हाईकोर्ट के आदेश के बावजूद : प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड की नाक तले चल रहे हैं भट्ठे

ज़ीरा, 3 फरवरी (अ.स.): हाईकोर्ट के आदेशों को नज़रअंदाज़ करते हुए ज़ीरा क्षेत्र में पंजाब प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड की नाक तले बिना ‘हाई ड्राफ्ट’ तकनीक अपनाए कई भट्ठे चल रहे हैं। उल्लेखनीय है कि वातावरण के बिगड़ रहे संतुलन को रोकने के लिए पंजाब सरकार द्वारा जहां किसानों को पराली को आग लगाने पर पाबंदी लगाई है, वहीं भट्ठों की चिमनियों से निकल रहे ज़हरीले धूएं को रोकने के लिए भट्ठा मालिकों को ‘हाई ड्राफ्ट’ तकनीक अपनाने के आदेश दिए थे, परंतु ज़ीरा क्षेत्र में चल रहे भट्ठों में से कुछ भट्ठा मालिकों ने यह ‘हाई ड्राफ्ट’ तकनीक अपनाई है, जबकि बाकी भट्ठे बिना ‘हाई ड्राफ्ट’ तकनीक अपनाए चालू कर दिए हैं और कुछ चलने की तैयारी में हैं। एक भट्ठा मालिक ने अपना नाम गुप्त रखने की शर्त पर बताया कि ‘हाई ड्राफ्ट’ तकनीक को भट्ठे के अंदर स्थापित करने के लिए 50 लाख रुपए के करीब खर्च आता है, जिसमें बिजली कनैक्शन, मोटर, पंखे व इंजन आदि मशीनरी की ज़रूरत पड़ती है। बेशक भट्ठा मालिकों का इस तकनीक से उद्योग में निवेश तो बढ़ता है, परंतु वातावरण साफ-सुथरा बनाए रखने में यह तकनीक बहुत सहायक है और ईंट की गुणवत्ता पर भी इसका कोई असर नहीं पड़ता और ईंट बहुत बढ़िया तैयार होती है। इस संबंधी बातचीत करते हुए समाजसेवी गुरचरन सिंह नूरपुर,  हरजीत सिंह वधवा, प्रताप सिंह हीरा, वेद प्रकाश सोनी, लैक्चरार नरिंदर सिंह ने कहा कि हाईकोर्ट के आदेशों को नज़रअंदाज़ करते हुए जो भट्ठे चल रहे हैं, वह पंजाब प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड के अधिकारियों की मिलीभगत की ओर इशारा करते हैं और इस व्यवहार से पंजाब का प्रदूषित हो चुका वातावरण और भी खराब होगा। इस संबंधी बातचीत करते हुए किसान नेता दर्शन सिंह मीहां सिंह वाला ने कहा कि यदि किसानों द्वारा पराली को आग लगाने पर सरकार पाबंदी लगा रही है तो उद्योगपतियों के प्रति सरकार का व्यवहार क्यों नरम है, जोकि सरकारी तंत्र में फैले भ्रष्टाचार की ओर इशारा करता है। इस संबंधी जब एसडीओ पंजाब प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड के साथ फोन पर बातचीत करनी चाही तो उनके साथ सम्पर्क नहीं हो सका।