लहसुन का उत्पादन घटा : भविष्य में तेज़ी


नई दिल्ली, 19 फरवरी (एजेंसी): इस वर्ष लहसुन की फसल 40 प्रतिशत कम होने से मंडियों में आवक का दबाव नहीं बन पा रहा है। यही कारण है कि यूपी-एमपी के उत्पादक मंडियों में ऊंचे भाव खुले हैं। थोड़ा बाजार घटने पर इस बार लहसुन का व्यापार बहुत बढ़िया हो सकता है।
टुंडला, शिकोहाबाद, भिंड, मुरैना एवं ग्वालियर लाइन में इस बार लहसुन की फसल औसतन 40 प्रतिशत कम आई है। यह मानते हैं कि लहसुन की फसल पूरे यूपी, एमपी में होती है, लेकिन 70 प्रतिशत उत्पादन उक्त यूपी-एमपी के सीमावर्ती क्षेत्रों में ही होता है। इस समय नया लहसुन 40/45 रुपए वहां की मंडियों में बिक रहा है, जबकि पुराना माल 20/25 रुपए किलो चल रहे हैं। गौरतलब है कि सीजन की तेजी नुकसानदायक होती है, लेकिन इस बार पुराना स्टॉक कट चुका है तथा चौतरफा नई फसल का लहसुन जमीन के अंदर कम बैठा है। मौसम प्रतिकूल होने एवं पिछैती बरसात से कुछ क्षेत्रों में नुकसान भी होने की खबरें आ रही हैं क्योंकि जिन क्षेत्रों में पानी ठहर गया था, वहां लहसुन की गांठें खराब हो गयी थीं। उत्पादक मंडियों से मिली जानकारी के मुताबिक जिन मंडियों में लहसुन 140-150 बोरी उतरता था, वहां मुश्किल से 70-80 बोरी आ रहा है। इधर दिल्ली सहित हरियाणा, पंजाब व हिमाचल की चालानी मांग अच्छी निकलने लगी है। इन परिस्थितियों को देखते हुए इस बार ऑफ सीजन में लहसुन के दोगुने भाव भी हो सकते हैं। उधर बिहार-बंगाल में भी लोकल माल कम निकलने की संभावना है क्योंकि वहां पिछैती बिजाई आलू की निकासी के बाद होती है। पूर्वी यूपी में भी कोई विशेष दम नहीं है। अत:  5/7 रुपए किलो के मंदे पर पूरा स्टॉक करना चाहिए।