मालवा से जुड़ेगा मोहाली-राजपुरा रेल मार्ग
केन्द्रीय रेलवे की ओर से पंजाब के राजपुरा से मोहाली तक रेल सम्पर्क-पथ बनाये जाने की मंजूरी दिये जाने की घोषणा नि:संदेह पंजाब के लिए एक बड़ी और लाभकारी परियोजना सिद्ध हो सकती है। पंजाब के हित में तैयार की गई इस परियोजना के लिए प्राथमिक चरण पर 202.99 करोड़ रुपए की राशि जारी भी कर दी गई है। 24 किलोमीटर की इस परियोजना सीमांत छोर मालवा तक की सीमाओं को छूते हैं और कि इसके ज़रिये चंडीगढ़ रेलवे लिंक अम्बाला छावनी के माध्यम से राजपुरा-पटियाला से जुड़ जाएगा। पंजाब के 23 में से 15 ज़िले मालवा में आते हैं, तथा मालवा की सीमा हरियाणा-राजस्थान से जुड़ जाती है। इस परियोजना के पूर्ण हो जाने पर मालवा और हरियाणा-राजस्थान के हज़ारों लोगों को रेल यात्रा-सुविधा का लाभ मिलने की बड़ी सम्भावनाएं हैं। इस परियोजना का महत्त्व इस कारण से और बढ़ जाता है, कि इसकी घोषणा विधिवत रूप से केन्द्रीय रेलवे राज्य मंत्री रवनीत सिंह बिट्टू ने की है। इस परियोजना के पूर्ण होने की अवधि दो वर्ष तय की गई है, हालांकि यह सम्भावना अवश्य दिखाई देती है, कि इस पूर्णाविधि की सीमा बढ़ सकती है क्योंकि ऐसी बड़ी परियोजनाएं अक्सर तय अवधि से आगे निकल जाया करती हैं। यूं भी इस परियोजना हेतु निरीक्षण किए जाने की घोषणा पूरे पांच दशक पूर्व 1979 में हुई थी। इस बीच केन्द्र-पंजाब संबंधों के दौरान अनेक उतार-चढ़ाव आते रहे, किन्तु इस परियोजना पर पड़ी धूल की परतें एक के ऊपर एक, चढ़ते चली गईं। अब 2025 में इस परियोजना की फाईल पर पड़ी धूल हटी है, तो आशा की जानी चाहिए, कि यह परियोजना अब किसी एक आगामी दिन पूर्ण होकर सामने आ सकती है।
इस परियोजना की एक नई और खास बात यह सामने आई है कि पूर्व में लिए गए फैसले के तहत परियोजना पर आने वाले खर्च को केन्द्र और प्रदेश, दोनों सरकारों की ओर से समान रूप से वहन किया जाना था, किन्तु मौजूदा निर्णय के अनुसार इस परियोजना का पूरा खर्च केन्द्र सरकार उठाएगी, और इसीलिए सम्भवत: पहले चरण पर केन्द्र सरकार ने लगभग 203 करोड़ रुपए की राशि जारी भी कर दी है। अब तक स्थिति यह थी कि चंडीगढ़-राजपुरा के बीच सीधा रेल सम्पर्क नहीं होने से मालवा का चंडीगढ़ से प्रत्यक्ष सम्पर्क संबंध नहीं बनता था। यह एक बड़ी त्रुटि मानी जाती रही है, किन्तु पिछले पचास वर्षों में केन्द्र और पंजाब के बीच अनेक सरकारें बदलते जाने के बावजूद इस परियोजना पर काम आगे नहीं बढ़ पा रहा था। अब चूंकि रेल मंत्री रवनीत सिंह बिट्टू का संबंध प्रत्यक्ष पंजाब के साथ है, और रवनीत सिंह बिट्टू ने इस ओर अपनी रुचि का प्रदर्शन भी किया है, अत: पंजाब के हित में इस परियोजना के देर-सवेर अवश्य पूर्ण हो जाने की सम्भावना बलवती होती दिखाई देती है।
रेलवे के संदर्भ में पंजाब के साथ पहले सदैव सौतेला जैसा व्यवहार होता रहा है। पंजाब के लिए प्राय: अनेक योजनाओं-परियोजनाओं के प्रस्ताव तैयार किए जाते रहे हैं। कई बार योजनाएं मंजूरी भी की जाती रही हैं, किन्तु कालांतर में ऐसी सभी योजनाएं और परियोजनाएं पृष्ठभूमि में चली जाती रही हैं। वर्तमान में भी पंजाब में रेलवे की ओर से अनेक परियोजनाओं की घोषणा की गई है। हाल ही में फिरोज़पुर-पट्टी और तलवंडी साबो रेल लाईन की परियोजनाओं पर कार्य भी चल रहा है। अमृतसर से दिल्ली और अमृतसर से जम्मू के बीच भी परियोजना विस्तार का कार्य किया जा रहा है। इस प्रकार पंजाब में रेलवे की ओर से अनेक परियोजनाएं चल रही हैं। निकट भविष्य में इनमें से कई के पूर्ण हो जाने की भी बड़ी सम्भावना है।
तथापि, मौजूदा राजपुरा-मोहाली सम्पर्क रेल पथ पर कार्य तेज़ी से आगे बढ़ने की सम्भावना है क्योंकि केन्द्रीय रेलवे राज्य मंत्री रवनीत सिंह बिट्टू स्वयं इस मामले में रुचि ले रहे हैं। हम समझते हैं कि रेल राज्य मंत्री यदि निजी रुचि लेकर पंजाब में रेल परियोजनाओं को नियमित करने जा रहे हैं, तो प्रदेश में चल रही सभी परियोजनाओं की ओर समान रूप से ध्यान दिया जाना चाहिए। पहले यह होता आया है कि पंजाब में रेल-परियोजनाओं की स्थापना अथवा विस्तार कार्यों में बाकायदा एक बड़ा रेल माफिया अचड़नें डालते आया है। अब चूंकि रेल राज्य मंत्री स्वयं पंजाब से हैं, अत: पंजाब और पंजाबियों को आस बंधती है कि पंजाब रेलवे मानचित्र पर अपने अस्तित्व को उभारने में कामयाब हो सकेगा।