विपक्षी दल के प्रधानमंत्री पद के उम्मीदवार संबंधी चर्चा पुन: छिड़ी

2024 के लोकसभा चुनावों से पहले प्रधानमंत्री पद के लिए विपक्षी दल के उम्मीदवार की दौड़ शुरू हो गई है, जिसमें शरद पवार, नितीश कुमार, ममता बैनर्जी तथा राहुल गांधी जैसे जाने-पहचाने नाम शामिल हैं, परन्तु जब शिव सेना (यू.बी.टी.) के नेता संजय राऊत ने कहा कि उद्धव ठाकरे महाराष्ट्र में भाजपा के खिलाफ लड़ रहे हैं तथा इस बात की पुष्टि की कि प्रधानमंत्री पद के लिए उन्हें विपक्षी दल के चेहरे के रूप में देखा जा सकता है, इसके बाद विपक्षी गलियारों में इस पद को लेकर एक बार फिर चर्चा छिड़ गई है। इस सन्दर्भ में महाराष्ट्र के पूर्व मुख्यमंत्री उद्धव ठाकरे ने कहा कि उन्होंने 2024 में प्रधानमंत्री बनने का सपना नहीं देखा, परन्तु उन्होंने आगामी लोकसभा चुनावों में राजनीतिक बदलाव लाने के लिए अपना सबसे अच्छा कदम आगे बढ़ाने का आश्वासन दिया। इस दौरान कांग्रेस ने क्षेत्रीय पार्टियों को एक स्पष्ट सन्देश दिया कि वह भाजपा का मुकाबला करने के लिए समान विचारधारा वाली पार्टियों के साथ मिल कर काम करें तथा उनके साथ एक व्यवहारिक विकल्प तैयार करने की इच्छा व्यक्त करती है। कांग्रेस अध्यक्ष मल्लिकार्जुन खड़गे ने ज़ोर देकर कहा कि फूट डालने वाली ताकतों के विरुद्ध एकजुट हो कर लड़ना उनका साझा एजेंडा है। उन्होंने यह भी कहा कि प्रधानमंत्री उम्मीदवार का सवाल इस समय मुख्य सवाल नहीं है। 
राजीव शुक्ला की होगी तरक्की
सूत्रों के अनुसार कांग्रेस में शीघ्र ही बड़ा संगठनात्मक फेरबदल किया जाएगा। कांग्रेस द्वारा हिमाचल प्रदेश को भाजपा से छीनने के बाद, हिमाचल प्रदेश के  अखिल भारतीय कांग्रेस कमेटी के प्रांतीय प्रभारी राजीव शुक्ला को जीत का श्रेय दिया गया है। चर्चा यह है कि राजीव शुक्ला को पार्टी के भीतर एक नई ज़िम्मेदारी मिलने की सम्भावना है। कांग्रेस हाईकमान शुक्ला को बड़ी भूमिका की पेशकश करेगी तथा उन्हें पार्टी का महासचिव बनाये जाने की सम्भावना है। सूत्रों के अनुसार इमरान प्रतापगढ़ी, सैय्यद नासीर हुसैन, जीतू पटवारी, सचिन पायलट, दीपेन्द्र सिंह हुड्डा तथा अमरेन्द्र सिंह बराड़ को भी कांग्रेस वर्किंग कमेटी में स्थान मिल सकता है। इसके अलावा इस कमेटी में सलमान खुर्शीद तथा तारिक अनवर को बरकरार रखा जाएगा।
विपक्षी दलों द्वारा प्रधानमंत्री को पत्र
कांग्रेस, जनता दल (यू.) तथा वामपंथी पार्टियों ने उस पत्र पर हस्ताक्षर नहीं किये हैं, जो आठ विरोधी पार्टियों के 9 नेताओं द्वारा प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी को लिखा गया था, जिसमें आबकारी नीति मामले में दिल्ली के पूर्व उप-मुख्यमंत्री मनीष सिसोदिया की गिरफ्तारी की निंदा की गई थी। पत्र में आरोप लगाया गया कि केन्द्रीय एजेंसियों के दुरुपयोग का मतलब है कि देश लोकतंत्र से तानाशाही में परिवर्तित हो गया है। एन.सी.पी. प्रमुख शरद पवार ने कहा कि उन्होंने इस संबंध में इन पार्टियों के साथ कोई बात नहीं की है। पत्र पर हस्ताक्षर करने वाले विपक्षी दल के नेताओं में एन.सी.पी. नेता शरद पवार, शिव सेना (यू.बी.टी.) के प्रमुख उद्धव ठाकरे, तेलंगाना के मुख्यमंत्री के. चंद्रशेखर राव, तृणमूल कांग्रेस की प्रमुख ममता बैनर्जी, नैशनल कांफ्रैंस (एन.सी.पी.) के प्रमुख फारूक अब्दुल्ला, दिल्ली के मुख्यमंत्री अरविंद केजरीवाल, पंजाब के मुख्यमंत्री भगवंत मान, राष्ट्रीय जनता दल (आर.जे.डी.) के नेता तेजस्वी यादव तथा समाजवादी पार्टी (सपा) के प्रमुख अखिलेश यादव शामिल हैं।
एन.सी.पी. को हुआ लाभ
नैशनल कांग्रेस पार्टी प्रमुख शरद पवार ने एकजुट रहने तथा महा अघाड़ी गठबंधन के बैनर तले विधानसभा तथा लोकसभा चुनाव संयुक्त रूप से लड़ने का संकल्प लिया है। पवार ने  विचार सांझा किया कि उन्होंने सुनिश्चित बनाने के लिए ये प्रयास किए हैं कि कांग्रेस, एन.सी.पी. तथा शिव सेना (यू.बी.टी.) एकजुट रहें तथा दोनों चुनाव लड़ें। एन.सी.पी. युवाओं, महिलाओं तथा किसानों पर केन्द्रित एक योजना पर तेज़ी से आगे बढ़ रही है। पार्टी शिव सेना के विभाजन के कारण रिक्त हुए क्षेत्र पर अपने पांव मज़बूत करने के लिए किसी भी उद्धव पक्षीय सहानुभूति का लाभ उठाने के लिए दो-पक्षीय रणनीति पर काम करेगी। जबकि कांग्रेस भीतर से सत्ता के झगड़े में उलझी हुई है तथा ठाकरे बचाव की लड़ाई लड़ रहे हैं, एन.सी.पी. को पश्चिम महाराष्ट्र में अपने गढ़ से बाहर मराठवाड़ा तथा उत्तरी महाराष्ट्र में अच्छी पकड़ बनाने की अधिक सम्भावना प्रतीत होती है। 
पुन: मुख्यमंत्री बनना चाहती है वसुंधरा राजे
राजस्थान की पूर्व मुख्यमंत्री वसुंधरा राजे एक बार पुन: स्वयं को भाजपा के सम्भावित मुख्यमंत्री के चेहरे के रूप में पेश करने का प्रयास कर रही हैं। पिछले कुछ समय में राजस्थान में एक नारा गुंजता सुना गया है ‘कहो दिल, वसुंधरा फिर से’। राजे ने राजस्थान के चुरू ज़िले में एक सार्वजनिक बैठक का आयोजन किया, जिसमें 80 हज़ार से अधिक लोग शामिल हुए, इस वर्ष के अंत में होने वाले महत्त्वपूर्ण विधानसभा चुनावों से पहले उनकी ताकत का एक विशाल तथा शक्तिशाली प्रदर्शन था। 
राजे गुट ने दावा किया कि पी.पी. चौधरी, देवजी पटेल तथा वसुंधरा राजे के बेटे दुष्यंत राजे सहित कम से कम 10 मौजूदा भाजपा सांसद, 30 से 40 भाजपा विधायक, प्रदेश भाजपा के पूर्व अध्यक्ष अशोक परनामी तथा 100 से अधिक पूर्व विधायक शामिल थे। ‘केसरिया में हरा-हरा, राजस्थान में वसुंधरा’ तथा ‘अबकी बार वसुंधरा सरकार’ जैसे नारों के साथ-साथ वसुंधरा की जय-जयकार के नारे भी सार्वजनिक बैठक में सुने जा सकते हैं, जहां राजे ने प्रदेश से संबंधित कई प्रमुख मुद्दों पर गहलोत सरकार पर खुल कर विशेष तौर पर मौजूदा समय में परीक्षा पेपर लीक होने के कारण निशाना भी साधा। (आई.पी.ए.)