देश को फिर विश्व-गुरु बनाने के पक्षधर थे स्वामी विवेकानंद

युवाओं के प्रेरणा-स्रोत, समाज सुधारक, युवा युग-पुरुष स्वामी विवेकानंद जी का जन्म 8 जनवरी, 1863 को कोलकाता में हुआ। उनका जन्मदिन राष्ट्रीय युवा दिवस के रूप में मनाये जाने का प्रमुख कारण उनका दर्शन सिद्धांत, सुसंस्कृत विचार और उनके आदर्श हैं। किसी भी देश के युवा उसका भविष्य होते हैं। आज के परिदृश्य में चहुं ओर भ्रष्टाचार, बुराई, अपराध का बोलबाला है, जो घुन बनकर देश को अंदर ही अंदर खाए जा रहे हैं। ऐसे में देश की युवा शक्ति को जागृत करना और उन्हें देश के प्रति कर्त्तव्यों का बोध कराना अत्यंत आवश्यक है। विवेकानंद जी के विचारों में वह क्रांति और तेज है, जो युवाओं में नई चेतना को भर दे। उनके दिलों को भेद दें। उनमें नई ऊर्जा और सकारात्मकता का संचार कर दें। स्वामी विवेकानंद की ओजस्वी वाणी भारत में तब उम्मीद की किरण लेकर आई जब भारत अंग्रेज़ों का गुलाम था और भारत के लोग अंग्रेज़ों के जुल्म सह रहे थे। सन् 1897 में मद्रास में युवाओं को सम्बोधित करते हुए उन्होंने कहा था, ‘जगत में बड़ी-बड़ी विजयी जातियां हो चुकी हैं। हम भी महान विजेता रह चुके हैं। हमारी विजय की गाथा को महान सम्राट अशोक ने धर्म और आध्यात्मिकता की विजय-गाथा बताया है और अब समय आ गया है कि भारत फिर से विश्व गुरु के दर्जे को प्राप्त करे। यही मेरे जीवन का स्वप्न है और मैं चाहता हूं कि तुम में से प्रत्येक, जोकि मेरी बातें सुन रहा है, अपने मन में उनका पोषण करे और कार्य-रूप में परिणत किए बिना न छोड़े। हमारे सामने यही एक महान आदर्श है और हर एक को उसके लिए तैयार रहना चाहिए। वह आदर्श है भारत की विश्व विजय। इससे कम कोई लक्ष्य या आदर्श नहीं चलेगा। उठो भारत... तुम अपनी आध्यात्मिक शक्ति द्वारा विजय प्राप्त करो। इस कार्य को कौन सम्पन्न करेगा?’ स्वामीजी ने एक अन्य अवसर पर फिर कहा, ‘मेरी आशाएं युवा वर्ग पर टिकी हुई हैं।’ स्वामी जी को युवाओं से बड़ी उम्मीदें थीं। उन्होंने युवाओं के भीतर अहं की भावना को खत्म करने के उद्देश्य से कहा,  ‘यदि तुम स्वयं ही नेता के रूप में खड़े हो जाओगे, तो तुम्हें सहायता देने के लिए कोई भी आगे नहीं बढ़ेगा। यदि सफल होना चाहते हो, तो पहले अहं का नाश कर डालो।’ उन्होंने युवाओं को धैर्य, व्यवहार में शुद्धता रखने, आपस में न लड़ने, पक्षपात न करने और हमेशा संघर्षरत रहने का संदेश दिया। आज भी स्वामी विवेकानंद को उनके विचारों और आदर्शों के कारण जाना जाता है। आज भी वे कई युवाओं के लिए प्रेरणा के स्रोत बने हुए हैं।