का सबसे नया और विवादास्पद पहलू यह है कि इसमें अंतरिक्ष में हथियार तैनात किए जाएंगे, जिससे मिसाइलों को उनकी उड़ान के किसी भी चरण में रोका जा सकेगा। चाहे वे अंतरिक्ष से ही क्यों न दागी गई हों। पहला, लॉन्च से पहले ही उन्हें नष्ट करना। दूसरा, उड़ान की शुरुआत में रोकन। तीसरा, मध्य आकाश में मिसाइल को गिराना और चतुर्थ, लक्ष्य पर गिरने से ठीक पहले खत्म करना। यदि यह प्रणाली सफल होती है तो पुन: अमरीका अजेय हो जाएगा।
शायद इसलिए डोनाल्ड ट्रम्प ने व्हाइट हाउस के ओवल कार्यालय से ऐलान करते हुए कहा कि वह चाहते हैं कि 2029 तक यह प्रणाली पूरी तरह चालू हो जाए, यानी उनके कार्यकाल के अंत तक। हालांकि अमरीकी रक्षा अधिकारियों का मानना है कि इतनी जटिल प्रणाली उस समय तक केवल प्रारंभिक रूप से कार्य करने योग्य हो सकती है। यही वजह है कि इस परियोजना की निगरानी के लिए ट्रम्प ने जनरल माइकल ग्वेटलाइन को ज़िम्मेदारी सौंपी है। वह वर्तमान में स्पेस ऑपरेशन्स के उप प्रमुख हैं।
सवाल है कि आखिर अमरीका के लिए गोल्डन डोम क्यों जरूरी है? तो जवाब स्पष्ट है कि अमरीकी रक्षा विभाग ‘पेंटागन’ काफी लंबे समय से अपने मुखिया को यह चेतावनी देता आ रहा है कि नए तकनीकी दौर में चीन और रूस की मिसाइलें इतनी अधिक उन्नत हो गई हैं कि अब पारम्परिक मिसाइल रक्षा प्रणाली से काम नहीं चलेगा। यही वजह है कि अब अमरीका अंतरिक्ष से ही मिसाइलों को पहचानने और नष्ट करने की योजना पर काम कर रहा है। चूंकि चीन और रूस ने अंतरिक्ष में ऐसे सैटेलाइट तैनात कर दिए हैं जो अमरीकी सैटेलाइट्स को निष्क्रिय कर सकते हैं। ऐसे में अमरीका की चिंता बढ़ना स्वाभाविक है।
वहीं, रूस एक ऐसा परमाणु हथियार विकसित कर रहा है जो अंतरिक्ष में मंडरा सकता है और समय आने पर आसपास के सैटेलाइट्स को नष्ट कर सकता है। इसलिए अमरीका हमेशा चौकन्ना रहता है। बता दें कि अमरीका के पास पहले से ही कई मिसाइल रक्षा प्रणालियां हैं—जैसे, पैट्रियट मिसाइल सिस्टम, जिसे यक्रेन में इस्तेमाल किया जा रहा है। सैटेलाइट नेटवर्क, जो मिसाइल लॉन्च का पता लगाने में सक्षम है। लिहाजा इनमें से कुछ प्रणालियों को गोल्डन डोम में शामिल किया जाएगा। बता दें कि ट्रम्प ने राष्ट्रपति बनने के पहले ही हफ्ते में एक कार्यकारी आदेश जारी कर अंतरिक्ष आधारित इंटरसेप्टर प्रणाली विकसित करने के निर्देश दिए थे। हालांकि अब वह अपनी इस योजना को गति देने के लिए बेताब दिखाई दे रहे हैं। यह दुनिया के युद्ध और प्रतिरक्षा रणनीतिकारों के लिए किसी नई चुनौती से कम नहीं है। वहीं राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रम्प द्वारा नए अमरीकी प्रतिरक्षा कवच ‘गोल्डन डोम’ के ऐलान के अंतर्राष्ट्रीय मायने को समझना सजग देश-दुनिया के लिए ज़रूरी है ताकि इसकी भी अगली काट ढूंढी जा सके।