बॉलीवुड का सौदागर  सुभाष घई

यह सुभाष घई की कला पक्ष की विशेषता यह कि उन्होंने भिन्न-भिन्न कथानकों को लेकर बहुत दिलचस्प और सफल फिल्मों का निर्माण किया है। ‘कज़र्’ (1980) एक अंग्रेज़ी फिल्म ‘रीनकारनेशन’ से प्रेरित होकर बनाई गई पुनर्जन्म से संबंधित फिल्म थी। इसमें ऋषि कपूर और सिम्मी की प्रमुख भूमिकाएं थीं। टीना मुनीम ने भी इसमें महत्वपूर्ण रोल निभाया था। फिल्म के माहौल के मुताबिक ही सुभाष ने इसकी शूटिंग खंडाला में की थी। संगीतज्ञ दृष्टिकोण से भी ‘कज़र्’ बहुत ही लोकप्रिय मूवी सिद्ध हुई थी।अपनी अगली फिल्म ‘हीरो’ (1983) का फोक्स भी उन्होंने खंडाला की पहाड़ियों पर ही रखा था। इसका नायक ‘जैकी श्राफ’ एक अपराधी है जोकि नायिका ‘मीनाक्षी शेषाद्रि’ का अपहरण कर लेता है लेकिन उसके अंदर का इन्सान जाग उठता है और वह फिर समाज की मुख्य धारा से जुड़ जाता है। सुभाष की कुशलता का प्रमाण यहां से भी मिल सकता है कि वह नए कलाकारों से भी उसी सहजता से काम करवा लेते थे, जिस समझदारी से वह पुराने अदाकारों को संभालते थे। जैसी श्रॉफ और महिमा चौधरी को भी वह वही प्राथमिकता देते थे, जो वह दलीप कुमार, राजकुमार और शम्मी कपूर को देते थे। दलीप कुमार के साथ उन्होंने तीन फिल्में  ‘कर्मा’, ‘सौदागार’, ‘विधाता’ की थीं। उन्होंने ‘सौदागर’ में दलीप के साथ राज कुमार को भी लिया था। इन दोनों महान कलाकारों को एक साथ संभालना सदा ही कठिन रहा था। इसीलिए ‘पैगाम’ के बाद यह ‘सौदागर’ में ही नज़र आए थे। फिल्म की शूटिंग शुरू करने से पहले इन दोनों ने ही सुभाष के पास फिल्म की पटकथा के हर पेज़ पर हस्ताक्षर करवाए थे, ताकि कोई दृश्य उनकी मज़र्ी के बगैर बदला न जा सके। लेकिन सुभाष कभी भी किसी कलाकार के साथ अन्याय नहीं कर सकते, इसलिए ‘सौदागर’ की शूटिंग भी बगैर किसी रुकावट के कुल्लू में हुई थी। इसी तरह ही ‘राम लखन’ में उन्होंने अनिल कपूर को ‘मेरी जंग’ के बाद दोबारा प्रतिष्ठा दिलवाई। नायिकाओं के दृष्टिकोण से उन्होंने मनीषा कोइराला, महिमा चौधरी और मीनाक्षी शेषाद्रि जैसी तुलनात्मक रूप में उस समय नई नायिकाओं का भी उन्होंने ही करियर बदला था। वैसे तो माधुरी दीक्षित के संबंध में भी उन्होंने भविष्य की मधुबाला कहकर उनका प्रचार किया था।हां, एक दो बार ऐसे मौके भी आए कि सुभाष घई विवादों में भी फंस गए थे। इस दृष्टिकोण से उनकी फिल्म ‘खलनायक’ का हवाला दिया जा सकता है। इसके बीच एक गीत ‘चोली के पीछे क्या है’ काफी विवाद का विषय बना रहा था। कई आलोचकों ने इसका सीधा संबंध अश्लीलता से ही जोड़ा था। इसी तरह ही इसका कथानक राजनीतिक संस्थानों द्वारा भी काफी नकारा गया था।