प्राकृतिक सम्पदा से भरपूर है चित्रकूट तीर्थ

भारत वर्ष में अनेक तीर्थ हैं जो स्वनाम धन्य हैं। इन तीर्थों में अवतार रूप में भगवान ने निवास किया अथवा भ्रमण किया अथवा अन्य किसी कर्म के लिए भूमि की रज को पवित्र किया। इन सभी तीर्थों का पुराणों में, रामायण, महाभारत में अथवा अन्य धर्मग्रंथों में उल्लेख मिलता है।  भारत का चित्रकूट भी एक ऐसा स्थान है जिसकी रज-रज भगवान की दिव्य सत्ता से ओत-प्रोत है। भगवान विष्णु अपने राम अवतार में बारह वर्षों तक वनों में भ्रमण करते रहे। ऐसा माना जाता है कि चित्रकूट की पावन भूमि पर भगवान राम साढ़े ग्यारह वर्षों तक रहे। चित्रकूट का प्राकृतिक परिवेश सीता जी को इतना अच्छा लगा था कि उन्होंने श्री राम जी से वनवास की अवधि वहीं पर बिताने का आग्रह किया था।
चित्रकूट प्राकृतिक सम्पदा से भरपूर है। ऊंचे-ऊंचे शैल शिखर, हरे-भरे-पेड़-पौधे, विभिन्न तरह के फलों की खुशबू, मखमली चादर ओढ़े हरित भूमि, यह सब हर किसी को अपनी ओर आकृष्ट करते हैं। श्री राम भी भला इससे अछूते क्यों रहते? कर्क रेखा के निकट होने के कारण चित्रकूट का मौसम परिवर्तित होता रहता है। बाल्मीकि रामायण, तुलसीकृत रामायण में चित्रकूट का प्राकृतिक सौष्ठव बखूबी वर्णित हुआ है। बाल्मीकि तथा तुलसीदास ने चित्रकूट के प्राकृतिक सौन्दर्य का श्रीराम जी व सीता जी के शब्दों में जो वर्णन किया है, वह साहित्यिक  दृष्टि से अतुलनीय है। भगवान राम, सीता, लक्ष्मण को चित्रकूट का परिवेश इतना अच्छा लगा कि पाठक उसे दोनों ही रामायण ग्रंथों में पढ़ सकते हैं।पदम् पुराण, स्कन्द पुराण, मेघदूत, आर्कियालोजिकल सर्वे ऑफ इण्डिया भी चित्रकूट का वर्णन करते हुए नहीं अघाते। चित्रकूट समुद्र तल से अठारह सौ फुट की ऊंचाई पर है। रहस्यमयी गुफाओं, उत्तंग शैल-शिखरों, नदियों, संतों के अखाड़ों, मंदिरों की घनघनाती घंटियों आदि से बरबस ही लोग आकृष्ट हुए बिना नहीं रहते।गुप्त गोदावरी : यह चित्रकूट से 22 किमी. दूर स्थित है। यहां प्राकृतिक रूप से पर्वत श्रेणी पर दो गुफाएं हैं। इन गुफाओं तक पहुंचने के लिए काफी ऊंचाई तक सीढ़ियों से जाना पड़ता है। गुफाओं तक पहुंचने के पश्चात अलौकिक दृश्यों के दर्शन होते हैं। गुफाओं में भीतर तक जाना पड़ता है। गुफाएं गहरी अंधेरीनुमा हैं। इन गुफाओं में से गोदावरी नदी बहती है जिसका प्रवाह गुप्त है। इस प्रकार से गुप्त गोदावरी नदी का यह प्राकट्य स्थल है। पानी कहां से आता है, इसका पता  लगाना नामुमकिन है। सनातन धर्म में गुप्त गोदावरी नदी में स्नान करना बहुत पुण्यदायी माना गया है। हर कोई गुप्त गोदावरी नदी तक पहुंचने वाला स्नान अवश्य करता है।स्फटिक शिला : स्फटिक से बनी हुई मूर्तियां हिन्दू धर्म में पवित्र मानी जाती हैं। स्फटिक सर्व सुलभ नहीं है। स्फटिक से बनी हुई मूर्तियां आकर्षक लगती हैं लेकिन चित्रकूट में तो स्फटिक विशाल चौकीनुमा शिला अवस्थित है जिस पर श्री राम व सीता जी के चरण चिन्ह बने हुए हैं। चित्रकूट की स्फटिक शिला लम्बे-चौड़े आकार की है जो प्रकृति का वरदान है। चित्रकूट में रामघाट, मंदाकिनी स्थल, तुलसीदास आश्रम, बड़ा मठ, पर्णकुटी, निर्मोही अखाड़ा, बालाजी मंदिर, प्रमोद वन, अनसूया आश्रम, हनुमान धारा, सीता रसोई, भरत कूप, बांके सिद्ध, कोट तीर्थ, कालिंजर दुर्ग, बाल्मीकि आश्रम, सूर्यकुण्ड, गणेश बाग आदि अन्य दर्शनीय स्थल हैं। (उर्वशी)