अब पंजाबी गीतों में ‘अपशब्दों’ का हुआ बोलबाला

वरसोला, 11 फरवरी (वरिन्दर सहोता) :  पिछले लम्बे समय से पंजाबी गीतों में नशों, हथियारों और अश्लीलता का बोलबाला रहा है। समय-समय पर बुद्धिजीवी और पंजाबी भाषा को प्यार करन वाले लोग इस का विरोध भी करते रहे हैं, परन्तु इस विरोध का अभी तक भी कोई प्रभाव होता दिखाई नहीं दिया। अब पंजाबी गीतों में हथियारों, नशों और अश्लीलता के बाद अपशब्दों का बोलबाला हो गया है। बिना किसी रोक- टोक के लगातार ऐसे गीतों की संख्या बढ़ रही है। बड़ी चिंता की बात यह है कि ऐसे गीतों को यू- ट्यूब के द्वारा श्रवण वालों की संख्या 6 6 मिलियन में है। इस से अंदाज़ा लगाया जा सकता है कि पंजाबी लोग अपने सभ्याचार और अपनी भाषा के साथ कितना मोह करते हैं और अपनी भाषा का कितना सम्मान करते हैं। इस की सब से बड़ी उदाहरण हमारे सामने उस समय आई है जब एक 14 वर्षीय बच्चे ने अपने एक गीत में जी भर कर अपशब्दों का प्रयोग की और जब इस गीत को यू- ट्यूब पर डाला गया तो कुछ दिनों में ही इस को सुनने वालों की संख्या लाखों में हो गई। यहाँ तक कि अपने- आप को बड़े गायक कहलाने वाले भी इस 14 वर्षीय गायक की अपने साथ वीडीउज़ बना कर सोशल मीडिया पर शेयर कर रहे हैं। इस तरह नशों, हथियारों और अश्लीलता के बाद पंजाबी गायकों ने अपना रुख अपशब्दों की तरफ कर लिया प्रतीत होता है। यहां यह भी वर्णनीय है कि अलग- अलग समय पर सरकारें की तरफ से यह ऐलान किये जाते हैं कि पंजाबी गीतों का सैंसर बोर्ड बनाया जायेगा। परन्तु सरकारों के यह ऐलान अभी इनके खिलाफ आवाज़ उठाने वाले पंडित राव ने बताया कि पंजाब सरकार इस रुझान को रोकने में बुरी तरह फेल साबित हुई है। इस सरकार ने पंजाबी को प्यार करन वाले लोगों को झूठी तसल्ली देने के लिए बीते समय दौरान एक संस्कृतिक कमीशन का गठन किया था। जिस में प्रसिद्ध लोग गायक पम्मी बाई को डायरैक्टर और सुरजीत पातर को प्रधान नियुक्त कर दिया गया था। परन्तु इस कमीशन को न कोई अनुदान दी और न ही इस रुझान को रोकनो के लिए कोई हिदायतें दीं। इस तरह यह कमीशन भी लोगों की आँखों में धूल झोंकने वाला ही प्रतीत होता है।  उन्होंने पंजाब एवं हरियाणा हाईकोर्ट का दरवाज़ा खटखटाया है और माननीय हाई कोर्ट ने 20 फरवरी को इस के लिए पंजाब सरकार के इलावा हरियाणा, दिल्ली और केंद्र सरकार को जवाब दावा पेश करन के आदेश दिए हैं। दूसरे तरफ़ लोग सभ्याचार अहाता रजि. गुरदासपुर के प्रधान जैकब तेजा, समाज सेवीं नेता डार् एस. यूसफ और सुरिन्दर सफ़ेद ने पंजाबी गीतों में अधिक रहे नशों, हथियारों, अश्लीलता और अपशब्दों के रुझान पर बड़ी चिंता का प्रकटावा करते हुए कहा कि इस रुझान को रोकने के लिए सब से पहले सोशल मीडिया के लिए सरकार को मापदंड तय करने चाहिएं, क्योंकि इस के साथ जहाँ नौजवान पीढ़ी पर बहुत बुरा प्रभाव पड़ रहा है, वहाँ पंजाबी बोली के सम्मान को गहरी चोट लग रही है।