आम जिसकी मुरीद है पूरी दुनिया

भारतीय आम फलों का राजा है इसलिए इसकी बादशाहत पर न तो किसी को शक है और न ही आश्चर्य। ‘रायर’ ने 17वीं शताब्दी में कहा था कि आम, आड़ू और खूबानी से कहीं ज्यादा रुचिकर है तो हैमिल्टन ने अठारहवीं शताब्दी में कहा था कि गोवा के आम संसार में फलों के राजा हैं। लेकिन आम के इस तरह बेताज बादशाह होने के बाद भी एक सच्चाई यह भी है कि दुनिया के ग्लोबल विलेज में तब्दील होने के बाद यह बादशाहत आसान नहीं रही। इस लिहाज से वाकई यह खास है। वास्तव में आम अकेला वह फ ल है,जिसकी मुरीद पूरी दुनिया है। क्या उत्तरी गोलार्ध, क्या दक्षिणी गोलार्ध हो। क्या विकसित देश, क्या विकासशील देश। लेकिन आम की जड़ें विशुद्ध भारतीय हैं। अंग्रेजी में आम का नाम मैंगो मलयालम से पड़ा है। मलयालम में आम को मंगा कहा जाता है। गौरतलब है कि वास्कोडिगामा सबसे पहले वर्ष 1498 में केरल के मालाबार तट पर ही पहुंचा था। यहीं पर उसका और उसके जरिये यूरोपीय दुनिया का आम से परिचय हुआ था। इसके बाद ही यूरोप के एक बड़े हिस्से तक आम पहुंचा और मलयाली मंगा, मैंगो बन गया। हालांकि पिछले कुछ साल आम की बाजारी ख्याति के लिए काफी खराब थे, जब यूरोपीय संघ ने अपने यहां भारतीय आमों पर प्रतिबंध लगा दिया था। ऐसा नहीं है कि दुनिया में आम सिर्फ  भारत में ही होता है। लेकिन आम फल की जो लज्जत है, जिस कारण आम फलों की दुनिया का सिरमौर बना है, उस गुणवत्ता वाला आम सिर्फ  भारत में पाया जाता है। इसीलिये दुनिया के बाजार में ब्राज़ील या दक्षिण अफ्रीका के आम भारतीय आमों के सामने फीके साबित होते हैं। अमरीका में जो छिले और कटे हुए आम बिकते हैं वो मैक्सिकन आम होते हैं। लेकिन जो जनरल स्टोर से बड़ी नजाकत से खरीदकर घर लाये जाते हैं, वे भारतीय आम होते हैं। हालांकि यह भी सही है कि कोई आम चाहे मैक्सिको का  हो या हैती का उसकी जड़ें तो भारत में ही हैं। इन तमाम देशों तक आम भारत से ही पंहुचा है। लेकिन व्यावसायिक जरूरतों और फायदों के मद्देनज़र इन देशों में आम की नस्ल के साथ इतनी छेड़छाड़ हुई है कि अब इनमें उस ओरिजनल आम का स्वाद ही नहीं बचा जो भारतीय आमों में है। इसलिए भारतीय आमों की पूरी दुनिया में कीमत है।भारत में पूरे विश्व की कुल पैदावार का तकरीबन 50 से 52 प्रतिशत आम पैदा होता है। लेकिन बीते सालों में कई मौकों पर अमरीका से लेकर यूरोप और ऑस्ट्रेलिया तक ने भारतीय आमों पर अपने यहां प्रतिबंध  लगा दिया था। तब इन देशों का कहना था कि भारतीय आमों पर कीटनाशकों का छिड़काव बहुत ज्यादा होता है। लेकिन आज भारत के आम उत्पादकों के लिए अच्छी खबर है कि अब फिर सभी देशों में भारतीय आम की धाक जम गयी है खासकर साल 2017 से। दुनिया में भारत को महात्मा गांधी,साधुओं और हाथियों के साथ-साथ  आम से भी जाना जाता है। आम भारत का राष्ट्रीय फल है। हालांकि आम का उत्पादन पाकिस्तान, बंग्लादेश, नेपाल, अमरीका, फिलीपीन्स, संयुक्त अरब अमीरात, दक्षिण अफ्रीका, जांबिया, माले, ब्राजील, पेरू, केन्या, जमैका, तंजानिया, मेडागास्कर, हेती, आइवरी, कोस्ट, थाईलैंड, इण्डोनेशिया, श्रीलंका, सहित और कई देशों में होता है। लेकिन इन सब देशों के आमों में वो बात नहीं है जो हमारे आम में होती है। जहां तक देश में आम उगाने वाले प्रांतों का सवाल है तो सबसे ज्यादा आम की खेती उत्तर प्रदेश में होती है। लेकिन उत्पादन सबसे ज्यादा आन्ध्र प्रदेश में होता है। आम एक ऐसा फल है जो अपनी हर अवस्था में खाया जाता है। आम की दुनिया में कोई 1200 किस्में या प्रजातियां पायी जाती हैं। जिसमें 90 प्रतिशत से ज्यादा प्रजातियां भारत में ही पायी जाती हैं। आम की प्रजातियों का निर्धारण मूलत: उनकी अपनी एक विशिष्ट महक और स्वाद से तय होती है। प्रजातियों के हिसाब से हापुस या अलफांसो देश का सबसे सुंदर और स्वादिष्ट आम है। इसकी विदेशों में बहुत मांग है इस कारण भी यह बहुत महंगा होता है। मार्च में आ जाने वाला हापुस शुरू में 500 से 700 रुपये दर्जन तक बिकता है। इसके अलावा देश की और कई मशहूर आम प्रजातियों में से नीलम, बादाम, तोतापरी, लंगड़ा, सिंदूरी, दशहरी, रत्नागिरी, केसरिया, लालपत्ता आदि हैं।

-इमेज रिफ्लेक्शन सेंटर 
—राजकुमार ‘दिनकर’