अपनों की पहचान का दर्द
अहमदाबाद में हुए भयावह विमान हादसे का दर्द अंतहीन पीड़ा देने वाला है। सैकड़ों ही व्यक्तियों का कुछ पलों में राख हो जाना भयानक दृश्य पेश करता है। इन बिछुड़ों के परिवारों को ढांढस बंधाना कठिन है। प्रत्येक का दर्द अपना-अपना है। प्रत्येक यात्री अपने भीतर सपने संजोए बैठा था। उससे जुड़े परिवार की उम्मीदें अधर में ही दम तोड़ गई हैं। बिछोड़े का दर्द हर एक का अपना-अपना होता है परन्तु इस हादसे से उठा दर्द अलग तरह का है। जल चुके शवों की पहचान करना कठिन है। डी.एन.ए. के आधार पर की जा रही यह कार्रवाई और भी दुखद प्रतीत होती है।
242 में से एक बच गए विश्वास कुमार रमेश ने भय के इस मंज़र को आंखों से देखा है, उसने अपनी आंखों के सामने लोगों को मरते हुए देखा है। उसे विश्वास नहीं कि वह मलबे से कैसे निकला। इस विमान के पायलट कैप्टन सुमित सभ्रवाल के पिता की उम्र 90 वर्ष है। सभ्रवाल की शादी नहीं हुई थी और जाते समय वह बुजुर्ग पिता को कह कर गया था कि लंदन की इस उड़ान के बाद वह इस्तीफा दे देगा और उनकी (पिता) देखभाल ही करेगा। लंदन के भाविक कुछ दिन पहले ही वड़ोदरा आए थे। 10 जून को ही उनकी ईशा महेश्वरी के साथ शादी हुई थी। हादसे का समाचार सुनते ही ईशा बेहोश हो गई थी। पायल के पिता सुरेश रिक्शा चालक हैं। पायल ने ट्यूशनें पढ़ा कर अपने परिवार की सहायता की। कड़ी मेहनत से उसे लंदन के एक कालेज में एम. टैक में दाखिला मिला था। पायल के पिता पर उसे विदेश भेजने के लिए लिया गया ऋण अभी बाकी है। विमान के स्टाफ में शामिल मणिपुर की सिंगसन अपने परिवार की एक मात्र कमाने वाली सदस्य थी। इंदौर की हरप्रीत होरा 19 जून को लंदन जाने वाली थी, परन्तु उसके पति ने कहा कि वह जन्मदिन लंदन में उसके साथ मनाए, हरप्रीत ने 12 जून का टिकट करवा लिया। अब परिवार उसकी पहचान के लिए डी.एन.ए. के नतीजे का इंतज़ार कर रहा है। यह कुछेक बिछुड़ चुके लोगों की वार्ता है। सैकड़ों ही बिछुड़ गए लोगों की वार्ताएं अलग-अलग हैं। यह विमान हादसा एकाएक कैसे घटित हुआ इसकी जांच-पड़ताल के लिए समय लगेगा। संबंधित कम्पनियों की ज़िम्मेदारियां और चिन्ता अपनी-अपनी हैं।
प्रधानमंत्री ने पीड़ित परिवारों को ढांढस देने का यत्न किया है। उन्हें प्रत्येक प्रकार की सहायता का विश्वास दिलाया है, परन्तु उठा यह दर्द शीघ्र कम होने वाला नहीं है। बिछुड़ों की याद उनके रिश्तेदारों और दोस्तों में हमेशा बनी रहेगी परन्तु इसके साथ ही अहम सवाल यह उठता है कि हवाई स़फर को प्रत्येक-ढंग से कैसे और सुरक्षित बनाया जाए, क्योंकि आज की जीवन-यापन और समय में ऐसे स़फर के बिना ज़िन्दगी की कल्पना भी नहीं की जा सकती परन्तु इसे हर हाल में सुरक्षित ज़रूर बनाया जाना चाहिए, ताकि ऐसे हादसे न घटित हों और लोगों के मन में हवाई स़फर के लिए मज़बूत विश्वास बना रहे।
—बरजिन्दर सिंह हमदर्द