नीरज चोपड़ा भाला फैंक में कठिन से कठिनतर होती राहें

इस सत्र की पहली भाला फेंक प्रतियोगिता ‘दोहा डायमंड लीग’ में नीरज चोपड़ा ने 87.43 मी की जबरदस्त थ्रो की है। अगर वह पिछले छह ओलंपिक में इतनी दूर भाला फेंकते तो 2000 सिडनी ओलंपिक को छोड़कर उन्हें बाकी पांच में इस तरह से पदक प्राप्त होते- 1996 एटलांटा में कांस्य, 2004 एथेंस में स्वर्ण, 2008 बीजिंग में रजत, 2012 लंदन में स्वर्ण और 2016 रिओ में कांस्य। लेकिन कुछ सप्ताह पहले 21 वें राष्ट्रकुल खेलों (गोल्ड कोस्ट, ऑस्ट्रेलिया) में भारत के लिए जेवलिन थ्रो का ऐतिहासिक स्वर्ण पदक जीतने वाले नीरज चोपड़ा की दोहा में यह शानदार थ्रो भी किसी काम न आई। वह दस खिलाड़ियों के मुकाबले में चौथे स्थान पर रहे। पहले तीन स्थानों पर जर्मन खिलाड़ियों का दबदबा रहा। उन तीनों ने 90 मी. से अधिक की थ्रो की। यह इतिहास में पहली बार हुआ है कि तीन एथलीटों ने एक ही प्रतियोगिता में 90 प्लस की थ्रो रिकॉर्ड की हो। इस इलीट प्रतियोगिता का अगला चरण 12 मई को शंघाई, चीन में होगा। इस पृष्ठभूमि में देखें तो गोल्ड कोस्ट के बाद जिन लोगों को यह लगने लगा था कि 2020 टोक्यो ओलंपिक में नीरज के जरिये भारत को एथलैटिक्स का दुर्लभ पदक प्राप्त हो जायेगा, उन्हें अब अपने अंदाजे को साकार करने के लिए दुआ करनी होगी कि नीरज अपने खेल में और सुधार लायें क्योंकि उनकी राहें बहुत कठिन हो गई हैं, खासकर इसलिए कि इस समय विश्व में 9 खिलाड़ी 90 मी. या उससे अधिक दूर भाला फेंक रहे हैं। वैसे विशेषज्ञों के अनुसार नीरज में भी 90 मी. से अधिक भाला फेंकने की क्षमता है। बहरहाल, नीरज से प्रभावित होने वाले लोगों की संख्या में निरंतर वृद्धि होती जा रही है। वर्तमान विश्व चैंपियन जोहन्नेस वेत्टर ने उनके उज्जवल भविष्य की भविष्यवाणी की है। गोल्ड कोस्ट में अपने करियर की दूसरी सबसे अच्छी थ्रो 86.47 मी. करने के बाद 20 वर्षीय नीरज ने कहा था कि वह जल्द ’90 मी क्लब’ में शामिल होना चाहते हैं। 94.44 मी. की थ्रो करने वाले वेत्टर का कहना है, ‘नीरज अभी युवा हैं, वह इसी वर्ष 88 व 90 मी के बीच थ्रो कर लेंगे। उनके लिए 90 मी. की थ्रो करना संभव है। वह गजब का टैलेंट हैं और उनका अच्छा व शानदार भविष्य है। उनमें इलीट थ्रोअर बनने के गुण हैं। उनके पास वर्ल्ड जूनियर रिकॉर्ड है।’अगर नीरज, जो अब वर्ल्ड रिकॉर्ड होल्डर उवाए होह्न के अंडर ट्रेनिंग करते हैं, जेवलिन गोल्ड स्टैंडर्ड की रेखा 90 मी. को पार कर लेते हैं तो वह ऐसा करने वाले विश्व के सबसे कम उम्र के खिलाड़ी होंगे। नीरज ने रिकॉर्ड पुस्तकों में सबसे पहले 2016 में प्रवेश किया था, जब उन्होंने पोलैंड में आयोजित वर्ल्ड अंडर 20 चैंपियनशिप में 86.48 मी. की थ्रो की थी। तब से वह निरंतर बेहतर प्रदर्शन करते हुए आ रहे हैं। यह सत्र, स्वयं नीरज के अनुसार, उनके करियर का सबसे अच्छा रहा है। जर्मन कोच वेरनर डेनियल्स के साथ छह माह की ट्रेनिंग करने के बाद उन्होंने मार्च में गोल्ड कोस्ट में प्रभावी 85.94 मी. की थ्रो क्वालीफाइंग राउंड में की, जो पोलैंड की थ्रो से जरा सी कम थी मगर स्वर्ण पदक जिताने के लिए पर्याप्त थी। दोहा में राष्ट्रकुल खेलों का चैंपियन होने के एहसास ने उन्हें बेहतर प्रदर्शन करने के लिए प्रेरित किया। -