चिन्ताजनक है पंजाबी सभ्यता की वर्तमान स्थिति
(कल से आगे)
इस तरह की हालत में पंजाब सरकार युवाओं के लिए सरकारी और गैर-सरकारी क्षेत्रों में रोज़गार के अवसर उस हद तक बढ़ाने में सफल नहीं हो पा रही है, जितनी कि आवश्यकता है। लेकिन इसके लिए केवल राज्य की वर्तमान सरकार ही ज़िम्मेदार नहीं है, बल्कि पिछली सरकारों की नीतियां भी राज्य के लोगों को तरह-तरह की मुफ्त योजनाएं देकर उनके वोट बटोरती रही हैं। इसका नतीजा यह निकलता है कि युवाओं में बड़े पैमाने पर बेरोज़गारी फैल गई है। बहुत-से युवा ऐसे हैं जो अपनी आर्थिक स्थिति और सरकारी स्कूलों में गुणवत्तापूर्ण शिक्षा के अभाव के कारण अच्छी नौकरियां पाने से वंचित रह गए हैं। ऐसे युवाओं का एक बड़ा वर्ग अपराध की दुनिया में कदम रख चुका है। ऐसे युवाओं से ही नशा तस्करों और गैंगस्टरों के गिरोह पैदा हुए हैं। राज्य में इस समय जो बड़े पैमाने पर अमन-कानून की स्थिति पैदा हुई है, व्यापारिक और औद्योगिक प्रतिष्ठानों को फिरौती की जो धमकियां मिल रही हैं, जो बैंक और पेट्रोल पम्प लूटे जा रहे हैं, आम लोगों की दुकानों और घरों में घुसकर जो उन पर जानलेवा हमले किए जा रहे हैं, और लूटपाट की जा रही है, इस बेहद ़खतरनाक प्रवृत्ति को इसी संदर्भ में देखा और समझा जा सकता है। पंजाब के युवाओं का एक छोटा वर्ग जो अपराध की दुनिया में प्रवेश कर गया है, उसकी आपराधिक गतिविधियां अमरीका, ब्रिटेन, कनाडा और कई अन्य देशों तक फैल चुकी हैं। इन देशों में भी फिरौती के लिए हत्याएं, ट्रांसपोर्ट व अन्य व्यवसायों के नाम पर कंपनियां बना कर ठगी और नशे की तस्करी में पंजाबियों के नाम बड़े स्तर पर सामने आ रहे हैं। विदेशों में पंजाबियों के गिरोह ही सफल पंजाबी व्यापारियों की हत्या करने तक ‘आगे बढ़ गए’ हैं। इन देशों में दशकों से अपनी मेहनत और ईमानदारी से पंजाबियों और खासकर सिख समुदाय ने अपनी जो छवि बनाई थी, वह अब बुरी तरह प्रभावित हो रही है। अमरीका, कनाडा, ब्रिटेन और दुनिया के अन्य विकसित देशों में पंजाबियों की बन रही इस छवि का विदेशों को जाने वाले नये पंजाबियों की सम्भावनाओं पर अवश्य प्रभाव पडेगा। वर्तमान में बुरे कामों में पंजाबियों का बार-बार नाम आने के कारण इन देशों में रह रहे पंजाबी प्रवासी खुद को बुरी तरह अपमानित और असुरक्षित महसूस कर रहे हैं। इससे विकसित देशों में नस्लवादियों द्वारा प्रवासियों के विरुद्ध माहौल बनाया जा रहा है, उसे भी इससे और बल मिल रहा है। हैरानी की बात यह है कि न तो पंजाब में और न ही विदेशों में पंजाबी समुदाय के बुद्धिजीवी, लेखक, राजनेता इस बुरे रुझान के विरुद्ध कोई आवाज़ उठा रहे। पंजाबी समुदाय के भीतर यदि पंजाब तथा पंजाब से बाहर ऐसे असामाजिक तत्वों के विरुद्ध आवाज़ नहीं उठाई जाती या नई पीढ़ी को पंजाबी अपने इतिहास, विरासत, संस्कृति और उच्च व शुद्ध धार्मिक परम्पराओं का अनुयायी बनाने के लिए कोई प्रयास नहीं करते तो आगामी समय में भी पंजाबी समाज में उभर रहे गलत रुझानों पर काबू नहीं पाया जा सकेगा।
इस तरह की स्थिति में पंजाब ने 1 नवम्बर को अपना 59वां स्थापना दिवस मनाया। इस संबंध में पंजाब सरकार का भाषा विभाग राज्य के विभिन्न हिस्सों में कुछ साहित्यिक और सांस्कृतिक कार्यक्रम आयोजित करने की योजना बना रहा है, लेकिन पंजाब के स्थापना दिवस के संदर्भ में राज्य सरकार द्वारा राज्य की राजनीतिक, आर्थिक, सांस्कृतिक समस्याओं संबंधी पंजाब के अर्थशास्त्रियों, समाजशास्त्रियों और अन्य क्षेत्रों से संबंधित बुद्धिजीवियों के साथ विचार-विमर्श करने के लिए कोई विशेष कार्यक्रम नहीं बनाया गया और न ही राज्य के अन्य विपक्षी दल इस बारे में चिंतित हैं।
समय की मांग है कि पंजाब के राजनीतिक, आर्थिक, सांस्कृतिक और धार्मिक क्षेत्रों में काम करने वाला समूचा नेतृत्व राज्य की वर्तमान दुर्दशा के प्रति गंभीर हो और इस तरह के विचार-विमर्श की शुरुआत करे कि राज्य और राज्य के लोगों को वर्तमान बहु-पक्षीय संकटों से कैसे उबारा जाए? शिक्षा और स्वास्थ्य सेवाओं को कैसे पटरी पर लाया जाए? खासकर युवाओं के लिए राज्य में रोज़गार के अवसर कैसे बढ़ाए जाएं? कृषि और उद्योगों को दरपेश संकटों का समाधान कैसे हो? इस संबंध में भी पूरी शिद्दत से प्रयास किए जाने चाहिएं कि देश-विदेश में युवाओं का एक बड़ा वर्ग जो अपराध के क्षेत्र में प्रवेश कर चुका है और जिसके कारण देश-विदेश में पंजाबियों की छवि खराब हो रही है, जंगल की आग की तरह फैल रहे इस रुझान पर कैसे अंकुश लगाया जाए?
पंजाब और पंजाबियों ने यदि वर्तमान विश्व में अपना सम्मानजनक स्थान पुन: प्राप्त करना है, तो उन्हें उपरोक्त सभी समस्याओं और उपरोक्त सभी सरोकारों का समाधान खोजना होगा, अन्यथा पंजाबी इतिहास के काले दौर में गुम होकर रह जाएंगे। (समाप्त)



