विनाशकारी होगा इज़रायल और ईरान का युद्ध

मध्य पूर्व में अब इज़रायल और ईरान के बीच युद्ध शुरू हो गया है। इज़रायल ने ईरान के परमाणु अनुसंधान केंद्रों के साथ-साथ सैन्य ठिकानों पर भी मिसाइलों के साथ हमले किये हैं, जिनमें ईरान के बड़े सैन्य जनरल और परमाणु निरीक्षण में लगे कई वैज्ञानिक मारे गये हैं। इसमें पश्चिम एशिया का यह तनाव 7 अक्तूबर, 2023 को उस घटना के साथ शुरू हुआ था, जिसमें गाज़ा पट्टी पर शासित हमास के लड़ाकों ने इज़रायल में घुसकर सैकड़ों लोगों को मार दिया था और हज़ार से अधिक लोगों को बंधक बनाकर वह गाज़ा पट्टी ले गये थे। उसके बाद गाज़ा पट्टी पर इज़रायल ने लगातार बमबारी करके हमास लड़ाकों के साथ-साथ बड़ी संख्या में आम लोग, जिनमें बच्चे और महिलाएं भी शामिल थीं को मार दिया था। अब तक आंकड़ों के अनुसार वहां 55,000 से ज्यादा लोग मारे जा चुके हैं।
इज़रायल द्वारा सभी ओर से गाज़ा पट्टी की घेराबंदी करने के कारण वहां दर-बदर भटक रहे शरणार्थियों के लिए खाद्य का संकट खड़ा हो गया है, इस पर दुनिया भर के देशों की कड़ी प्रतिक्रिया सामने आई है। यह बात पूरी तरह स्पष्ट है कि हमास संगठनों के साथ-साथ ईरान की ओर से लेबनान में हिजबुल्लाह लड़ाकों की भी पूरी-पूरी सहायता की जाती रही है, जो लगातार इज़रायली ठिकानों पर हमले कर रहे हैं। ईरान ने इज़रायल के अस्तित्व में आने के बाद ही इसको पूरी तरह खत्म करने के बयान दिये थे और इसके आस-पास लगातार घेराबंदी करने का भी यत्न किया था, जिस कारण इन दोनों की दुश्मनी पिछले 7 दशकों से बरकरार है। इज़रायल ने अमरीका और पश्चिम देशों की सहायता से मध्य पूर्व में अपनी शक्ति बनाई रखी है। पिछले लम्बे समय से कई अरब देशों की इसके साथ लड़ाई हुई, जिसमें उनको सफलता न मिल सकी। अंतत उन्होंने इज़रायल के अस्तित्व को मानते हुए इससे समझौते कर लिये।
ईरान पर इज़रायल द्वारा किये गए ताज़ा हमले संबंधी भी अरब देश बंटे हुए नज़र आते हैं। ईरान में बहुसंख्यक शिया मुसलमानों की है जबकि ज्यादातर अरब राष्ट्रों में सुन्नी मुसलमानों की जनसंख्या है। इन समुदायों का सदियों से टकराव चलता आया है। ईरान ने पिछले दशकों से अपनी परमाणु शक्ति को बढ़ाने के यत्न किए हैं। उसने प्राथमिक तकनीक अर्थात् जनरेशन सैंटीफ्यूजिज़ पाकिसान के परमाणु वैज्ञानिक ए.क्यू. खान से परोक्ष ढंग से प्राप्त किए थे। उसके बाद रूस ने भी ईरान की परमाणु कार्यक्रमों में सहायता की थी, परन्तु ईरान को परमाणु प्रौद्योगिकी हासिल करने से रोकने के लिए अमरीका के साथ-साथ वे अरब देश भी ईरान का विरोध करते रहे हैं, जिन्हें इससे खतरा महसूस होता रहा है।
इज़रायल इस संबंधी लगातार चिंतित रहा है कि ईरान यदि परमाणु शक्ति बन जाता है तो यह उसके अस्तित्व के लिए खतरा बन जाएगा। अमरीका के राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रम्प ने भी ईरान को इस संबंधी धमकियां दी थीं। इस मामले को लेकर दोनों देशों की कई बैठकें भी हो चुकी हैं, परन्तु ईरान ने इन बैठकों में अपने परमाणु कार्यक्रम को बंद करने का कोई वादा नहीं किया था। समाचारों के अनुसार अपने मिशन की सफलता के निकट अवश्य पहुंच गया है, जिसे देखते हुए इज़रायल ने एक बार फिर उस पर भीषण हमले शुरू कर दिए हैं। ईरान द्वारा भी इज़रायल पर लगातार मिसाइलें दागी जा रही हैं।
इससे पश्चिम एशिया एक बार फिर तबाही के कगार पर खड़ा दिखाई दे रहा है। इस क्षेत्र के दर्जन से अधिक देशों में कम से कम 8 देश विगत अढ़ाई दशकों से युद्ध या गृह-युद्ध का संकट झेल रहे हैं, जिसने वहां रहते करोड़ों लोगों का जीवन नरक बना दिया है। तेल तथा खनिजों से भरपूर इन देशों के ज़्यादातर हिस्से खंडहर बनते जा रहे हैं। पश्चिम एशिया में आज विश्व का लगभग 50 प्रतिशत तेल है, जिसमें ईरान की भी बड़ी हिस्सेदारी है, वह विश्व के सबसे बड़े तेल भंडारों वाले देशों में चौथा दर्जा रखता है। इसमें बेहद अमूल्य खनिज भंडार भी मौजूद हैं। इसके अस्थिर होने से भारत सहित विश्व भर में व्यापक स्तर पर प्रभाव पड़ेगा और इससे तेल की कीमतें भी आसमान छूने लगेंगी। आज भी भारत का अधिक दारोमदार तेल के आयात पर ही टिका हुआ है। नि:संदेह अमरीका के राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रम्प ने इस नई लड़ाई को शह देकर एक बार फिर विश्व में खलबली पैदा कर दी है।

—बरजिन्दर सिंह हमदर्द

#विनाशकारी होगा इज़रायल और ईरान का युद्ध