तौबा इस गूगल से

बलराम और अनुपम दोनों भाई पढ़ाई में बहुत अच्छे थे। बलराम नौवीं कक्षा में पढ़ता था और अनुपम दसवीं कक्षा का छात्र था। मेहनत तो दोनों काफी करते थे लेकिन अनुपम, बलराम से अधिक मेहनती था। इसलिए प्रत्येक कक्षा में अनुपम के अंक बलराम से अधिक आते थे। ट्यूशन की आनलाइन कक्षाएं लगने के का रण दोनों को मोबाइल फोन लेने पड़ गए थे। अनुपम मोबाइल का प्रयोग बहुत कम करता था, परंतु बलराम को मोबाइल फोन के प्रयोग की आदत बहुत ज्यादा पड़ गई थी। वह कभी-कभी तो अपने मम्मी पापा से झूठ बोलकर तथा आंख बचाकर अपना मोबाइल फोन स्कूल भी ले जाता था। उसके मामी पापा उसको कई बार समझा चुके थे कि मोबाइल फोन को अपनी ज़रूरत तो बनाओ, आदत नहीं, परन्तु वह उनकी नसीहत पर अमल बहुत कम करता था। उसने तो अपनी कक्षा के बच्चों की बातों में आकर पढ़ाई में भी मेहनत करने की बजाय गूगल का प्रयोग करना शुरू कर दिया था उसे जब भी किसी भी विषय में कोई मुश्किल आती तो वह उसका उत्तर पुस्तकों को पढ़कर ढूंढने, अपने अध्यापकों को पूछने की बजाए तुरंत उसका उत्तर गूगल पर ढूंढने लग पड़ता। धीरे-धीरे वह अभ्यास तथा मेहनत की बजाए गूगल के प्रयोग पर निर्भर होने लगा। उसके मम्मी पापा उसे गूगल के अधिक प्रयोग से बार-बार रोकते परंतु उनके समझाने का उस पर बहुत कम असर होता। 
एक दिन बलराम और अनुपम दोनों बैठे पढ़ रहे थे। अनुपम को विज्ञान विषय का कोई प्रश्न समझ नहीं आ रहा था। उसने बहुत कोशिश की लेकिन उसे प्रश्न का उत्तर पता नहीं चला स छुट्टी का दिन था। दूसरे दिन उसका विज्ञान के विषय का टैस्ट था। उसने अपने अध्यापक के घर जाकर उस प्रश्न को समझ लिया। उसके अध्यापक ने उसे कहा, बच्चे हर एक बच्चे को तुम्हारी तरह मेहनत करनी चाहिए। बलराम ने उसे कहा, भैया तुम्हें अपने अध्यापक के घर जाने की क्या आवश्यकता थी। तुम इस प्रश्न का उत्तर गूगल पर भी ढूंढ सकते थे। अनुपम ने आगे से उसे उत्तर दिया, भाई मुझे भी इस बात का पता है किन्तु तुम इस बात को नहीं जानते कि गूगल के प्रयोग से हमें अभ्यास और परिश्रम की आदत नहीं रहती। हमारे ज्ञान में आवश्यक वृद्धि नहीं होती। बलराम ने अनुपम की बातों को अधिक महत्व नहीं दिया। उनकी सितंबर की परीक्षा के बाद किसी संस्था ने बच्चों को छात्रवृति देने के लिए उनके विद्यालय में सामान्य ज्ञात का एक टेस्ट लिया। बलराम ने उस टेस्ट की तैयारी पुस्तकों से कम गूगल से अधिक की परन्तु अनुपम ने पुस्तकों को पढ़कर ही वह टेस्ट दिया। 
बलराम सितंबर की परीक्षा में अपनी कक्षा के अन्य मेधावी छात्रों से बहुत पीछे रह गया। सामान्य ज्ञात के टैस्ट में फेल हो गया। परन्तु अनुपम सितंबर की परीक्षा में दसवीं कक्षा के सभी सेक्शनों में तथा सामान्य ज्ञान के टेस्ट में भी अपने विद्यालय में प्रथम रहा। वह छात्रवृति के लिए चुना गया। विद्यालय के प्रधानाचार्य ने सुबह की प्रार्थना सभा में अनुपम को सभी बच्चों के सामने शाबाश देते हुए कहा, बच्चों अनुपम ने पढ़ाई में नहीं बल्कि सामान्य ज्ञान के टेस्ट में भी प्रथम आ कर बता दिया कि हमारे जीवन में मेहनत का क्या महत्व है। सभी बच्चों को ऐसे बच्चों से प्रेरणा लेती चाहिए। प्रधानाचार्य ने अनुपम को उसकी उपलब्धि के लिए सम्मानित भी किया। प्रधानाचार्य की बातें सुनकर बलराम की आंखें खुल चुकी थी। उसने घर आते ही अपने मम्मी पापा को आकर कहा कि मैं इस गूगल से तौबा करता हूं। मैं भी भैया की तरह गूगल से नहीं पुस्तकों से पढ़ाई करूंगा। बलराम के मम्मी पाप ने कहा, शाबाश बेटा तुम भी आज से इस गूगल को छोड़ कर अभ्यास और मेहनत करनी शुरू कर दो।

-माधव नगर नंगल टाउन शिप (पंजाब) 
मो. 98726 27136 

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