जोड़ों में दर्द कुछ घरेलू उपचार


जोड़ों का दर्द एक ऐसी समस्या है जिससे बुढ़ापे में हर किसी को दो चार होना ही पड़ता है। कुछ लोग लापरवाही से तो कुछ लोग अज्ञानता के कारण कम उम्र में ही अपने लिए समस्या पैदा कर लेते हैं जिसका खमियाजा उन्हें बड़े होने पर भुगतना पड़ता है। प्रौढ़ावस्था में होने वाली हड्डियों की बीमारियों में घुटनों, कमर और गर्दन का दर्द आदि प्रमुख हैं।
चिकित्सकों के अनुसार उम्र बढ़ने के साथ शरीर के अन्य अंगों में परिवर्तन आता है, उसी तरह हड्डियों के बढ़ने से उनकी बनावट में परिवर्तन आता है, हड्डियों में बदलाव या॒ परिवर्तन का आना 20-25 वर्ष की आयु के बाद शुरू होता है जिसका दुष्प्रभाव 40-45 वर्ष की उम्र में दिखलाई देता है। चिकित्सकों का कहना है कि अगर लोग समय रहते सचेत हो जाएं तथा चिकित्सक के निर्देशों का अनुसरण करें तो उन्हें प्रौढ़ावस्था में आने वाली समस्याओं का सामना कम करना पड़ेगा।
घुटनों का दर्द - शरीर के पूरे वजन को घुटने को ही संभालना पड़ता है। उठने-बैठने, चलने-फिरने से घुटनों की हड्डियों में मौजूद फ्लूड कम हो जाते हैं। ये फ्लूड स्नेहक का काम करते हैं। जब ये पर्याप्त मात्रा में होते हैं तब उठने बैठने या चलने फिरने में कठिनाई नहीं होती है लेकिन जब यह फ्लूड कम हो जाता है या खत्म हो जाता है तब उठने बैठने या चलते-फिरते समय घुटने की हड्डियां आपस में रगड़ खाकर घिस जाती हैं जिससे घुटने में दर्द होता है। कभी-कभी जोड़ों की झिल्लियों में सूजन आ जाती है। इससे भी जोड़ों में दर्द होता है।
प्रारंभ में सीढ़ियां उतरने में, रात में सोते समय घुटनों में दर्द, बैठकर खड़े होने में दर्द तथा पोस्चर बदलने में दर्द होता है। अगर समय पर इलाज नहीं कराया जाएं तो हड्डियां टेढ़ी होने लगती हैं। फिर आगे चलकर घुटनों के लिए शरीर का वजन संभालना मुश्किल हो जाता है।
उपचार: स्नगर्म पानी में चुटकी भर नमक डालकर उसमें तौलिया भिगोकर निचोड़ दें। फिर उस तौलिये से प्रभावित जोड़ की सिंकाई करें।
स्न ज्यादा दर्द निवारक दवाइयां न लें क्योंकि इससे क्षणिक लाभ ही मिलता है।
स्न जोड़ों की विशेष एक्सरसाइज करें। एक्सरसाइज करने के लिए जमीन पर लेटकर घुटनों के नीचे तकिया लगाकर जोर से दबाएं तथा 1० सेकेंड तक इस स्थिति में रहें। दर्द कम होने पर समयावधि बढ़ा दें।
स्नकुर्सी या चारपाई पर बैठकर पैर सीधा रखें। पहले 10 सेकेंड के लिए ऐसा करें। फिर धीरे-धीरे समयावधि बढ़ाएं।
कमर दर्द:- . रीढ़ की कमजोरी के कारण शरीर का वजन कमर पर संतुलित नहीं रहता और चलने-फिरने, उठने-बैठने में कमर में दर्द होता है। उम्र बढ़ने के साथ दर्द बढ़ता जाता है और करवट बदलने तक में दर्द होने लगता है। ऐसा दर्द 40-45 वर्ष की उम्र के बाद ही शुरू होता है, कमर की बीमारियों को जानने के लिए चौकी या तख्त पर लेट जाएं तथा कमर के नीचे हाथ डालें। अगर हाथ न जाए तो समझ लें आप किसी कमर से संबंधित रोग का शिकार हो गए हैं।
बचाव:- स्न हार्ड बैड या जमीन पर सोएं। रूई के गद्दे का इस्तेमाल न करें।
स्नलेटते समय पहले करवट लें, फिर सीधे हो जाएं, तथा इसी तरह उठे भी।
स्न यदि आप ज्यादा देर तक बैठकर काम करते हैं तो सीधे बैठें।
स्नबिना टेक लगाए न बैठें।
स्नआगे झुककर एक्सरसाइज या दूसरे काम न करें।
स्नभारी वजन न उठाएं।
स्नयदि चलने में दर्द हो तो बैठ जाएं।
गर्दन में दर्द:-गर्दन घुमाने पर दर्द होता है। कभी-कभी चक्कर भी आता है।
बचाव:-
स्न सोते समय तकिये का इस्तेमाल न करें। अगर तकिये की आदत हो तो तकिये के बदले तौलिया लगाएं।
स्न गर्म पानी से सिंकाई करें।
स्नचिकित्सक की देख-रेख में टे्रक्शन लें।
एक्सरसाइज:- कंधों को स्थिर रखकर सामने देखते हुए सिर को धीरे-धीरे पीछे को झुकाएं तथा 10 सेकेन्ड के लिए इस स्थिति में रखें, फिर सिर सीधा कर लें, फिर धीरे-धीरे सिर को पहले दांए फिर बाएं घुमाएं तथा 10 सेकेन्ड के लिए इसी पोजीशन में रखें। सिर को कंधे की ओर झुकाएं 15 सेकेन्ड के लिए इस स्थिति में रखकर सिर सीधा कर लें।
सेवानिवृत्ति के बाद घर में रहने वाले बुजुर्ग घुटनों, कमर और गर्दन दर्द का शिकार हो जाते हैं। इन बीमारियों से बचने के लिए बुजुर्गों को 10-10 मिनट के लिए सुबह-शाम नियमित रूप से एक्सरसाइज करनी चाहिए। रक्तचाप, शुगर या अन्य किसी बीमारी से ग्रसित होने पर इनका उपचार कराना चाहिए, इन्हें बदलते मौसम में विशेष रूप से सावधानी बरतनी चाहिए अन्यथा वे कमर दर्द, घुटने का दर्द या गर्दन दर्द का शिकार हो सकते हैं। (स्वास्थ्य दर्पण)
- राजा तालुकदार