मनोरंजन का टीवी युग क्या अपने अंत के आखिरी सफर में है?

पिछले तीन सालों में यूरोप में 16 फीसदी, अमरीका में करीब 14 फीसदी, लैटिन अमरीका में 10 फीसदी और हिंदुस्तान में 5 से 7 फीसदी टेलीविजन के दर्शक कम हुए हैं, विशेषकर टीवी धारावाहिकों के दर्शक। अमरीका, यूरोप, लैटिन अमरीका, धरती के इन तीनों बड़े भूभागों में पिछले 5 सालों में नये टीवी चैनलों विशेषकर मनोरंजन चैनलों के खुलने की रफ्तार दो फीसदी भी नहीं रही। हालांकि भारत में अभी भी यह काफी ज्यादा बनी हुई है, लेकिन पूरी तरह से मनोरंजन चैनल भारत में भी अब ज्यादा नहीं खुल रहे। हां, विशुद्ध रूप से धार्मिक, एजुकेशनल और न्यूज चैनल अब भी भारत में काफी तेजी से खुल रहे हैं। सवाल है क्या ये  मनोरंजन के टीवी युग के समाप्ति की ओर बढ़ने के संकेत हैं? इसका जवाब पूरी तरह से ‘हां’ तो नहीं है और कम से कम भारत में तो कतई नहीं। लेकिन यह जरूर है कि मनोरंजन के टीवी युग का एक कड़ा प्रतिद्वंदी उभरकर सामने आया है और यह है मनोरंजन का वेब युग। जी, हां! पिछले 5 सालों में हिंदुस्तान में मनोरंजन की दुनिया काफी चिन्हित किये जा सकने वाले अंदाज में बदली है। अगर घरेलू औरतें और 40 से पार की उम्र के लोग आज भी टीवी को अपने पसंदीदा मनोरंजन माध्यम के रूप में देख रहे हैं तो वहीं 25 साल से कम उम्र के नौजवानों के बीच टीवी को लेकर काफी हद तक अरूचि दिखने लगी है। सच तो यह है कि 18 से 24 साल के बीच के युवाओं का एक बड़ा तबका है, जिसे अब टीवी युग का मनोरंजन दशकों पुराना, बासी उबाऊ और उनकी पीढ़ी के लिए मिसफिट लगने लगा है। युवाओं का यह तबका तेजी से वेब मनोरंजन की तरफ  बढ़ रहा है। नयी पीढ़ी लंबे-लंबे सास-बहू के सीरियल, नकली से लगने वाले भव्य सेट और हमेशा सजी-संवरी महिलाओं की षड़यंत्र कहानियाें से ऊब गई है। वह बहुत तेजी से वेब सीरीज की ओर मुखातिब हो रही है, जहां 15 से 45 मिनट तक के पैकेज में आज की जिंदगी की असली कहानियां हैं। जहां किरदार भारी भरकम पोशाकों में कैद नहीं हैं बल्कि वैसे ही कैजुअल हैं जैसे लोग अपनी आम जिंदगी में होते हैं। इसलिए युवाओं को ये सीधे सपाट और असली जिंदगी के नजदीक के किरदार और कहानियां खूब भा रही हैं। वेब सोच की तरफ  आकर्षित होने के अब तो ये कारण भी हैं कि दुनिया के तमाम बड़े टेलीविजन कार्यक्रम के निर्माता वेब सीरीज को ध्यान में रखकर ओरिजनल कार्यक्रम बना रहे हैं और अच्छा खासा पैसा भी खर्च कर रहे हैं। आजकल एकता कपूर की जल्द ही आने जा रही वेब सीरीज काफी चर्चा में है क्योंकि इसको बनाने के लिए माना जा रहा है कि एकता कपूर ने 50 करोड़ रुपये खर्च किये हैं और भी महज 14 एपीसोड के लिए। जी, हां! आप जो कुछ पढ़ रहे हैं, वह टाइपिंग मिस्टेक नहीं है, बिल्कुल सही है 50 करोड़ रुपये खर्च किये गये हैं। एकता कपूर  अपना सब कुछ दांव पर लगाकर इन दिनों वेब सीरीज के कई कार्यक्रम बना रही हैं। जल्द ही सामने आने वाली 50 करोड़ की लागत से बनी यह वेब सीरीज दरअसल ‘द गॉड फादर’ का देसी संस्करण है और इसका सेंट्रल टाइटल है ‘द फैमिली’ इसमें एकता ने 168 कलाकारों से काम लिया है। इसलिए सिर्फ  खर्च के लिहाज से ही नहीं, अपनी मेकिंग स्टाइल के लिहाज से भी यह मील का पत्थर साबित होगी। मध्य उम्र की एक ऐसी पीढ़ी जो दूरदर्शन के मशहूर धारावाहिकों को देखकर बड़ी हुई है और एकता कपूर के फिल्मी सेट्स वाले धारावाहिकों ने जिसे धारावाहिक देखने की लत लगायी है, वह पीढ़ी अभी भी नहीं समझ पा रही कि आखिर ये वेब सीरीज क्या है और कैसे ये स्थापित टीवी युग को रिप्लेस कर देगी? दरअसल वेब सीरीज ऐसे स्क्रिप्टेड वीडियोज हैं जो अलग-अलग विषयों पर या एक ही विषय के अलग-अलग संदर्भों पर आधारित होते हैं। अगर इसे वेब टेलीविजन की सामग्री कहा जाए तो भी गलत नहीं होगा। लेकिन टीवी धारावाहिकों के मुकाबले ये वेब धारावाहिक इस वजह से अलग हैं; क्योंकि यहां लंबी-लंबी श्रृंखला नहीं है। चार से पांच एपीसोड में पूरी कहानी खत्म हो जाती है। ये एपीसोड आमतौर पर 10 मिनट से लेकर 15 मिनट के ही होते हैं। कुछ 20 से 45 मिनट भी जाते हैं लेकिन ज्यादातर इतने लंबे नहीं होते कि ये आपको टीवी धारावाहिकों की तरह ऊबा दें। इन वेब धारावाहिकों की एक और खासियत है, इनमें अव्वल तो ज्यादातर यूथ मैटीरियल होता है, दूसरी बात फालतू की भूमिकाओं को बांधने से यहां बचा जाता है। ये कंटेंट के लिहाज से काफी बोल्ड होते हैं और सबसे बड़ी बात तो यह है कि इनमें ओरिजनेलिटी की छाप होती है। यहां अभिनेता अभिनय करते नहीं लगते बल्कि असली जिंदगी जीते लगते हैं। यू-ट्यूब से चूंकि अच्छी खासी कमायी होने लगी है। रेवेन्यू एड मिलने लगे हैं, तमाम ब्रांड के साथ टाइअप होने लगे हैं और सबसे बड़ी बात तो यह है कि 3जी और 4जी के स्मार्टफोन आम लोगों तक पहुंच गये हैं। इस सबके चलते वेब सीरीज न सिर्फ धड़ाधड़ लोकप्रिय हो रही हैं बल्कि अच्छा खासा बिजनेस भी कर रही हैं। इसलिए ये न सिर्फ  टीवी चैनलों के पारंपरिक मनोरंजन को चुनौती दे रही हैं बल्कि मनोरंजन क्षेत्र के विशेषज्ञों का तो यह मानना है कि बहुत ही जल्द टीवी मनोरंजन से, वेब मनोरंजन आगे निकल जायेगा। हालांकि यह भी सही है कि टीवी मनोरंजन खत्म नहीं होने जा रहा है जैसे- अखबार चाहे जितने डिजिटल हो गये हों, लेकिन अभी भी वे न केवल छप रहे हैं बल्कि अच्छी खासी संख्या में छप रहे हैं। क्योंकि अखबारों को हाथ में लेकर पढ़ने का मजा ही कुछ और है। इसी तरह लिविंग रूम में बैठकर टीवी देखने और सफर के दौरान मोबाइल में वेब सीरीज के कार्यक्रम देखने में फर्क  है।