मच्छरों का काटना भी प्राणघातक

मच्छरों एवं रोगों के बढ़ने के कारण सभी जानते हैं, लेकिन इनको रोकने के उपाय करना लोग क्यों भूलते हैं? मच्छर मारने में सभी अहम रोल निभाते हैं, परन्तु उनके पैदा होने के कारणों को क्यों नहीं दूर करते। जब तक मच्छरों के पैदा होने वाले कारणों को नहीं दूर किया जायेगा, तब तक यह देश मच्छर जन्य बीमारियों से ऐसे ही प्रतिवर्ष अपनी अर्थव्यवस्था को कमज़ोर करता रहेगा।
कैसे निपटा जाए मच्छरों एवं मच्छर जन्य बीमारियों से : मच्छरों का उत्पादन रोकना एवं मच्छरों को काटने से रोकना, ये ही दो उपाय हैं, जिनसे मच्छर जन्य बीमारियों को फैलने से रोका जा सकता है, इसके लिए शासन-प्रशासन अकेला कुछ नहीं कर सकता, जब तक इस कार्य में जनता भी अपनी सहभागिता न दे।
 अपने घर के अंदर बाहर की छोटी-बड़ी नालियों में यदि पानी रुका हो या कीचड़ बना रहता हो तो इन नालियों में गौर से देखें क्या इनमें बिलबिलाते कीड़े नज़र आ रहे हैं या इस पानी, कीचड़ में हल्की-हल्की हलचल भी नज़र आ रही है, विशेषकर तब, जब पानी एकदम स्थिर हो। यदि हां तो ये मच्छर के लार्वा, प्यूपा के रेंगने की हलचल है जो मच्छर के बच्चे कहलाते हैं। इनमें से कुछ दिन में पंख सहित मच्छर निकलता है।
* पानी की टंकियां घर की हों या सार्वजनिक वितरण की, बड़ी टंकियां यदि पूरी तरह बंद नहीं हैं यानी ऊपर से ढकी नहीं हैं तो इनमें मच्छर तेज़ी से पनपते हैं। इनमें मच्छरों के बच्चों का भंडार मौजूद हो
सकता है।
* निर्माणाधीन मकान की छतों में जमा पानी, सेप्टिक टैंक या पानी के लिए बनाया गया टैंक में जमा पानी भी मच्छरों को भारी मात्रा में पैदा करता है। निर्माणाधीन मकान के आसपास के लोग इनके कारण मच्छरों की भरमार से परेशान रहते हैं। ऐसे निर्माणाधीन मकान मालिक, ठेकेदार को मच्छरों की पैदावार रोकने के लिए दबाव आसपास के लोग अवश्य बनायें। उन्हें टैंक को ढकने एवं जहां भी मच्छर पैदा हो रहे हैं, वहां कीटनाशक दवा डालने को कहें।
इसके अलावा भी मच्छरों के पैदा होने के बहुत से स्थान हैं जैसे खुले में पड़ा कबाड़, जिसमें टूटे हुए ऐसे हिस्से जिनमें पानी जमा हो सकता है, टायर के खोल जहां पानी जमा हो सकता है, चिड़ियों को पानी पिलाने के बर्तन, बरामदे में लगी बरसाती, तिरपाल जिसमें झोल के कारण पानी जमा है या ऐसा मकान जिसकी छत या ढाल या लेबल सही नहीं है और उसमें कहीं-कहीं पानी जमा हो जाता है, मच्छरों की उत्पत्ति के अच्छे स्थल साबित होते हैं। इन सभी का पानी पूरी तरह सुखाकर मच्छरों से बहुत हद तक निजात पाई जा सकती है।
याद रखें, मच्छर का काटना पागल कुत्ते के काटने के समान प्राणघातक हो सकता है। पागल कुत्ते के काटने पर तुरंत इंजेक्शन लगवा कर बचा जा सकता है, परन्तु मच्छर के काटने से होने वाली बीमारी डेंगू से बचाव का इंजेक्शन एवं दवा अब तब उपलब्ध नहीं है। एक बार बीमारी होने पर परेशानियों के साथ जान का भी खतरा इस बीमारी में रहता है, इसलिए जिस तरीके से आप कुत्ते के काटने से डरते हैं या बचाव करते हैं, उसी तरह मच्छरों के काटने का बचाव स्वयं एवं बच्चों का अवश्य करें। (स्वास्थ्य दर्पण)
—प्रहलाद अग्रवाल