सुंदरता बढ़ाते नकली आभूषण

शादी-ब्याह के अवसरों पर इन मौकों की रौनक बढ़ाने वाली महिलाओं के पहनावे और साज शृंगार में भारी परिवर्तन  होता जा रहा है। आज वे अपनी नेल-पॉलिश, पाऊडर, बिंदी, मेल खाती लिपस्टिक पर जहां एक ओर ध्यान दे रही हैं, वहीं वे दूसरी ओर विभिन्न प्रकार के अलंकृत आभूषणों का भी प्रयोग करने लगी हैं। फैशन के बाज़ार में ये आभूषण स्त्री के सौंदर्य में जहां चार चांद लगाते हैं, वहीं उसके नैसर्गिक सौंदर्य में भी झिलमिलाहट पैदा करते हैं ये आभूषण। यही कारण है कि स्त्रियों का आभूषणों के प्रति लगाव अधिक होता है। नारी चाहे पूर्व की हो चाहे पश्चिम की, अलंकरण के प्रति उसका आकर्षण सहज व स्वाभाविक होता है। यह बात और है कि आभूषणों की मूलभूत धातु आकार संरचना में समयानुरूप परिवर्तन होता जा रहा है। फूलों के आभूषणों के स्थान पर अब धातु के बने आभूषण फैशन में आ गए हैं। नकली गहनों में जहां एक ओर सोने की सी चमक वाले आभूषण आज मार्किट में है, वहीं दूसरी ओर ‘आक्सीडाइज्ज मेटल’ से बने आभूषण भी मार्किट में आ चुके हैं और आज फैशन की दुनिया की मांग बने हुए हैं। आक्सीडाइज्ड मेटल के बने आभूषण कुछ काले, कुछ चमकदार होते हैं। इन आभूषणों की लोकप्रियता हर वर्ग, हर स्तर के लोगों में बढ़ी है। यहां तक कि अब विवाह पर भी आर्थिक विषमता के चलते वधु को सोने की पालिश चढ़े गहनों से अलंकृत देखा जा सकता है। आभूषणों के क्षेत्र में आने वाली इमीटेशन  क्रांति का श्रेय आधुनिक तकनीक से असली हीरों से भी अधिक चमक देने वाले सिंथेटिक डायमंड या अमरीकन डायमंड (जरकन) को भी जाता है।  इन ‘अमरीकी हीरों’ ने आभूषण जगत की काया पलट ही कर डाली है। लगभग हर आकार में उपलब्ध इस हीरे की फिनिश व चमक इतनी अच्छी होती है कि असली हीरा भी इसके सामने फीका पड़ जाए। असली-नकली का फर्क कोई पारखी या जौहरी ही बता सकता है। इन नकली आभूषणों का क्षेत्र काफी वृहद होता है। परम्परागत प्रचलित प्रकारों के अतिरिक्त आदिवासी शैलियों और विदेशी नमूनों के गहने भी भरपूर मात्रा में मिलते हैं। ये नकली आभूषण सस्ते होने के कारण फैशन के बाज़ार में खूब चलते हैं।

—पूनम दिनकर