गैर-भाजपा राज्यों में विशेष गहन पुनरीक्षण का कार्य चुनौतीपूर्ण
चुनाव आयोग ने देश भर में मतदाता सूची के विशेष गहन पुनरीक्षण (एस.आई.आर.) की प्रक्रिया शुरू कर दी है। पहले चरण में 10 से 15 राज्यों में विशेष गहन पुनरीक्षण करवाया जाएगा, जिनमें पांच राज्य—पश्चिम बंगाल, असम, केरल, तमिलनाडु और पुडुचेरी भी शामिल हैं, जहां अगले साल चुनाव होने वाले हैं। इसके लिए सारी तैयारी हो गई है और चुनाव आयोग ने तय किया है कि बिहार की तरह हर राज्य में अधिकतम तीन महीने में एस.आई.आर. का काम पूरा कर लिया जाएगा। लेकिन सभी राज्यों में बिहार जैसे हालात नहीं हैं। बिहार में राष्ट्रीय जनतांत्रिक गठबंधन (राजग) की सरकार है, जिसकी वजह से राज्य के प्रशासन और स्थानीय प्रशासन ने चुनाव आयोग के साथ पूरा सहयोग किया और निर्धारित अवधि में एस.आई.आर. का काम पूरा हो गया, लेकिन क्या विपक्षी पार्टियों के शासन वाले राज्यों में ऐसा हो पाएगा? अगले साल जिन राज्यों में चुनाव होने वाले है उनमें से तीन राज्यों में विपक्षी पार्टियों की सरकार है। हालांकि इन सरकारों ने एस.आई.आर. के लिए तैयारी कर ली है और अपने बूथ लेवल एजेंट्स को ज़रूरी निर्देश दिए हैं। लेकिन ऐसा माना जा रहा है कि राज्य प्रशासन और स्थानीय प्रशासन का बहुत सहयोग नहीं मिलेगा। बिहार में गड़बड़ी की जितनी खबरें आई थीं, उससे ज्यादा खबरें पश्चिम बंगाल, तमिलनाडु और केरल से आएंगी और चुनाव आयोग के कामकाज पर सवाल उठेंगे। कुल मिलाकर चुनाव आयोग की साख पर उठते सवालों की वजह से विपक्षी शासन वाले राज्यों में एस.आई.आर. का काम आसान नहीं होगा।
कर्नाटक में वोट चोरी के नए मामले
लोकसभा में नेता विपक्ष राहुल गांधी ने दो बार प्रैस कॉन्फैं्रस करके कर्नाटक की दो विधानसभा सीटों पर मतदाता सूची में गड़बड़ी के जरिये ‘वोट चोरी’ का आरोप लगाया था। उन्होंने पहले कहा था कि लोकसभा चुनाव के दौरान बेंगलुरू की एक लोकसभा सीट के तहत आने वाली महादेवपुरा विधानसभा सीट पर गड़बड़ी हुई थी। बाद मे प्रैस कॉन्फैं्रस करके उन्होंने अलंद विधानसभा सीट पर गड़बड़ी का आरोप लगाया। इसके बाद कर्नाटक सरकार ने एक विशेष जांच टीम यानी एसआईटी बना कर जांच शुरू कराई। इस एसआईटी की जांच में पता चला है कि 6 हज़ार से ज्यादा नाम काटने का जो आवेदन चुनाव आयोग की वेबसाइट पर डाला गया था, उसके लिए प्रति व्यक्ति 80 रुपये का भुगतान किया गया था। हालांकि अभी एसआईटी की रिपोर्ट सार्वजनिक नहीं हुई है, लेकिन उसे लेकर अब एक और खबर आई है। बताया जा रहा है कि महादेवपुरा और अलंद के अलावा कम से कम दो और विधानसभा सीटों पर मतदाता सूची से नाम काटने का प्रयास किया गया था। जांच टीम को पता चला है कि 2023 के विधानसभा चुनाव से पहले एक डाटा सेंटर से बहुत व्यवस्थित तरीके से दो और विधानसभा सीटों पर नाम काटने का आवेदन चुनाव आयोग की वेबसाइट पर डाला गया था। ये दोनों सीटें कलबुर्गी ज़िले में हैं। जांच से जुड़े एक अधिकारी के मुताबिक कलबुर्गी शहर की सीट पर करीब 35 हज़ार वोट प्रभावित करने की कोशिश हुई थी, जिनमें ज़्यादातर अल्पसंख्यक थे।
भारत और अमरीका की बातों में फिर विरोधाभास
पता नहीं ऐसा क्या हो गया है कि भारत और अमरीका में किसी बात पर सहमति नहीं बन पा रही है। यहां तक कि प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी और राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रम्प के बीच टेलीफोन पर बात हो रही है तो उसमें भी दोनों तरफ से अलग-अलग बातें कही जा रही हैं। भारत सरकार की ओर से दबी जुबान में अमरीका की बात का खंडन किया जा रहा है। एक बार भी भारत ने दो टूक अंदाज़ में नहीं कहा कि राष्ट्रपति ट्रम्प झूठ बोल रहे हैं। सबसे ताज़ा मामला दिवाली की बधाई के लिए आए फोन का है। ट्रम्प ने फोन करके मोदी को दिवाली की बधाई दी। इसके बाद उन्होंने सोशल मीडिया में कहा कि उनकी मोदी के साथ व्यापार, आतंकवाद और पाकिस्तान के साथ संबंध सुधार को लेकर बात हुई। दूसरी ओर मोदी ने सोशल मीडिया में जो पोस्ट डाली, उसमें उन्होंने पाकिस्तान का ज़िक्र नहीं किया। बाद में भारत की ओर से कहा गया कि पाकिस्तान को लेकर दोनों नेताओं के बीच कोई बात नहीं हुई। इससे पहले ट्रम्प ने कहा था कि मोदी ने भरोसा दिलाया कि भारत अब रूस से तेल नहीं खरीदेगा।
फडणवीस ने क्यों कहा कि दिल्ली दूर है?
महाराष्ट्र के मुख्यमंत्री देवेंद्र फडणवीस ने यह कह कर सबको चौकाया है कि दिल्ली अभी दूर है। उन्होंने एक कार्यक्रम में अचानक यह बात कही। अहम सवाल यही है कि क्या फडणवीस ने यह बात अपने लिए कही है और यह संदेश दिया है कि वह दिल्ली के बारे में नहीं सोच रहे हैं और अगर सोच भी रहे थे तो उन्होंने अपने कदम पीछे खींच लिए हैं। गौरतलब है कि संघ के सबसे चहेते फडणवीस को प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के उत्तराधिकारियों में गिना जाता है। अमित शाह के साथ योगी आदित्यनाथ और फडणवीस की चर्चा होती है। माना जा रहा है कि फडणवीस ने अपनी दावेदारी वापस ले ली है। हालांकि उनके करीबी लोगों का कहना है कि पहली बार फडणवीस ने अपनी दावेदारी पेश की है। ‘दिल्ली दूर है’ कह कर उन्होंने बताया है कि वह दिल्ली की तैयारी कर रहे हैं, लेकिन अभी दिल्ली दूर है। यह भी कहा जा रहा है कि उन्होंने प्रदेश भाजपा के नेताओं और सहयोगी पार्टियों को भी यह संदेश दे दिया है कि वे मुम्बई छोड़ कर अभी कहीं नहीं जा रहे हैं। गौरतलब है कि शिव सेना नेता एकनाथ शिंदे के साथ उनके संबंध अच्छे नहीं हैं और शिंदे बार-बार दिल्ली की दौड़ लगाते रहते हैं। वह हाल में दिल्ली आकर प्रधानमंत्री मोदी से मिले। अमित शाह से भी उनकी मुलाकात नियमित होती है। इसीलिए कहा जा रहा है कि फडणवीस ने उन्हें भी संदेश दे दिया है कि वह भले ही कितनी बार दिल्ली जाएं, लेकिन अभी फडणवीस दिल्ली नहीं जाने वाले हैं।
सबको याद आए सीताराम केसरी
बिहार में चुनाव हैं तो सबको सीताराम केसरी याद आ गए। कांग्रेस के दिवंगत नेता सीताराम केसरी की 24 अक्तूबर को 25वीं पुण्यतिथि थी। इस मौके पर कांग्रेस के पुराने मुख्यालय 24, अकबर रोड में एक श्रद्धांजलि सभा का आयोजन किया गया, जिसमें राहुल गांधी शामिल हुए। उधर उसी दिन प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने बिहार में एक चुनावी सभा में कांग्रेस पर हमला किया और कहा कि कांग्रेस ने सीताराम केसरी को अपमानित किया था। मोदी ने कहा कि कांग्रेस ने केसरी से अध्यक्ष पद छीन लिया था। सीताराम केसरी के बहाने मोदी ने कांग्रेस को पिछड़े वर्ग का विरोधी भी बताया। सीताराम केसरी के निधन को 25 साल हो गए हैं और इन 25 सालों में कभी भी कांग्रेस या भाजपा को उनकी याद नहीं आई, लेकिन इस बार विधानसभा चुनाव में सबको केसरी याद आ रहे हैं, वैसे ही जैसे सबको कर्पूरी ठाकुर याद आ रहे हैं। असल में इस बार का बिहार चुनाव जाति गणना के बाद का पहला चुनाव है, जिसमें हर छोटी-बड़ी जाति बहुत अहम हो गई है। इस बार कांग्रेस भी इस खेल में है। राहुल गांधी ने अति पिछड़ी जातियों के लिए अलग से घोषणा-पत्र जारी किया है। बहरहाल, इसमें कोई संदेह नहीं है कि सीताराम केसरी का कार्यकाल बहुत विवादास्पद रहा। प्रधानमंत्री बनने की हड़बड़ी में उन्होंने संयुक्त मोर्चा की सरकार गिरवाई और अंत में अध्यक्ष पद भी गंवाया। उन्होंने सोनिया गांधी के सक्रिय राजनीति में आने के रास्ते में बाधा डाली, जिसका खमियाज़ा उनको भुगतना पड़ा था।





