ललवर्थ  किले की शांतिपूर्ण भव्यता 

मीलों तक अविक्षुब्ध, हरे रत्न-सी हरियाली में ड्राइव करते हुए हम मनमोहक ललवर्थ किले तक पहुंचे। वहां पर हवा इतनी शुद्ध थी मानों हम ऑक्सीजन गैस चेम्बर में सांस ले रहे हों। हम इंग्लैंड के ज्यूरेसिक तट पर ट्रिप के लिए आए थे जिसका भाग ललवर्थ किला भी है। कार पार्क से हरी-भरी घास पर पैदल चल कर हम किले तक पहुंचे जिसकी सीमा दीवार 4 मील लम्बी है। इतनी लम्बी दीवार बनाने में हाथ से बनी 10 मिलियन ईंटें प्रयोग की गईं जो मध्यकालीन युग में सरल कार्य न था।ललवर्थ कासल के मुख्य द्वार के बाहर 2 बोर्ड्स पर ललवर्थ एस्टेट से संबंधित रोचक कृषि तथ्य लिखे थे : 150 एकड़ भूमि में फसल उगाई जाती है, प्रसिद्ध ब्रेड मार्क्स एंड स्पेन्सर के लिए उत्तम स्तर का दूध का उत्पादन किया जाता है, बड़ी मात्रा में ऊन, लेदर, मीट, आटा एवं रेप सीड से तेल का उत्पादन किया जाता है। ललवर्थ किले की एस्टेट में यह सब कृषि संबंधित कार्य आधुनिक ढंग से किए जाते हैं।हमने जाना कि एस्टेट में चारागाह भी है एवं वनस्थली भी जिसमें अनोखे प्राचीन वृक्ष पाए जाते हैं। यहां पर 168 किस्म के विशेष लाइकेन (पेड़ या चट्टान पर उगने वाली एक प्रकार की काई) पाई जाती है जो पूर्णत: प्रदूषण रहित स्थल पर ही उगती है जहां हवा एवं वर्षा भी प्रदूषण रहित होती है।
इतिहास के पन्ने : फिर हमने 80 फीट ऊंचे, 116 फीट चौड़े, चार मंजिला ललवर्थ किले में प्रवेश किया जैसे कि हम मध्यकालीन कहानी के पात्र हों। सर्वप्रथम सूचना पेनल पर किले के प्रथम स्वामी परिवार होवडर्स ऑफ बिनडन के जीवन के घटनाक्रम एवं ब्रिटेन के राज परिवार से घनिष्ठ संबंधों की रोचक जानकारी थी। फिर 16वीं शताब्दी के अंत में परिवार के सदस्य थॉमस होवर्ड को विसकाउन्ट बिनडन की उपाधि से ब्रिटेन की महारानी एलिज़ाबेथ ने सम्मानित किया। शक्तिशाली होवडर्स ऑफ बिनडन परिवार ने विशाल, संयुक्त ललवर्थ एस्टेट की रचना की। 1608-10 ऐ.डी. में थॉमस हावर्ड ने ललवर्थ किला बनवाया था। ब्रिटेन के राज-परिवारों का भोजन आदि से अतिथि सत्कार एवं मनोरंजन किया जाता था। उनके वंशज लार्ड बिनडन तृतीय ने यहां ब्रिटेन के महाराजा जेम्स प्रथम को शिकार के लिए निमंत्रित किया। इसके अगले सूचना पेनल पर हमने पढ़ा कि 1641 में ललवर्थ किला एक हंटिंग लॉज (शिकार गाह) के रूप में बिक गया और ललवर्थ कासल के नए स्वामी हफरी वेल्ड का इस मध्यकालीन कथा में प्रवेश हुआ। उन्होंने कभी भी ऐसा न सोचा था कि आने वाली शताब्दियों में यह किला उनका पुश्तैनी घर होगा जो आज एक लोकप्रिय पर्यटक स्थल भी है। बाद में सिविल वार में जब वेल्ड परिवार का घर जला दिया गया तो वे सब किले में शिफ्ट हो गए एवं अनेक परिवर्तनों के पश्चात् ‘किले से घर की रचना की गई।’ पेनल पर वेल्ड परिवार के मध्यकालीन पूर्वजों का व्यापक विवरण था जिनके जीवन में पारिवारिक, वित्तीय एवं राजनीतिक उतार-चढ़ाव आए जो नियति का भाग हैं।
ललवर्थ किले का अग्निकांड : किले में भ्रमण करते हुए कुछ हिस्सों को देख ललवर्थ किले के 1929 के भीषण अग्निकांड का स्मरण हो आया। विनाशकारी अग्नि से किला क्षतिग्रस्त हुआ और धीरे-धीरे आधे जले पत्थरों की दीवारें और लकड़ी गलने लगी, खंडहर किला गिरने के कगार पर आ गया। तब 70 वर्ष पश्चात् ब्रिटेन की इंगलिश हेरिटेज संस्था की सहायता से वेल्ट परिवार ने सम्मोहक अतीत वाले ललवर्थ किले को पुन: रचित करवाया और 1998 में अति आकर्षक रूप में पर्यटकों के लिए इसे खोल दिया गया। साथ ही वहां पर ललवर्थ कासल के वर्तमान स्वामी विल्फ्रेड वेल्ड का स्वागत मैसेज छपा था जो वेल्ड परिवार के सीधे वंशज हैं। उनकी 5000 हेक्टेयर की एस्टेट में कृषि भूमि, वुडलैंड (वनस्थली) एवं अत्यधिक प्राकृतिक सौंदर्य वाले क्षेत्र सम्मिलित हैं। विकासशील एस्टेट को वह निरंतर आधुनिक करते रहते हैं। जब से कासल जला है, उनका परिवार बाहर दूसरे भवन में रहता है।
इंटीरियर : भीतरी सजावट : इतिहास के पन्नों से बाहर आकर हमने ललवर्थ कासल के 16 वोलटिड कक्षों का भ्रमण किया जो यादगार संग्रहों, दर्शनीय सामान से सुसज्जित थे। प्रत्येक कमरे में रोचक तथ्यों वाले सूचना पेनल लगे थे जिन पर बीते समय के मंत्रमुग्ध करते विवरण थे। हमने नोटिस किया कि किले के बाहर एवं अंदर अनेक कुरूप ‘गारगोयलस’ टंगे हैं जिनकी संख्या 30 है। ‘गारगोयल’ आरंभिक मध्यकालीन फ्रेन्च मूल के पत्थर या अन्य से बने मुखौटे हैं जिन पर कुरूप मानव या जानवर का चेहरा लगा होता है। मुखौटे पर चायदानी समान टोंटी होती है जिससे वर्षा आदि के जल का निकास हो सकता है। अधिकतर माना जाता है कि गारगोयल प्रेतात्मा एवं बुरी नजर से बचाते हैं।