बरसात में एलर्जिक बीमारियों  से कैसे करें बचाव


वर्षाकाल का प्रवेश जून मास के तापमान में सतत उतार-चढ़ाव लाता है। इसके बाद जुलाई, अगस्त में झड़ीदार बारिश होती है, जबकि अक्तूबर, नवम्बर में खुशनुमा सुहावना मौसम होता है। यदा-कदा हवा से ठंडी सिरहन होती है। इतने सब उतार-चढ़ाव के बाद भी हमारी दिनचर्र्या एवं खानपान, रहन-सहन गर्मी जैसा रहता है। हम उसमें ऋतु के अनुरूप बदलाव नहीं लाते जबकि वर्षाकाल के समय शरीर नाजुक होता है, जिसमें अनेक रोगों के साथ एलर्जिक बीमारियों व जोड़ों में दर्द की शुरुआत होती है।
एलर्जिक बीमारियां : वर्षाकाल में तापमान में कमी के कारण, बैक्टीरिया, वायरस अर्थात् जीवाणुओं, कीटाणुओं को पनपने का अवसर मिलता है। तब शरीर की रोग प्रतिरोधक क्षमता में कमी के कारण इनका प्रभाव बढ़ जाता है, जिससे हर कोई संक्रमित होता है, इस समय गले की एलर्जी और सांस लेने की तकलीफ बढ़ जाती है। खांसी, जुकाम जल्द पकड़ता है। अस्थमा का दौरा पड़ने लगता है। एलर्जी के कारण ही त्वचा में दाने व रेशेज होते हैं। आंखों के लाल होने व उनमें खुजली की शिकायत बढ़ जाती है।
एलर्जी से बचाव : वर्षाकाल में धूप की कमी के कारण घरों में सीलन बढ़ जाती है। कपड़े ठीक से सूख नहीं पाते हैं। इससे उनमें छिपे जो एलर्जी तत्व होते हैं, उनकी सक्रियता बढ़ जाती है, अतएव जब भी मौसम खुले एवं धूप निकले, कपड़ों को धूप दिखाएं। इससे इनकी सीलन खत्म होगी। दिन में तीन-चार बार आंखों को साफ पानी से धोएं। धूप का चश्मा पहनें। तेज हवा-पानी से बचें। खानपान, पौष्टिक व संतुलित हो। इससे रोगों से लड़ने की क्षमता बढ़ेगी। हर रोज़ गुनगुने पानी से नहाएं। ज्ञात एलर्जिक तत्वों से दूर रहें।
जोड़ों में दर्द : यूं तो जब भी ऋतु परिवर्तन होता है तब जोड़ों में पीड़ा की परेशानी बढ़ जाती है। इनमें वर्षाकाल ऐसा होता है, जिसमें यह परेशानी और अधिक होती है। कमर दर्द, पीठ दर्द, गर्दन में दर्द, हाथ-पैर में अकड़न होती है। गठिया एवं हड्डी रोग वालों की परेशानी बढ़ जाती है। वृद्ध एवं महिलाएं इससे ज्यादा पीड़ित होती हैं।
जोड़ों में दर्द से बचाव : बारिश के पानी में ज्यादा न भीगें। यदि भीगे हैं तो जल्द शरीर सुखा लें। जब भी नहाएं, नमक मिले गुनगुने पानी से नहाएं। ए.सी, कूलर की ठंडी हवा से बचें। ठंडी जगहों पर न जाएं। ठंडा पानी, कोल्ड ड्रिंक्स, आइसक्रीम आदि न लें। बासी चीजें न खाएं। पंखे के सीधे नीचे न रहें। कपड़े धुले, साफ व सूखे पहनें। रात में ठंड होने पर चादर उपयोग करें।
बारिश में भीगना
वर्षाकाल की शुरुआत में पानी में भीगने से घमौरियां, फुंसियां, जलन, खुजली दूर होती हैं, लेकिन जब बारिश बढ़ जाती है, तब उसके पानी में ज्यादा भीगना नुक्सानदायक होता है। जून-जुलाई की बारिश तक तो सब ठीक रहता है। अगस्त, सितम्बर, अक्तूबर की बारिश से पानी में ठंडक बढ़ जाती है। यह पानी ज्यादा नुक्सान पहुंचाता है। इसमें ज्यादा भीगना सर्दी, जुकाम, जकड़न को निमंत्रण देने जैसा है।
—सीतेश कुमार द्विवेदी