पाक गुरुद्वारों की ज़मीन संबंधी अदालत हुई सख्त

अमृतसर, 24 जनवरी (सुरिन्द्र कोछड़): पाकिस्तान में अल्पसंख्यक भाईचारे के धार्मिक व विरासती स्थानों की देखभाल और सुरक्षा के लिए बनाए गए इवैकुई ट्रस्ट प्रापर्टी बोर्ड (ई.टी.पी.बी.) के पूर्व चेयरमैन सैय्यद आसिफ अख्तर हाशमी को 29 जनवरी सोमवार को अदालत में पेश होने के लिए आदेश जारी किए गए हैं। उसके अदालत में पेश न होने पर उसको भगौड़ा घोषित करते हुए उसके विरुद्ध बनती कड़ी कार्रवाई करने का भी फैसला लिया गया है। गत मंगलवार इस्लामाबाद स्थित पाकिस्तान सुप्रीम कोर्ट के तीनों जजों के बैंच के मुख्य चीफ जस्टिस मियां साकिब निसार ने अपना फैसला सिख कौंसिल ऑफ पाकिस्तान के चेयरमैन और पाकिस्तान सिख गुरुद्वारा प्रबंधक कमेटी के पूर्व अध्यक्ष मस्तान सिंह द्वारा हाशमी के विरुद्ध फंड में करोड़ों रुपए का घोटाला और पाकिस्तान स्थित गुरुद्वारा साहिबान की भूमि को खुर्द-बुर्द करने के बारे दायर की याचिका पर सुनवाई के दौरान सुनाया। वर्णनीय है कि पाकिस्तान स्थित गुरुद्वारा साहिबान की ज़मीन-जायदादों को खुर्द-बुर्द किए जाने का मामला पाकिस्तानी सुप्रीम कोर्ट में वर्ष 2011 से चल रहा है। पूर्व चेयरमैन हाशमी पर पाकिस्तान सिख गुरुद्वारा प्रबंधक कमेटी से संबंधित कुछ लोगों ने मिलीभगत से गुरुद्वारा साहिबान के नाम लगी ज़मीनों को बेचने के साथ-साथ गुरुद्वारों की कई ईमारतों पर कब्ज़े भी करवाए थे। ज़िला श्री ननकाना साहिब में रहते पुलिस इंस्पैक्टर गुलाब सिंह शाहीन द्वारा गुरुद्वारा साहिबान की ज़मीनें गैर तरीके से बेचने व कब्ज़े करवाए जाने का मामला सार्वजनिक करने पर मस्तान सिंह द्वारा यह मामला सुप्रीम कोर्ट में दायर किया गया। उक्त मामले की अहमियत को समझते और सिखों की भावनाओं का ध्यान रखते हुए सुप्रीम कोर्ट के चीफ जस्टिस (अब पूर्व) इफितखार मोहम्मद चौधरी ने निजी रूप से इसका नोटिस लेते हुए जांच के आदेश जारी किए। जिससे पता चला कि 1260 एकड़ ज़मीन लाहौर के गांव मोता सिंह वाला और गुरुद्वारा जन्म अस्थान बेबे नानकी गांव डेरा चाहल के नाम है, जिसमें से 807 एकड़ ज़मीन हाशमी की मिलीभगत से बेच दी गई। मामला अदालत तक पहुंचने पर उक्त में से डिफैंस हाऊसिंग अथार्टी (डी.एच.ए.) को बेची गई 407 एकड़ ज़मीन, जिसकी कीमत अरबों रुपए बनती थी वापिस मिल गई। अदालत द्वारा यह राशि डी.एच.ए. को गुरुद्वारा साहिब के खाते में जमा करवाने के आदेश जारी किए गए परंतु चीफ जस्टिस के सेवा मुक्त होने के बाद यह मामला पूरा नहीं हो सका। जिसका लाभ लेते हाशमी पाकिस्तान छोड़ कर दुबई भाग गया। यह भी बताया जा रहा है कि हाशमी ने गुरुद्वारा साहिब की भूमि को लेकर हाईलैंड लिविंग कन्सेप्ट (एच.एल.सी.) इलसियम होलडिंग्ज लिमिटेड (ई.एच.एल.) और डिफैंस हाऊसिंग अथार्टी से संयुक्त रूप से इकरारनामा किया था। जिसके चलते उक्त कम्पनी द्वारा ज़मीन कब्ज़े में लेकर वहां आवासीय कालोनियां, पार्क और प्लाजा बनाए जाने थे। इसके साथ ही आसिफ हाशमी, ई.एच.एल. और एच.एल.सी. में औकाफ की इस्लामाबाद स्थित आठ कनाल ज़मीन पर भी आवासीय फ्लैट बनाने संबंधी समझौता हुआ था। उक्त समझौते में फर्जी अलाटमैंट पत्र जारी करते करोड़ों रुपए का घोटाला किया गया। कल की अदालती कार्रवाई के दौरान चीफ जस्टिस साकिब निसार ने ई.टी.पी.बी. के वकील को बोर्ड के मौजूदा चेयरमैन सदीक उल्ल फारूक की नियुक्ति की योग्यता बताने बारे भी कहा कि उसकी यह नियुक्ति किस राजनीतिक आधार पर की गई थी अदालत ने लाहौर कोर्ट को एक सप्ताह में फारूक की नियुक्ति के बारे एक डिवीजन बैच बनाकर फैसला करने का आदेश दिया। अदालत ने साथ ही यह भी आदेश जारी किए कि इसकी रिपोर्ट भी दी जाए कि डेरा चाहल में बेबे नानकी के गुरुद्वारे के नाम लगती ज़मीन अभी तक डी.एच.ए. के नाम है या गुरुद्वारों की देखभाल करने वाली संस्था को वापिस कर दी गई है। अदालत ने उक्त सभी कार्रवाई के लिए तीन सप्ताह तक का समय दिया है।