फिर शुरू हो सकती है घातक हथियारों की होड़

अमरीकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रम्प के फिर से परमाणु परीक्षण शुरू करने की घोषणा पर दुनिया में भारी हलचल मच गई है। डोनाल्ड ट्रम्प ने 33 साल बाद परमाणु परीक्षण का आदेश दिया है। चीन और रूस के परीक्षण के बीच यह फैसला वैश्विक तनाव बढ़ा सकता है और एनपीटी समझौते पर सवाल खड़े करता है। ट्रम्प ने दावा किया कि अमरीका के पास दुनिया में सबसे ज्यादा परमाणु हथियार हैं, लेकिन ‘इंटरनेशनल कैंपेन टू एबॉलिश न्यूक्लियर वेपंस’ के अनुसार रूस के पास लगभग 5,500 परमाणु हथियार हैं जबकि अमरीका के पास करीब 5,044 हैं। हाल ही में रूस के राष्ट्रपति व्लादिमीर पुतिन ने परमाणु हमले की तैयारी के अभ्यास का आदेश दिया था। रूसी सेना ने इंटरकांटिनेंटल बैलिस्टिक मिसाइल यार्स और सिनेवा का परीक्षण किया, साथ ही टीयू-95 बमवर्षक विमान से लंबी दूरी की क्रूज़ मिसाइल भी दागी। ट्रम्प ने इन परीक्षणों पर प्रतिक्रिया देते हुए कहा था कि पुतिन को युद्ध खत्म करने पर ध्यान देना चाहिए, न कि मिसाइल टैस्ट करने पर।
ट्रम्प के परमाणु परीक्षण के आदेश के बाद विशेषज्ञों का कहना है कि यह कदम वैश्विक निरस्त्रीकरण प्रयासों को कमज़ोर कर सकता है और न्यूक्लियर नॉन-प्रोलिफरेशन ट्रीटी का उल्लंघन भी माना जा सकता है, जिसे अमरीका ने 1992 में साइन किया था। इस पर तीखी प्रतिक्रिया आ रही है। ईरानी के विदेश मंत्री अब्बास अराघची ने एक्स पर एक पोस्ट लिखकर ट्रम्प के बयान की तीखी आलोचना की। उनका कहना था कि अपने रक्षा विभाग का नाम बदलकर युद्ध विभाग रखने वाला परमाणु हथियारों से लैस दबंग देश खुद परमाणु हथियारों का परीक्षण करने जा रहा है। यही दबंग देश ईरान के शांतिपूर्ण परमाणु कार्यक्रम को बदनाम कर रहा है और हमारे सुरक्षित परमाणु प्रतिष्ठानों पर हमले की धमकी दे रहा है। इससे पहले ये जानना ज़रूरी है कि परमाणु परीक्षण क्या है और इसके क्या नुकसान हो सकते हैं। परमाणु परीक्षण उन प्रयोगों को कहते हैं जो डिज़ाइन एवं निर्मित किए गए नाभिकीय अस्त्रों की प्रभाव एवं विस्फोटक क्षमता की जांच करने के लिए किए जाते हैं। परमाणु परीक्षणों से कई जानकारियां प्राप्त होतीं हैं, जैसे ये नाभिकीय हथियार कैसे काम करते हैं, विभिन्न स्थितियों में ये किस प्रकार का परिणाम देते है, भवनों एवं अन्य संरचनाओं पर इन हथियारों के प्रयोग के बाद कैसा असर होता है। इसके अलावा परमाणु परीक्षणों से वैज्ञानिक, तकनीकी एवं सैनिक शक्ति का प्रदर्शन करने की कोशिश भी की जाती है। बीसवीं सदी में कई देशों ने परमाणु परीक्षण किए थे। पहला परमाणु परीक्षण अमरीका ने 16 जुलाई, 1945 में किया था जिसमें 20 किलोटन का परीक्षण किया गया था। अब तक का सबसे बड़ा परमाणु परीक्षण सोवियत रूस में 30 अक्तूबर 1961 को किया गया था जिसमें 50 मेगाटन के हथियार का परीक्षण किया गया था। 25 मई, 2009 को उत्तरी कोरिया ने परमाणु परीक्षण किया था, जिसे विश्व के अधिकांश देशों ने निंदनीय बताया था। विश्व के परमाणु शक्ति संपन्न राष्ट्रों ने अब तक कम से कम 2000 परमाणु परीक्षण किए हैं। हालांकि अब इस पर अंतर्राष्ट्रीय कानून बने हुए हैं, जिनका पालन करना दुनिया के हर देश का कर्त्तव्य है, लेकिन अब ट्रम्प ने परमाणु परीक्षण की बात कह कर दुनिया में हलचल पैदा कर दी है। अगर अब परमाणु परीक्षण होता है तो यह अंतर्राष्ट्रीय कानूनों का घोर उल्लंघन है। ईरान के विदेश मंत्री का साफ  कहना था कि अमरीका दुनिया में परमाणु प्रसार का सबसे बड़ा खतरा है। 
उल्लेखनीय है कि ट्रम्प ने दक्षिण कोरिया में एशिया-प्रशांत आर्थिक सहयोग (एपेक) शिखर सम्मेलन से इतर चीन के प्रधानमंत्री शी जिनपिंग से मुलाकात से ठीक पहले गुरुवार को अपने टूथ सोशल प्लेटफॉर्म पर लिखा था कि उन्होंने अमरीका के रक्षा विभाग को परमाणु हथियारों के परीक्षण का आदेश दिया है। अन्य देशों के परीक्षण कार्यक्रमों के कारण मैंने रक्षा विभाग को निर्देश दिया है कि वह हमारे परमाणु हथियारों का समान परीक्षण शुरू करें। रूस ने अमरीकी राष्ट्रपति के इस बयान पर अपनी प्रतिक्रिया देते हुए कहा कि रूस ने हाल में कोई परीक्षण नहीं किया है, लेकिन अगर अमरीका ऐसा करता है, तो रूस भी परमाणु हथियारों का परीक्षण शुरू कर देगा। सोवियत संघ ने आखिरी बार 1990 में, अमरीका ने 1992 में और चीन ने 1996 में परमाणु हथियार का परीक्षण किया था। चीन ने हालांकि ट्रम्प के बयान पर संतुलित रुख अपनाया। चीन के विदेश मंत्रालय के प्रवक्ता गुओ जियाकुन का कहना था कि बीजिंग को उम्मीद है कि अमरीका व्यापक परमाणु परीक्षण प्रतिबंध संधि (सीटीबीटी) और परमाणु परीक्षणों पर उसके प्रतिबंध का पालन करेगा। नोबेल शांति पुरस्कार जीतने वाले जापानी परमाणु बम पीड़ितों के समूह निहोन हिडांक्यो ने अमरीकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रम्प की घोषणा की कड़ी आलोचना की है और इसे पूरी तरह अस्वीकार्य बताया है। उधर अंतर्राष्ट्रीय परमाणु ऊर्जा एजेंसी ने चेतावनी दी है कि अगर अमरीका दोबारा परीक्षण शुरू करता है, तो घातक हथियारों की दौड़ शुरू हो सकती है। अमरीकी सीनेटर एलिजाबेथ वॉरेन ने कहा कि ट्रम्प परमाणु हथियारों को खिलौना बना रहे हैं।
दुनिया भर के विश्लेषकों का मानना है कि अमरीका का यह कदम रूस और चीन के बढ़ते परमाणु प्रभाव के जवाब में है, लेकिन इससे अंतर्राष्ट्रीय शांति और स्थिरता को बड़ा झटका लग सकता है। यह स्थिति विश्व भर में घातक हथियारों की होड़ को जन्म दे सकती है। 
 

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