घरेलू-विदेशी निवेशकों के लिवाली समर्थन से बीएसई दमदार

मुंबई, 29 अप्रैल (एजैंसी) : गत सप्ताह बीच-बीच कार्यसत्रों के दौरान लिवाली-बिकवाली के बीच प्रतिस्पर्धा होने के चलते अंतिम सत्र में एफआईआई व घरेलू निवेशकों की लिवाली बढ़़ने से लगभग 92 प्रतिशत शेयरों में उछाल आ गया, जिससे गत सप्ताह बीएसई 34415.58 की तुलनात्मक अंत में बढ़ते हुए 34969.70 अंक पर पहुंच गया। एनएसई भी बीएसई की मजबूती का समर्थन पाकर 10564.05 से बढ़त लेकर समान अवधि में 10692.30 अंक पर जा पहुंचा। विदेशी शेयर बाजारों में भी पूरे सप्ताह उथल-पुथल के बाद अंतिम कार्यदिवस पर सक्रिय हुए और लगभग 90 प्रतिशत से अधिक इक्विटीज़ में उछाल आकर बंद हुए। आलोच्य सप्ताह के आरम्भ से ही बीएसई व एनएसई में लिवाल-बिकवाली में प्रतिस्पर्धात्मक टक्कर होने से लिवाल समर्थक अनुपात औसतन 55 प्रतिशत एवं बिकवाल समर्थन 45 प्रतिशत दोनों इक्विटी एक्सचेंजों पर हावी हुए। बीच-बीच ऑटो, बैंकिंग व मैटल कम्पनियों में बिकवाली अधिक बनी रहने से सप्ताह के आरम्भ में जो इन कम्पनियों के शेयरों में तेजी थी, वह अंतिम सत्र के करीब आकर बिकवाली बढ़ने से ढुलमुल गति हो जाने से इन शेयरों में गिरावट देखने को मिली। मैटल कम्पनी हिन्दाल्को का शेयर सप्ताह आरम्भ में 262 रुपए का था, जो अंत में 235.20 रुपए का रह गया। इसी तरह ऑटो कम्पनियों में से मारुति सुजुकी का शेयर इसी अवधि के अंतराल 9037.20 से अंत में 260 रुपए के आसपास टूट गया। टाटा स्टील का शेयर भी अंत में लगभग 18 रुपए नरम हो गया। इसके विपरीत आईटी में इंफोसी टेक शेयर ने गत सप्ताह 1178.25 से बढ़कर अंत में 1185.15 रुपए पर बाजी मारी। उसके बाद रिलायंस गु्रप में रिलाइंस इंड का शेयर भी इसी अवधि में 928.05 से बढ़त लेकर अंत में 994.75 रुपए पर बंद हुआ। इसके अलावा रीयल एस्टेट में डीएलएफ, ऑटो कम्पनी में एमएंडएम व बजाज ऑटो कम्पनी के शेयरों में निवेशकों की लिवाली बढ़ने से उक्त अवधि के अंतराल अंतिम सत्र में अच्छी मजबूती दर्ज की। अंतिम सत्र के दौरान करीब 90 प्रतिशत शेयरों में खरीद में मजबूती मानी गयी। इसमें विश्लेषकों के अनुसार विदेशी निवेशकों के अलावा घरेलू कमोडिटीज निवेशक भी अंत में एंटर होने समझे जा रहे थे तथा 94 प्रतिशत विदेशी शेयर बाजारों में समान अवधि में यानि अंत में मजबूती आ गई थी। इन सबका समर्थन पाकर निवेशकों ने इस अवधि में जमकर लिवाली करते हुए बीएसई, एनएसई व एशियाई शेयर बाजारों को दमदार बना दिया। वैसे कुछ घरेलू कारण उदाहरण के तौर पर कर्नाटक में चुनाव स्थिति से भारतीय बाजारों में आगे चलकर यह तेज गति धीमी भी पड़ सकती है।