एक नौकरी के लिए 3.2 करोड़ रुपये की सब्सिडी! 

विकास और रोज़गार के अवसर पैदा करने के नाम पर केंद्र सरकार अपने चहेते कॉरपोरेट घरानों पर जनता का पैसा का किस तरह लुटा रही है, यह सनसनीखेज और हैरान करने वाला खुलासा किया है हाल ही में केंद्रीय भारी उद्योग और इस्पात मंत्री बने एच.डी. कुमारस्वामी ने। उन्होंने गुजरात में लगने वाले सेमीकंडक्टर के प्रोजेक्ट को लेकर जो सवाल उठाए हैं और उससे जुड़े कुछ आंकड़ों पर हैरानी जताई है, तो उस पर चर्चा होना स्वाभाविक है। कुमारस्वामी कर्नाटक के पूर्व मुख्यमंत्री और जनता दल (एस) के नेता हैं। वह केंद्रीय मंत्री पद की शपथ लेने के बाद अपने गृह राज्य पहुंचे। उन्होंने बेंगलुरू में अपनी पार्टी कार्यकर्ताओं के सम्मेलन को संबोधित करते हुए बताया कि गुजरात में माइक्रोन टेक्नोलॉजी की जो सेमीकंडक्टर की यूनिट लग रही है उसमें एक रोज़गार का अवसर पैदा करने के लिए कम्पनी को 3.2 करोड़ रुपये की सब्सिडी दी जा रही है। गौरतलब है कि यह प्रोजेक्ट अढ़ाई अरब डॉलर यानी करीब 21 हजार करोड़ रुपये का है। बताया जा रह है कि इस प्रोजेक्ट में दो अरब डॉलर की सब्सिडी दी जा रही है। खबरों के मुताबिक कम्पनी का यूनिट लगने के बाद इसमें 5000 नौकरियों के अवसर बनेंगे। इसी आधार पर हिसाब लगा कर कुमारस्वामी ने कहा कि एक नौकरी के लिए 3.2 करोड़ रुपये की सब्सिडी दी जा रही है। ज़ाहिर है कि कुमारस्वामी ने जो सवाल उठाए हैं, वे बेहद गम्भीर हैं और उन पर सरकार के जवाब का इंतज़ार रहेगा।
कानून लागू करने में देरी क्यों?
प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी दावा करते हैं कि उनकी सरकार कठोर फैसले लेने और उसे लागू करने वाली सरकार है, लेकिन हकीकत यह है कि उनकी सरकार कानून बना देती है और उसे लागू करने मे महीनों, बरसों लगा देती है। कानून बनने के चार साल से ज्यादा समय बीतने के बाद संशोधित नागरिकता कानून लागू किया गया था। उसी तरह पेपर लीक रोकने का कानून बनने के चार महीने बाद उसे लागू किया गया है। सवाल है कि सरकार इस कानून को बनाने के बाद लागू करने के लिए किस बात का इंतज़ार कर रही थी? क्या इस बात का इंतज़ार किया जा रहा था कि कोई बड़ी घटना हो, लाखों बच्चों का भविष्य अधर में फंसे और देश भर में हंगामा हो, तभी इस कानून को लागू करेंगे?
 गौरतलब है कि पब्लिक एग्ज़ामिनेशन (प्रीवेंशन ऑफ अनफेयर मीन्स) एक्ट इस साल 12 फरवरी को राष्ट्रपति की मंजूरी के बाद बन गया था। इस कानून में पेपर लीक करने वालों के लिए तीन से पांच साल की सख्त सज़ा और एक करोड़ रुपये तक के जुर्माने का प्रावधान है। अब जबकि मेडिकल में दाखिले की नीट-यूजी परीक्षा के साथ एक के बाद एक कई परीक्षाओं के पेपर लीक होने की खबरें आई हैं और पूरे देश में विवाद शुरू हुआ, तो सरकार ने आनन-फानन में कानून को लागू करने के नियम बनाए और 21 जून को आधी रात को इस कानून को लागू करने की अधिसूचना जारी कर दी। इस कानून के नहीं होने की वजह से राज्यों में पुलिस ने पेपर लीक के ताज़ा मामले भी आईपीसी की अलग-अलग धाराओं के तहत ही दर्ज किए हैं।
महंगाई कम दिखाने का तरीका
मौजूदा केंद्र सरकार के पास हर कमी को ढंक देने का कोई न कोई नुस्खा है। जैसे कोई बड़ी वैश्विक हस्ती भारत आती है तो झुग्गी बस्तियों को हरे या सफेद रंग के कपड़े की दीवार खड़ी करके ढंक दिया जाता है। उसी तरह महंगाई कम दिखाने का भी नायाब नुस्खा सरकार ने खोज लिया है। अब हर बार आंकड़ों में महंगाई कम दिखती है। एक तरफ वस्तुओं और सेवाओं की कीमतें आसमान छू रही हैं और दूसरी ओर सरकार के आंकड़ों में महंगाई दर लगातार कम हो रही है। दूसरी हैरान करने वाली बात यह है कि थोक महंगाई दर बढ़ रही है, लेकिन खुदरा महंगाई दर कम हो रही है। इस गुत्थी को बड़े से बड़ा अर्थशास्त्री भी शायद ही सुलझा पाए। हैरानी की बात है कि मई के महीने में थोक महंगाई दर अप्रैल के 1.20 फीसदी से बढ़ कर 2.61 फीसदी हो गई यानी दोगुने से ज्यादा बढ़ गई, लेकिन मई के महीने में ही उपभोक्ता मूल्य सूचकांक पर आधारित खुदरा महंगाई दर 4.85 से घट कर 4.78 फीसदी हो गई। मामूली ही सही लेकिन कमी आई। असल में महंगाई दर कम दिखे, इसके लिए सरकार ने खुदरा महंगाई में खाने-पीने की चीज़ों की वेटेज (वज़न)कम कर दी है। पहले खाने-पीने की चीज़ों की वेटेज 45.86 फीसदी थी। इसलिए इनकी कीमतें बढ़ते ही महंगाई का आंकड़ा बढ़ जाता है। अब इसे घटा कर 39 फीसदी कर दिया गया है। इसलिए खाने-पीने की चीज़े महंगी होती रहती हैं फिर भी महंगाई दर में ज्यादा इजाफा नहीं दिखता है।
अग्निवीर योजना की सेवा शर्तें
सेना में भर्ती की अग्निवीर योजना के खिलाफ चलाया गया विपक्षी पार्टियों का अभियान कुछ रंग लाता दिख रहा है। सरकार इस योजना के तहत भर्ती होने वाले अग्निवीरों की सेवा शर्तों में सुधार करने पर विचार कर रही है। गौरतलब है कि चुनाव प्रचार में जब राहुल गांधी और अखिलेश यादव के साथ-साथ दूसरे सभी विपक्षी नेताओं ने कहना शुरू किया कि ‘इंडिया’ ब्लॉक की सरकार बनी तो वह अग्निवीर योजना को खत्म कर देगी, तब रक्षा मंत्री राजनाथ सिंह ने कहा था कि सरकार समय-समय पर इसमें बदलाव और सुधार के काम करेगी। चुनाव नतीजों के बाद इसी लाइन पर जनता दल (यू) की ओर से भी अग्निवीर योजना में सुधार की बात कही गई। अब खबर आ रही है कि सरकार इस पर विचार कर रही है। सेवा की अवधि बढ़ाने से लेकर ज्यादा अग्निवीरों को सेना में ही एडजस्ट करने जैसे प्रस्तावों पर चर्चा हो रही है। कहा जा रहा है कि सबसे पहले तो सरकार अग्निवीरों को दी जाने वाली ट्रेनिंग की अवधि बढ़ा सकती है। फिलहाल छह महीने की ट्रेनिंग का प्रावधान है, जिसे एक से डेढ़ महीने तक बढ़ाया जा सकता है। अभी अग्निवीरों की सेवा अवधि चार साल की है, लेकिन अब कहा जा रहा है कि इसे बढ़ा कर सात साल किया जा सकता है। इसी तरह यह भी कहा जा रहा है कि अब 25 फीसदी की बजाय 50 फीसदी अग्निवीरों को सेना में एडजस्ट करने का कानून आ सकता है। हालांकि अभी पक्के तौर पर कुछ नहीं कहा जा सकता है। लेकिन चुनाव प्रचार में जिस तरह से यह मुद्दा बना, उसे देखते हुए सरकार इस पर कुछ विचार कर सकती है।
फिर भी चुप नहीं बैठी हैं ममता 
ममता बनर्जी ने लगातार दो बार भाजपा को करारी शिकस्त दी है। पहले 2021 के विधानसभा चुनाव में और फिर 2024 के लोकसभा चुनाव में। इसके बावजूद वह चुपचाप नहीं बैठी हैं। उन्होंने भाजपा को कमज़ोर करने की मुहिम जारी रखी है। उनका ध्यान उत्तरी बंगाल पर है, जहां भाजपा ने अपना आधार मज़बूत किया है। भाजपा के नेता इस इलाके को अलग राज्य बनवाने की भी बातें करते रहते हैं। इस इलाके में भाजपा को 2019 के लोकसभा चुनाव और फिर विधानसभा चुनाव में बड़ी जीत मिली थी। लेकिन 2024 में ममता बनर्जी ने पासा पलट दिया। अब ममता इस इलाके में अपनी पार्टी का आधार और मज़बूत करने के लिए लगातार दौरे कर रही है। कंचनजंगा एक्सप्रेस ट्रेन के दुर्घटनाग्रस्त होने के बाद ममता बनर्जी उसके घायलों से मिलने सिलिगुड़ी गईं तो वह भाजपा के राज्यसभा सांसद नागेंद्र रॉय उर्फ अनंत महाराज से मिलने चली गईं। वे कूचबिहार के हैं और इस इलाके के राजबंशी समुदाय के बीच बेहद लोकप्रिय हैं। इसीलिए भाजपा ने उनको राज्यसभा में भेजा था, लेकिन जब ममता उनसे मिलने गईं तो उन्होंने घर के दरवाज़े पर ममता का स्वागत किया उनका उतरीय ओढ़ा कर सम्मान किया। तृणमूल कांग्रेस के कई नेताओं को ममता का अनंत महाराज से मिलना ठीक नहीं लगा, क्योंकि उन्हें लग रहा है कि कूचबिहार जीतने के बाद तृणमूल कांग्रेस मज़बूत हो गई है, लेकिन ममता संतुष्ट नहीं हैं। आखिर भाजपा को इस सीट पर 46 फीसदी से ज्यादा वोट मिले हैं, इसलिए राजबंशी वोट पर ममता की नज़र है।