बॉलीवुड का सौदागर  सुभाष घई

इसीलिए उनको फिल्म का काफी भाग री-शूट भी करना पड़ा था। जब यह फिल्म निर्माता अपनी दृढ़ता का प्रगटावा करता है तो कोई भी रुकावट उनको रोक नहीं सकती है। इस दलील की प्रौढ़ता एक असली घटना से की जा सकती है। यह ‘गौतम  गोविंदा’ फिल्म की शूटिंग महबूब स्टूडियो में कर रहे थे। सुभाष घई उनकी पत्नी मुक्ता उस समय गर्भवती थी। अचानक मुक्ता के दर्द होनी शुरू हो गई तो सुभाष ने अपने एक श्वास दोस्त को मुक्ता को अस्पताल दाखिल करवाने की प्रार्थना की। वह चाहते थे कि अपना उस दिन का काम मुकम्मल करवा कर ही मुक्ता के पास पहुंचे। लेकिन मुक्ता की तबीयत ज्यादा ही खराब हो गई थी और उन्होंने एक सात महीने के बच्चे को भी जन्म दिया था। अफसोस वाली बात यह हुई कि आप्रेशन के दौरान बच्चे की मृत्यु हो गई थी और मुक्ता भी सारी उम्र के लिए बांझ बनकर रह गई थी। जब सुभाष को इस दुखांत का पता चला तो सैट के एक कोने में बैठकर वह अकेले ही जोर-जोर से रोते रहे थे। लेकिन फिर वह जल्द ही संभल गए और फिल्म के आगले शॉट की तैयारी करने लगे थे। सिनेमा के इतिहास में शायद ही ऐसी प्रतिबद्धता किसी अन्य निर्देशक ने दिखाई है। सुभाष के अपनी तो कोई सन्तान नहीं हुई लेकिन अपने जीवन के खालीपन को भरने के लिए उन्होंने दो काम किए हैं। एक तो अपने भाई (अशोक) की बेटी को उन्होंने अपनी बेटी बना लिया है। दूसरा यह कि उन्होंने अपनी फिल्मों को ही अपनी असली सन्तान समझा है। उन्होंने एक पिता की तरह अपनी फिल्मों के कथानकों से प्यार किया है और रजतपट पर उतारा है। इस दृष्टिकोण से उनकी ‘परदेस’ (1997) और ‘ताल’ (1999) जैसी फिल्मों की शॉट-दर-शॉट पड़ताल करें। हर एक प्रेम अपने आप में एक चित्रकार की कलाकृति का नमूना पेश करता है। ‘परदेस’ फिल्म की फतेहपुर सीकरी मेें फिल्माई गई कव्वाली ‘हो गया है मुझे प्यार’ और ‘ताल’ के बीच चम्बे की पहाड़ियों में फिल्माया गीत ‘ताल से ताल मिला’ निर्देशक की कल्पनाशील कार्यविधि का प्रमाण हैं। यह परिणाम इसलिए बढ़िया रहे, क्योंकि सुभाष को फोटोग्राफी के अलावा संगीत का भी पूरा-पूरा ज्ञान है। कहा तो यह भी जाता है कि उनकी फिल्मों का संगीत राज कपूर की तरह उससे भी प्रभावित रहा है। 
इस संबंध में ‘कर्मा’ के टाइटल गीत ‘मेरा कर्मा भी तू, मेरा धर्मा भी तू’ के बीच बजाया गया एक तारा सुभाष के कहने पर ही प्रयोग किया गया था। इस एक तारे को फिल्म जगत में संगीतकार सज्जाद खान का बेटा ही सिर्फ बजा सकता है। सुभाष ने एक कलाकार को विशेष तौर पर इस गीत की रिकार्डिंग के समय बुलाया था।