गैंगस्टरों की दुनिया
बेहद चर्चित गैंगस्टर लारैंस बिश्नोई जो विगत लम्बी अवधि से अलग-अलग जेलों में बंद है, का भाई अनमोल बिश्नोई जो अमरीका भाग गया था, को अमरीका द्वारा भारत के हवाले करने से एक बार फिर पंजाब सहित उत्तरी भारत में गैंगस्टरों की गतिविधियों की ओर देश भर के लोगों का ध्यान आकर्षित हुआ है। विगत दशक भर से अलग-अलग तरह के गैंगस्टरों के गिरोहों ने लोगों का जीना दुश्वार किया हुआ है। अपने-अपने गिरोह को मज़बूत करने और दूसरे गिरोहों से अधिक शक्तिशाली बनने के लिए गैंगस्टरों के ये गिरोह आपस में भी बुरी तरह उलझते रहते हैं और विरोधी गिरोहों के सदस्यों को भी गोलियों का निशाना बनाते रहते हैं।
इनसे प्रभावित होकर अन्य असामाजिक तत्वों ने भी अपने-अपने छोटे-छोटे गिरोह बना लिए हैं, जो प्रत्येक कस्बे और शहर तक फैल चुके हैं और छोटे दुकानदारों से लेकर बड़े व्यापारियों तक को फिरौतियों के लिए धमकियां देते रहते हैं। जो इनकी धमकियों पर ध्यान नहीं देते, ये उन्हें गोलियों का निशाना बनाते हैं या उनके संस्थानों और घरों के समक्ष गोलियां चला कर दहशत का माहौल पैदा करते हैं। इस बड़ी चुनौती के समक्ष सभी दावे और यत्नों के बावजूद प्रशासन तथा पुलिस पूरी तरह बेवस हुए दिखाई देते हैं। आज इन गैंगस्टरों से निपटने की बड़ी चुनौती सरकारों के समक्ष खड़ी है, क्योंकि ज्यादातर यह गिरोह नशों के व्यापारी भी बन जाते हैं। इन्हीं के कारण हमारी युवा पीढ़ी तरह-तरह के नशों का शिकार हो रही है। नशों की चपेट में आए लोगों ने भी समाज में भयावह स्थिति पैदा कर रखी है। तरह-तरह के गैंगस्टरों के बने गिरोहों में लारैंस बिश्नोई गिरोह अधिक ़खतरनाक होकर उभरा है, जो पंजाब के अतिरिक्त हरियाणा, उत्तर प्रदेश, राजस्थान, दिल्ली और मुम्बई तक सक्रिय है। मुम्बई में इस गिरोह द्वारा प्रसिद्ध फिल्म अभिनेता सलमान खान के साथ-साथ वहां की अन्य बड़ी शख्सियतों को भी धमकियां देकर और गोलीबारी करके डराया, धमकाया जा रहा है।
चाहे समूचे समाज में ऐसे गिरोह अपनी बेहद नकारात्मक गतिविधियों से डर का माहौल पैदा कर रहे हैं और समाज की चिंता में वृद्धि करते हैं परन्तु लारैंस बिश्नोई और उस जैसे अन्य गैंगस्टर गिरोहों की कहानी फिल्मी कहानियों से किसी तरह भी कम नहीं है। उदाहरणतया लारैंस बिश्नोई गिरोह से जुड़े हुए और विदेशों में सक्रिय गोल्डी बराड़ का नाम भी सुर्खियों में रहता है। भारत सरकार ने उसे पकड़ने के लिए अनेक यत्न किए परन्तु ताज़ा सूचना के अनुसार वह अभी भी कनाडा में घूमता दिखाई दे रहा है और अपने गिरोह की गतिविधियों को अंजाम दे रहा है। लारैंस बिश्नोई और गोल्डी बराड़ ग्रुप की कहानी का आगाज़ चंडीगढ़ से होता है जब लारैंस बिश्नोई वर्ष और सतिन्दरजीत सिंह उर्फ गोल्डी बराड़ वर्ष 2009 में पंजाब यूनिवर्सिटी के छात्र थे। दोनों ही खिलाड़ी थे। अभ्यास करते हुए ये दोनों गहरे दोस्त बन गए। वर्ष 2009-10 में लारैंस बिश्नोई के विरुद्ध एफ.आई.आर. दर्ज की गई थी, क्योंकि उस पर उस समय पंजाब यूनिवर्सिटी विद्यार्थी यूनियन के प्रधान उदय वड़िंग पर गोली चलाने का आरोप लगा था। जेल से छूटने के बाद लारैंस बिश्नोई ने गोल्डी के साथ मिल कर अपना एक ग्रुप बना लिया था, जिसमें उस समय अनमोल बिश्नोई, सचिन थापा, सम्पत नेहरा आदि भी शामिल थे। उस समय इस ग्रुप का उद्देश्य अपने विरोधियों को ताकत से दबाना था। धोरे-धीरे यह ग्रुप एक बड़े गैंगस्टर गिरोह में बदल गया और इसकी गतिविधियां देश-विदेश तक फैल गईं। इसी तरह और भी बहुत से गैंगस्टर गिरोह देश भर में अस्तित्व में आ गए, जो जन-साधारण के लिए यहां तक कि सरकारों के लिए भी बड़ी चुनौती बने हुए हैं।
अब भी भारत से संबंधित अमरीका में लगभग 50 गैंगस्टर सरगना खुले रूप में विचरण कर रहे हैं, जो विदेश में बैठ कर इधर अपने गिरोह चला रहे हैं और अपने-अपने गिरोहों के सदस्यों को अपराध करने के निर्देश जारी करते रहते हैं, परन्तु अब अनमोल बिश्नोई के पकड़े जाने से गैंगस्टरों की इस दुनिया के और भी पर्दे खुलने की सम्भावना है। नि:संदेह अनमोल बिश्नोई की गिरफ्तारी इस सन्दर्भ में एक बड़ी उपलब्धि मानी जाएगी, जिसे आधार बना कर ऐसी दुनिया में विचरण करते युवाओं को समझा और कानून के कटघरे में भी लाया जा सकेगा।
—बरजिन्दर सिंह हमदर्द

