कई क्षेत्रों में हुए समझौते (एमओयू) अब वास्तविक आकार लेंगे:वैज्ञानिक डेमेट्रिस स्कोराइड्स
निकोसिया, 18 सितंबर - प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की साइप्रस यात्रा के तीन महीने बाद दोनों देश कई समझौतों पर बढ़ने जा रहे हैं। साइप्रस के सीएसआरआई के वैज्ञानिक डेमेट्रिस स्कोराइड्स ने कहा कि कई क्षेत्रों में हुए समझौते (एमओयू) अब वास्तविक आकार लेंगे। स्कोराइड्स भारत-साइप्रस शिखर सम्मेलन में भाग लेने के लिए मुंबई में हैं। उन्होंने बताया कि जून में मोदी के साइप्रस दौरे के समय राष्ट्रपति निकोस क्रिस्टोडौलिड्स के साथ उनकी बैठक में रिसर्च, व्यापार, AI और रक्षा सहयोग पर चर्चा हुई थी। दोनों देश रक्षा डील भी कर सकते हैं।
भारत और साइप्रस के बीच विज्ञान और रक्षा के क्षेत्रों में समझौतों का तुर्की के लिहाज से भी एक पहलू है। तुर्की और साइप्रस के बीच लंबे समय से तनातनी रही है। तुर्की की पाकिस्तान से भी अच्छी दोस्ती है। वहीं पाकिस्तान से भारत के रिश्ते खराब हैं। ऐसे में भारत की साइप्रस से करीबी को तुर्की को जवाब देने और क्षेत्रीय संतुलन की तरह देखा जा रहा है।
मोदी का दौरा और तुर्की-साइप्रस संबंध
प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने इस साल जून में साइप्रस का दौरा किया था। भारत के प्रधानमंत्री 23 साल बाद साइप्रस पहुंचे थे। उन्होंने साइप्रस के राष्ट्रपति से मिलकर कई मुद्दों पर चर्चा की। साइप्रस की तुर्की के साथ लंबे समय से दुश्मनी रही है। ऐसे में नरेंद्र मोदी का साइप्रेस दौरा तुर्की के लिए एक कड़े संदेश की तरह देखा गया।
तुर्की और साइप्रस के बीच झगड़े की जड़ें कई दशक पुरानी हैं। खासतौर से 1974 में हुए युद्ध ने दोनों देशों के बीच स्थिति बेहद खराब कर दी। 1974 के युद्ध ने साइप्रस को स्थायी रूप से दो हिस्सों में बांट दिया। इससे तुर्की और साइप्रस के बीच लगातार तनातनी रही है। दोनों देश एक-दूसरे को दुश्मन की तरह देखते हैं।