दीपावली का महत्व समझें


दीपावली ‘दीयों का पर्व’, खुशियों का पर्व, हर्षोल्लास का पर्व और बुराई पर अच्छाई की जीत का पर्व है। हम साल भर पर्वों की प्रतीक्षा करते रहते हैं और जब वह आ जाते हैं तो ढेरों पैसा पानी की तरह बहाकर सोचते हैं कि हमने त्यौहार बहुत अच्छा मनाया है। पर त्यौहार मनाने का मतलब है उसके अर्थों को जानना, उसके मायने और अहमियत से वाकिफ होना। तभी उसकी असल छाप हमारे दिलों पर पड़ेगी।
अब दीपावली को ही ले लीजिए। हम क्या सीखते हैं शायद कुछ भी नहीं। बच्चे पटाखों में मग्न, बड़े नशे में और माएं चिंताओं में डूबी रहती हैं और दिन ढल जाता है। अपने बच्चों को सबसे पहले परिवार की अहमियत बताइए। फिर उसे अपने इतिहास से रू-ब-रू कीजिए। तब जाकर वह इस पर्व को मनाने का सही ढंग समझेगा। आज की युवा पीढ़ी को न तो दीपावली के मायने पता हैं न ही इसे मनाने का कारण, देखा-देखी घरों को रंगना, महंगे गिफ्ट लेना-देना, मिठाइयों की जगह काजू, किशमिश, बांटना और चुपचाप कमरों में टी.वी. के आगे आंखें गाड़कर बैठ जाना। सोचो तो सही कि इतिहास में कितनी खूबसूरत रोमांचक कथाएं छुपी पड़ी हैं। उसे जानो, पढ़ो और इस दिन की अहमियत को अपनाओ। तभी इस त्यौहार का असली मज़ा ले सकोगे। खामख्वाह इसे नशे में न डुबाओ, रिश्तों में न उलझाओ, बल्कि त्यौहार को सबके साथ मनाओ। 
अपने आसपास फैली बुराई को खत्म कर, बेइंसाफी को इंसाफ बनाकर, झूठ को झूठ साबित कर इस त्यौहार की रौनक में चार चांद लगा सकते हैं। 
तो इस दीपावली पर वादा करें कि आप कुछ अलग करेंगे जिससे यह दीपावली आपके परिवार में यादगार बनकर रह जाए व आप इसके हीरो। दीवाली मुबारक।
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एस.बी.एस. नगर, उड़ापड़, नवांशहर।