वाह वाह ताज कुछ अनदेखे तथ्य ताजमहल के बारे में 

ताजमहल के बारे में भारत का बच्चा-बच्चा जानता है, ताजमहल का नाम लेते या सुनते ही सफेद संगमरमर की मूरत मन में उभर आती है। जब तक ताजमहल नहीं देखा था, मन में ताजमहल की कोई ओर तस्वीर बनती थी, परन्तु ताजमहल देखने के बाद यह बदल गई है क्योंकि जिस खूबसूरती और मेहनत के साथ उसका  विवरण बनाया गया है, उसे देखकर अपनी आंखों पर यकीन नहीं होता। इसी कारण  ताजमहल को विश्व के सात अजूबों में स्थान मिला है। आज आपके साथ इस खूबसूरत निर्माण के वे तथ्य सांझे करेंगे, जिनसे काफी लोग अनजान हैं।
* शाहजहां की ब़ेगम मुमताज को जब 14वां बच्चा पैदा हुआ तो उसकी हालत बहुत खराब हो गई और मरने से पहले उसने शाहजहां से दो वायदे लिए। पहला यह था कि शाहजहां उसके मरने के बाद और विवाह नहीं करवाएंगे तथा दूसरा यह कि उसकी याद में ऐसी यादगार बनाएंगे जिसका नाम पूरी दुनिया में मशहूर होगा।
- ताजमहल की इमारत के सामने ब़ाग हैं, इन 16 ब़ागों को 4 हिस्सों में बांटा गया और एक तिहाई हिस्से में 4 ब़ाग हैं, जिनके रास्ते ब़ाग के मध्य मिलते हैं।
- मुमताज महल की मौत के बाद उनकी मृतक देह को बुरहानपुर अस्थाई तरीके से दफनाया गया था। जब ताजमहल का स्थान पक्का किया गया तो तब मुमताज की मृतक देह आगरा लाई गई तथा आते-आते गरीबों को रास्ते में खूब पैसे, सिक्के दान किए गये थे। फिर ताज समूह में सालों साल ताजमहल बनने तक इस देह को सुरक्षित रखा गया।
* शाहजहां ने यादगार बनाने के लिए पूरी दुनिया से मशहूर कारीगरी के डिज़ाइन मंगवाए और अंतत: तुर्की से उस्ताइल ईसा अफरीदी का डिज़ाईन पास हुआ था।
* ताजमहल को बनाने के लिए अलग-अलग सामान दुनिया के हर कौनों से मंगवाए गये। सबसे अहम सफेद  मारबल मकराना (राजस्थान) से, लाल पत्थर धौलपुर तथा फतेहपुर सीकरी से पीला और काला संगमरमर, इसी तरह सूरत, ग्वालियर, मिस्र, हैदराबाद, चीन, जयपुर, तिब्बत आदि से अलग-अलग पत्थर मंगवाये गये। सोना-चांदी एवं अन्य अहम वस्तुएं भी अलग-अलग राज्यों से मंगवाई गईं।
* हाथियों पर सामान लाद कर इस जगह पर भेजा था और 6 माह लग जाते थे हाथियों के एक चक्कर को।
* ताजमहल के शानदार ढांचे को बनाने के दौरान इसे चार भागों में बांटा गया था। 
नक्काशी
1. संगमरमर में तांबे की तार के साथ नक्काशी की जाती थी। फूलों एवं पत्तियों के शानदार डिज़ाइन बनाये गये। ये पत्थर के फूल ताजमहल के सभी बाहरी तथा आंतरिक भागों को रंगदार बनाते हैं।
2. रंगदार फूलों, पौधों की शाखाओं का डिज़ाइन संगमरमर में चित्रित किया गया है।
3. ताजमहल की सजावट का सबसे बढ़िया अंश है सुलेख-कला (ष्ड्डद्यद्बद्दह्म्ड्डश्चद्ध4) इसमें कुरान की पंक्तियां लिखी हैं। इसकी विशेषता यह है कि दूर से यह पेंटिंग लगती है परन्तु असलियत यह है कि अमानत खान ने कुरान से अक्षरों की डिज़ाइनकारी काले संगमरमर पर की है। कारीगरों ने काले संगमरमर के टुकड़ों को काट कर सफेद संगमरमर में फिट किया है। अमानत ़खान शीराजा का नाम बहुत बार पंक्तियों के नीचे लिखा हुआ है।
4. जाली वाले डिज़ाइन जिसे नीलगिरी (द्घद्बद्यद्यद्बद्दह्म्4) कहते हैं, इस पूरे ढांचे को पूर्ण करते हैं। यह मधुमक्खी के छत्ते के आकार का बनाया गया है तथा इसकी सबसे अहम बात यह है कि एक ही पत्थर से बनाया गया है। उस सदी में बिजली नहीं थी, कटिंग की मशीनें नहीं थीं इसलिए दिन में यह पूरा काम कारीगरों द्वारा तारों के साथ संगमरमर की नक्काशी की जाती थी। 
जब शाहजहां का निधन हो गया तो उसकी कब्र मुमताज महल की कब्र के साथ ताजमहल के भीतर ही बनाई गई। असली कब्रें एक कमरे में बंद हैं। असली कब्रों को आम लोगों के दर्शनों के लिए वर्ष में शाहजहां की पुण्यतिथि के अवसर पर इस्लामिक कैलेंडर के अनुसार तीन दिनों के लिए खोला जाता है। 
ऊपर शाहजहां तथा मुमताज की कब्रों की हू-ब-हू नकल वाली कब्रें बनाई गईं। शाहजहां की कब्र की नकल मुमताज महल की कब्र की नकल से औरंगज़ेब द्वारा ऊंची बनाई गई।
मुमताज की मृत्यु जून 1631 में हुई। ताजमहल का कार्य दिसम्बर 1631 में शुरू हुआ। ताजमहल का ढांचा बनाने में 17 वर्ष लगे। यह 1648 में तैयार हुआ, 20,000 श्रमिकों ने इस पर कार्य किया था। चार-दीवारी और बाहरी प्रवेश द्वार बनाने में और पांच वर्ष लगे तथा कुल मिलाकर 22 वर्ष में यह शानदार समूह तैयार हुआ। प्रवेश द्वार पर 22 छोटे गोल गुंबद हैं। यह गोल गुंबद ताज के 22 वर्ष में पूरे होने का सन्देश देते हैं।
शाहजहां का निधन जनवरी 1666 में हुआ था।
भ्रम (रू4ह्लद्ध) 
हमें अक्सर सुनने को मिलता है कि शाहजहां ने ताजमहल बनने के बाद कारीगरों के हाथ कटवा दिये थे ताकि वह और इस प्रकार की शानदार इमारत न बना सकें परन्तु यह गलत धारणा है। किसी के कोई हाथ नहीं कटवाये गये थे। शाहजहां दिल का बहुत अच्छा था तथा ़गरीबों में मुमताज महल की याद में बहुत दान करता था।
ताजमहल के पश्चिमी ओर एक मस्जिद बनाई गई थी। इस काम्पलैक्स की एकसारता हेतु मस्जिद के सामने इमारत बनाई गई जो हू-ब-हू मस्जिद जैसी दिखाई देती है। 
ताजमहल सुबह के समय गुलाबी रंग का लगता है, सायं दूधिया सफेद रंग का तथा चांद की रौशनी में हल्के नीले रंग का दिखाई देता है।
इस शानदार ढांचे की सफाई मुलतानी मिट्टी द्वारा तजुर्बेकार विशेषज्ञों की देख-रेख में की जाती है।
हीरों की लूट 
ताजमहल की देख-रेख भारतीय पुरातत्व सर्वेक्षण द्वारा की जाती है।
बाबर की मृत्यु के बाद कोहिनूर हीरा उसके बेटे हुमायूं के पास चला गया था तथा फिर जब यह हीरा शाहजहां के पास आया, उसने इसे अपने मोर तख्त में लगा लिया था।
नादिरशाह जोकि ईरान का शक्तिशाली राजा था, शाहजहां की मृत्यु के बाद कोहिनूर पर हीरों से जड़ा मोर तख्त भारत से ले गया था, इसी तरह ताजमहल में जड़ित सोने के कीमती पत्थर भी अंग्रेज़ निकाल कर ले गये थे। 
ताजमहल के थड़े पर उसके सामने खड़े होकर जब ताजमहल की खूबसूरती को निहारें तो मुंह तथा आंखें खुली रह जाती हैं। यमुना नदी के किनारे मन को तरोताज़ा करने वाली ठंडी हवा के चलते, इस जगह को छोड़ कर जाने का मन नहीं करता और मन के रोम-रोम में ताजमहल का आलीशान ढांचा बस जाता है। ताजमहल से प्रत्येक देखने वाले व्यक्ति को प्यार ज़रूर हो जाता है।