चारधाम यात्रा मार्ग पर छह सप्ताह में 5 हेलीकॉप्टर दुर्घटनाएं !
आर्यन एविएशन द्वारा चलाया जाने वाले बेल 407 हेलीकाप्टर ने 15 जून 2025 की सुबह 5:18 पर केदारनाथ से गुप्तकाशी के लिए उड़ान भरी, जोकि आमतौर से 10 मिनट की यात्रा है। चंद मिनट बाद ही यह हेलीकाप्टर गुप्तकाशी के निकट दुर्घटनाग्रस्त हो गया और इसमें सवार सभी 7 व्यक्तियों की मौत हो गई, जिनमें पांच तीर्थयात्री थे। मृतकों में जयपुर के रहने वाले 37 वर्षीय पायलट कैप्टन राजवीर सिंह चौहान भी हैं, जिन्होंने भारतीय सेना में लेफ्टिनेंट कर्नल के पद से रिटायर होने के बाद अक्तूबर 2024 में आर्यन एविएशन ज्वाइन की थी। उन्हें 2,000 से अधिक उड़ान घंटों का अनुभव था। वह अपने पीछे अपनी पत्नी (जो सेना में लेफ्टिनेंट कर्नल हैं) और चार माह के जुड़वा बच्चे छोड़ गये हैं। प्रारम्भिक जांच से मालूम होता है कि घने बादलों के कारण पायलट को कुछ दिखायी नहीं दिया और वह पहाड़ से टकरा गये। वैसे इस दुर्घटना के सही कारणों की जांच एयरक्राफ्ट एक्सीडेंट इन्वेस्टीगेशन ब्यूरो करेगा। रुद्रप्रयाग पुलिस ने आर्यन एविएशन के विरुद्ध मामला दर्ज किया है।
इस वर्ष की चारधाम यात्रा के दौरान यह दूसरी भयावह हेलीकाप्टर दुर्घटना है। इससे पहले 9 मई को गंगोत्री जा रहा हेलीकाप्टर गंगनानी के निकट दुर्घटनाग्रस्त हो गया था, जिसमें 6 लोगों की मौत हुई थी। इस तरह मृतकों की संख्या 13 हो गई है। बहरहाल, चारधाम यात्रा के दौरान पिछले छह सप्ताह बल्कि 39 दिनों के दौरान कुल पांच हेलीकाप्टर दुर्घटनाग्रस्त हुए हैं। दो घटनाओं का ऊपर ज़िक्र किया जा चुका है, शेष तीन इस प्रकार से हैं- 12 मई को हेलीकाप्टर तीर्थयात्रियों को सरसी से लेकर बद्रीनाथ लौट रहा था कि उसे उखीमठ के एक स्कूल के खेल के मैदान में इमरजेंसी लैंडिंग करनी पड़ी। 17 मई को एम्स ऋषिकेश की हेली-एम्बुलेंस केदारनाथ हेलीपैड के निकट दुर्घटनाग्रस्त हो गई, क्योंकि उसका पिछला हिस्सा खराब हो गया था। 7 जून को केदारनाथ जा रहे हेलीकाप्टर को सड़क पर ही इमरजेंसी लैंडिंग करनी पड़ी क्योंकि टेक-ऑ़फ करते ही उसमें तकनीकी खराबी आ गई और पायलट गंभीर रूप से घायल हो गया। बाद की तीनों घटनाओं में सौभाग्य से कोई हताहत तो नहीं हुआ, लेकिन ये घटनाएं चीख-चीखकर कह रही हैं कि चार धाम के तीर्थयात्रियों के लिए हेलीकाप्टर का सफर सुरक्षित बनाया जाये।
सवाल यह है कि चारधाम यात्रा के दौरान हेलीकाप्टर इतनी निरंतरता के साथ दुर्घटनाग्रस्त क्यों हो रहे हैं? इसके अनेक कारण हैं। केदारनाथ में न एयर ट्रैफिक कंट्रोल है, न राडार कवरेज है और न ही रियल टाइम में मौसम की मोनिटरिंग होती है, लेकिन इसके बावजूद यात्रा के दौरान रोज़ाना ही हेलीकाप्टर अंदर व बाहर उड़ान भरते हैं, दृश्य संकेत व रेडियो कॉल्स के भरोसे पर और वह भी भारत के सबसे खतरनाक वायु गलियारों में। दरअसल, उचित व सुरक्षित प्रबंध किये बिना ही तीर्थयात्रा को कमर्शियल कर दिया गया है ताकि अधिक से अधिक आर्थिक लाभ कमाया जा सके। चारधाम की यात्रा कठिन है। इसलिए पहले बहुत कम लोग जाया करते थे और वह भी पैदल, टट्टु या बुज़ुर्ग लोग स्थानीय गाइडो के कंधों पर सवार होकर यात्रा करते थे। अब हेलीकाप्टर सेवा शुरू होने के बाद लाखों लोग दर्शन के लिए जाने लगे हैं। इसलिए उनके लिए व्यवस्था तो अच्छी, स्तरीय व सुरक्षित होनी चाहिए, लेकिन इसी में ही लापरवाही बरती जा रही है।
आप कल्पना कीजिये कि इस अव्यवस्था में केदारनाथ के आसमान में हेलीकाप्टर की रोज़ाना 250-300 उड़ानें भरी जा रही थीं। इस मंडराते खतरे को मद्देनज़र रखते हुए पिछले सप्ताह डीजीसीए ने हस्तक्षेप किया और हेलीकाप्टर उड़ानें 9 प्रति घंटा तक सीमित कर दीं। अब रोज़ाना 152 उड़ानें भरी जा रही हैं और हालिया दुर्घटना को देखते हुए यह भी ज्यादा ही प्रतीत हो रही हैं। गौरतलब है कि जब ऐसी ही एक दुर्घटना 2022 में हुई थी तो सरकार द्वारा अनेक सुरक्षात्मक कदम उठाने की घोषणा की गई थी। तीन कैमरा लगाये गये, एक केदारनाथ प्रवेश पॉइंट पर, दूसरा रूद्र पॉइंट पर और तीसरा बेस कैंप पर, ताकि उड़ान भरने से पहले पायलट स्थितियों का मूल्यांकन कर लें। यूसीएडीए ने एयरवर्दीनेस ऑपरेटिंग सिस्टम भी लगाया ताकि उड़ानों की निगरानी की जा सके। लेकिन विशेषज्ञों का कहना है कि यह उपाय अंतर्राष्ट्रीय सुरक्षा नियमों के सामने न होने के बराबर हैं। 2022 की दुर्घटना में मरने वाले कैप्टन अनिल सिंह की विधवा रमणजीत सिंह का कहना है, ‘यह असामान्य दुर्घटनाएं नहीं हैं। मेरे पति को बिना राडार, बिना भू-स्थल नक्शे के, निरंतर बदलने वाले मौसम में उड़ान भरनी पड़ी थी। जब तक केदारनाथ को उचित एविएशन सिस्टम और सख्त एसओपी (स्टैण्डर्ड ऑपरेटिंग सिस्टम) नहीं मिलने का तब तक पायलट अंधेरे में ही उड़ान भरते रहेंगे और मरते रहेंगे।’
यूसीएडीए और आईएमडी के बीच केदारनाथ में मेट्रोलॉजिकल स्टेशन स्थापित करने का समझौता हुआ था, लेकिन वह लागू न हो सका, क्योंकि केदारनाथ में एटीसी (एयर ट्रैफिक कंट्रोल) नहीं है और आईएमडी एविएशन ग्रेड भविष्यवाणी सिर्फ उन्हीं जगह को दे सकती है, जिनका प्रबंधन भारत का एयरपोर्ट प्राधिकरण (एएआई) करता है।
पायलट मनोज शर्मा का कहना है कि केदारनाथ सेक्टर में वह नियमानुसार उड़ान नहीं भरते हैं बल्कि अपनी आंखों, हवा व सहज प्रवृत्ति पर भरोसा करके चलते हैं। वह बताते हैं, ‘हम दुनिया के सबसे खतरनाक क्षेत्र में उड़ान भर रहे हैं जहां रियल-टाइम वेदर सपोर्ट न के बराबर है। बिना दृश्य संकेत के पायलट सिर्फ अपने अनुमान पर उड़ान भरता है और वह भी ऐसे मौसम में जिसका कोई ठिकाना नहीं है कि निरंतर बदलता रहता है।’ यह सच्चाई अभी तक कॉकपिट में बैठे व्यक्ति ही जानते थे और अब छह सप्ताह में पांच दुर्घटनाओं के बाद पूरा देश जान चुका है। वैसे यह दुर्घटनाएं केवल इसी साल तक सीमित नहीं हैं। इनमें से कुछ प्रमुखों का ज़िक्र किया जाये तो 2022 में आर्यन एविएशन का हेलीकाप्टर केदारनाथ के निकट दुर्घटनाग्रस्त हुआ, जिसमें 7 लोग मारे गये। फिर 2023 में यूसीएडीए (उत्तराखंड सिविल एविएशन डेवलपमेंट अथॉरिटी) के वित्तीय नियंत्रक अमित सैनी की मौत टेल रोटर से टकराने के कारण हुई। इससे पहले 2013 में बाढ़ के दौरान राहत कार्य में लगा सेना का हेलीकाप्टर दुर्घटनाग्रस्त हो गया था और 20 लोगों की जान चली गई थी। यह सही है कि परिस्थितियां कठिन हैं, लेकिन चुनौती केवल यही नहीं है। समर्पित सुरक्षा व्यवस्था का अभाव है और तीर्थयात्रियों की संख्या में निरंतर वृद्धि होती जा रही है। एक पायलट का तो यहां तक कहना है कि जब तक सभी स्टेकहोल्डर्स- मालिक, पायलट, इंजिनियर्स, डीजीसीए व यूसीएडीए मिलकर सुरक्षा इन्तेज़ामों को चाकचौबंद नहीं करते हैं, तब तक यात्रा सीजन में हेलीकाप्टर सेवाओं पर विराम लगा देना चाहिए।
-इमेज रिफ्लेक्शन सेंटर