एक आश्चर्य पीसा की झुकी मीनार

पुराने राजाओं-महाराजाओं को महल, किले, मकबरे, मीनारें बनवाने का बहुत शौक था। वे अपने अस्तित्व को चिरस्थाई बनाना चाहते थे
ताकि आने वाले लोग उन्हें याद कर सकें। मुगल गार्डन, मकबरे, महल आज तक अपना अस्तित्व बनाए हुए हैं। पुरातत्व विभाग इनकी देख रेख करता है। ताजमहल, पीसा की मीनार, गेडस की मूर्ति, सिकन्दरिया के प्रकाश स्तम्भ, ओलम्पिया में जियस की मूर्ति सब आज भी विश्व के आश्चर्यों की श्रृंखला में अपना नाम दर्ज किए हुए  हैं। पीसा की मीनार का निर्माण 12 वीं शताब्दी से शुरू हो कर 14 वीं शताब्दी तक चलता रहा। जिस प्रकार भारत का कुतुबमीनार, चार मीनार, ताजमहल अपने विशिष्ट गौरव के कारण प्रसिद्ध हैं, उसी प्रकार इटली देश में पीसा नाम के शहर में पीसा मीनार आज भी अपनी गौरव गाथा कहती है। यह मीनार करारा नाम के चमकदार पत्थर से बनी है जो सूर्य की किरणों से ज्यादा चमकता है। सूर्य रश्मियों के पड़ने पर सारी इमारत चमकदार मालूम पड़ती है। यह कारीगरों एवं शिल्पकारों के कला कौशल का नमूना है। इसकी नींव इतनी पक्की है कि यह एक तरफ झुकी हुई होने के कारण गिरती नहीं। इसका सेन्टर आफ ग्रेविटी आधार से बाहर नहीं जाता। यह कभी भी गिर कर हानि पहुंचा सकती है। इसलिए पीसा सरकार ने दूसरी तरफ मोटी लोहे की रस्सियों से इसको बांध दिया है। माना जाता है कि रोम में भी एक ऐसी ही मीनार खड़ी है जो झुकी हुई है। कई बार हिलने के बावजूद अडिग है।एक बार में एक तेज भूकम्प आया था तब पीसा मीनार में 22 मिनट तक कंपन्न होता रहा परन्तु अपने आधार को छोड़ा नहीं। वह ज्यों की त्यों बनी रही। यह दुर्लभ मीनार मिट्टी में एक तरफ झुकी हुई है परन्तु यह आने वाले युग में स्थिर रहेगी। तभी इसे पीसा की झुकी मीनार कहते हैं। यह दुनियां का आश्चर्य माना जाता है।  मीनार आधार से 4 मीटर चौड़ी है। इसकी 8 मंजिलें हैं। कुल ऊंचाई 55 मीटर तक है। अन्दर कुतुब मीनार की तरह 300 सीढ़ियां गोलाई में बनी हैं। इसे 1174 में बनाना शुरू किया और इसे 1350 तक पूर्ण किया
गया।


-विजेन्द्र कोहली गुरदासपुरी