शिक्षा और सभ्याचार का केन्द्र बनी जंग-ए-आज़ादी यादगार

चंडीगढ़, 10 जून (अजीत ब्यूरो) : जालंधर के नज़दीक करतारपुर में जंग-ए-आज़ादी यादगार हमारे देश की आज़ादी की लड़ाई में बेमिसाल बलिदान देने वाले स्वतंत्रता सेनानियों के लिए एक उपयुक्त श्रद्धांजलि के तौर पर पेश गई थी । यह यादगार न सिर्फ पंजाब के सांस्कृतिक और शैक्षणिक केन्द्र के तौर पर उभर कर सामने आ रही है बल्कि नौजवान पीढ़ी को अपनी शानदार, ऐतिहासिक और सांस्कृतिक पृष्ठभूमि संबंधी भी बाखूबी जागरूक कर रही है। यह जानकारी देते हुए एक सरकारी प्रवक्ता ने बताया कि इस यादगार के 2 चरण लोकार्पण किये जा चुके हैं और दूसरे चरण का उद्घाटन मार्च 2018 में किया गया था। यह यादगार कुछ ही महीनों में ही पर्यटकों की पहली पसंद बन कर उभरी है और इतने थोड़े से समय में ही यहां आने वाले सैलानियों की संख्या 3,50,000 से पार कर चुकी है।  अधिक जानकारी देते हुए प्रवक्ता ने बताया कि जैसे ही पर्यटक इस यादगार के अंदर प्रवेश करते हैं तो उनको इस तरह लगता है कि जैसे वह बीते युग में आ गए हों। प्रवेश द्वार पर ही इस यादगार का एक माडल रखा गया है जो कि इस स्थान संबंधी पर्यटकों को अवलोकन करवाता है। इसके अलावा इस स्थान पर आज़ादी आंदोलन की मशहूर हस्तियों की तस्वीरें कलात्मक ढंग के साथ चित्रित की गई हैं। फिर इसके बाद एक मीनार आती है जहाँ आज़ादी की लड़ाई में बलिदान देने वाले शहीदों की याद में एक न बुझने वाली ज्योति प्रज्वलित की गई है। इसके बाद गैलरियां आती हैं जहां कि 3डी तकनीक के द्वारा एक 15 मिनट की एनीमेशन ़िफल्म दिखाई जाती है जिसमें देश की आज़ादी के विभिन्न चरणों के दौरान पंजाब द्वारा डाले गए ऐतिहासिक योगदान को बाखूबी दिखाया गया है। इतना ही नहीं, बल्कि इस स्थान पर आज़ादी संघर्ष के दौरान घटने वाली महत्वपूर्ण घटनाओं को कला चित्रों के द्वारा क्रमवार अच्छे ढंग से प्रदर्शित किया गया है।  इसके बाद पर्यटकों की नज़र एक यादगारी स्थान पर पड़ती है जिसको 4 फूलों की पंखुड़ियों के रूप में दिखाया गया है और इसकी बनावट के लिए पे्ररणा पंजाब की फुलकारी कला के लिए गई है। इसका मकसद स्वतंत्रता सेनानियों के बलिदान को श्रद्धा के फूल भेंट करना है। इसके अलावा भारतीय फिल्म जगत के प्रसिद्ध फिल्मकार श्री श्याम बेनेगल द्वारा निर्देशित आज़ादी के आंदोलन में पंजाब की अग्रणी भूमिका और बलिदान को प्रदर्शित करती एक ़िफल्म भी समय-समय पर दिखाई जाती है जिससे आज की नौजवान पीढ़ी को पे्ररणा मिल सके। इसके अलावा इस स्थान पर सामाजिक और सांस्कृतिक समागम कराने के लिए एक एमफीथिएटर भी बना हुआ है और 150 सीटों की सामर्थ्य वाला एक सैमीनार हाल, एक लाइबे्ररी, एक ऑडीटोरियम और एक फूड कोर्ट भी इस स्थान पर बनाए गए हैं। इस यादगार का एक बेहद अहम पक्ष 45 मिनटों का एक लेजर शो है जो कि आज़ादी के संघर्ष और फिर विभाजन के दौरान हुई घटनाओं को लेजर, डी प्रोजैक्शन और वाटर करटन प्रोजेक्शन तकनीक के द्वारा दिखाता है। इसी स्थान पर शेर-ए -पंजाब महाराजा रणजीत सिंह के पंजाब प्रति योगदान को भी बड़े बाखूबी ढंग के साथ दिखाया जाता है।  और अधिक जानकारी देते हुए प्रवक्ता ने बताया कि इस यादगार में आने के लिए एंट्री टिकटों की दर बहुत ही क़िफायती रखी गई है जिससे हर कोई यहां आकर देश की आज़ादी की लड़ाई में पंजाब द्वारा डाले योगदान और बलिदानों से अवगत हो सके। यह यादगार सप्ताह के 7 दिन प्रात: काल 11 से शाम 7.30 बजे तक खुली रहती है। इस यादगार को विश्व स्तरीय मापदण्डों के मुताबिक संभालने और चलाने में डा. बरजिन्दर सिंह हमदर्द की अध्यक्षता वाली मैनेजिंग समिति पूरी तन मन से काम कर रही है। प्रवक्ता ने आगे बताया कि जल्द ही इस यादगार के तीसरे हिस्से का भी लोकार्पण कर दिया जायेगा जो कि गैलरियों के रूप में होगा और जिसकी इमारत मुकम्मल हो चुकी है। इसमें अाॅंडियो-विजुअल तकनीक के द्वारा जलियांवाला बाग और अंडेमान जेल को दिखाया जायेगा।