भारत-पाकिस्तान में बढ़ रहा तनाव

अब ऐसा महसूस होने लगा है कि भारत एवं पाकिस्तान के बीच सीमाओं पर एक अघोषित युद्ध जारी है। प्रतिदिन दोनों ओर से होने वाली गोलीबारी के बीच सैनिकों एवं आम लोगों के मरने के समाचार आते रहते हैं। इसका मुख्य कारण यह है कि विगत कई दशकों से पाकिस्तान की सेना अपनी पूर्व निर्धारित नीति के अनुसार शस्त्रों से लैस प्रशिक्षित आतंकवादियों को भारतीय सीमाओं के भीतर घुसपैठ करवाने के लिए निरन्तर यत्नशील रहती है। यदि ये आतंकवादी भारत में दाखिल होने में सफल हो जाते हैं तो वे अपने आधुनिक हथियारों से प्रत्येक ओर भारी तबाही करने में कामयाब रहते हैं। पिछले दिनों उत्तरी कश्मीर के ज़िला बारामूला के उड़ी सैक्टर में नियन्त्रण रेखा के भीतर दाखिल हुए जैश-ए-मोहम्मद के पांच आतंकवादी मारे गए थे। उनसे भारी मात्रा में राइफलों सहित ग्रेनेड, गोली-सिक्का एवं अन्य युद्ध सामान बरामद किया गया। ये आतंकवादी भारतीय इलाके में बारूदी सुरंगें भी बिछाते हैं। ऐसी घटनाओं मेें बहुत से सैनिक शहीद होते रहते हैं। वर्ष 2016 में जैश-ए-मोहम्मद ने उरी सैक्टर में 19 सैनिक जवानों को शहीद कर दिया था। पिछले दिनों राजौरी ज़िले में पाकिस्तानी सेना की गोलीबारी में एक भारतीय सैनिक शहीद हो गया था। इसी प्रकार विगत वर्ष दिसम्बर मास में पाकिस्तानी सेना ने राजौरी ज़िला में भारतीय सेना के एक गश्ती दल पर हमला करके एक मेजर सहित चार जवानों को शहीद कर दिया था। ऐसी स्थिति को देखते हुए ही भारत की ओर से जहां आप्रेशन ऑल आऊट के माध्यम से घुसपैठियों के पूर्ण सफाये की मुहिम चलाई गई है, वहीं पूरी शक्ति के साथ इन कार्रवाइयों का जवाब देने के लिए नीति भी अपनाई गई है। इसके दृष्टिगत पिछले दिनों अपने जवानों के शहीद होने का बदला लेने के लिए भारतीय सेना ने कोटली सैक्टर में कड़ी कार्रवाई करते हुए सात पाकिस्तानी सैनिकों को मार दिया था। 70वें सेना दिवस के अवसर पर सेना अध्यक्ष बिपिन रावत ने स्पष्ट शब्दों में यह चेतावनी दी थी कि यदि पड़ोसी देश न सुधरा तो उसके विरुद्ध कठोर कार्रवाई की जाएगी। उन्होंने यह भी कहा था कि पाकिस्तान की ओर से घुसपैठियों की मदद करने के कारण ही हमने दुश्मन के विरुद्ध कठोर कार्रवाई करने की नीति अपनाई है। पिछले लम्बे समय से पाकिस्तान बहुत खतरनाक खेल खेलने में लगा है। उसने हाफिज़ मोहम्मद सईद जैसे लश्कर-ए-तैयबा एवं जमात-उद-दावा के मुखिया को न केवल हर तरह की छूट दी हुई है अपितु पाकिस्तान उसे प्रत्येक दृष्टिकोण से बचा भी रहा है। जबकि भारत ने जमात-उद-दावा के इस मुखिया के संबंध में बार-बार पड़ोसी देश को लिखा है कि वह 9 वर्ष पूर्व मुम्बई में हमला करवाने वाले इस मुख्य दोषी को समुचित सज़ा दे। मुम्बई में हुए आतंकवादी हमले में 166 लोग मारे गए थे। हाफिज़ सईद पर अमरीका जैसे देश ने करोड़ों रुपए के इनाम की घोषणा कर रखी है। यहां तक कि संयुक्त राष्ट्र संघ ने भी उसके विरुद्ध प्रस्ताव पास करके उसे आतंकवादी करार दिया हुआ है, परन्तु पाकिस्तान का नया प्रधानमंत्री शाहिद ़खाकान यह बयान दे रहा है कि उसके विरुद्ध कोई केस दर्ज नहीं है इसलिए उसके विरुद्ध किसी प्रकार की रोक नहीं लगाई जा सकती। पाकिस्तान ने उसे कई मास तक घर में ही नज़रबंद करके रखा हुआ था तथा उसके संगठन जमात-उद-दावा एवं फलाह-ए-इन्सानियत द्वारा चंदा एकत्रित करने पर भी प्रतिबंध लगाने का फैसला किया था। अब स्थिति यह बन गई है कि ऐसा आतंकवादी न केवल नित्य-प्रति भारत को धमकियां ही दे रहा है अपितु उसने मिल्ली मुस्लिम लीग नामक पार्टी बनाकर देश में इसी वर्ष होने वाले आम चुनावों को लड़ने की घोषणा भी कर दी है। अब इस बात पर कोई संदेह नहीं रहा कि पाकिस्तान आतंकवादी संगठनों को शरण देकर अपने ही बुने हुए जाल में इस प्रकार फस गया है कि इसमें से निकलना उसके लिए अत्याधिक कठिन है। लोगों की निर्वाचित सरकार भी वहां कागज़ी सरकार सिद्ध होती है क्योंकि सेना ने क्रियात्मक रूप में देश की कमान स्वयं सम्भाल रखी है। ऐसी स्थिति में भारत के लिए इस देश के विरुद्ध कठोर कदम उठाये बिना कोई चारा शेष बचा नज़र नहीं आता। ऐसी स्थिति को देखते हुए नि:संदेह दोनों देशों के बीच तनाव चिन्ताजनक सीमा तक बढ़ गया है जो इस क्षेत्र के लिए अत्यंत गम्भीर परिणामों का धारणी हो सकता है।

-बरजिन्दर सिंह हमदर्द