बोतल के ढक्कन से समझें न्यूटन का तीसरा नियम

बच्चो! तुम्हें न्यूटन के गति के तीसरे नियम के बारे में तो मालूम ही है कि जब कोई वस्तु किसी दूसरी वस्तु पर बल लगाती है तो दूसरी वस्तु भी उतना ही बल उस वस्तु पर विपरीत दिशा में लगाती है। आज मैं आपको इस नियम को बोतल के एक ढक्कन व अल्का सेल्टज़र टेबलेट के माध्यम से समझाता हूं। इस प्रयोग में आपको दोनों भौतिकशास्त्र और रसायनशास्त्र का मज़ा आयेगा। अल्का सेल्टज़र टेबलेट के बारे में जान लें कि यह दो एंटासिड और एक एनाल्जेसिक का संयोजन है, जिसका उपयोग सिरदर्द या शरीर दर्द के साथ साथ पेट में जलन, एसिड और पेट खराब होने पर अस्थायी राहत के लिए किया जाता है। 
इस प्रयोग को करने के लिए हमें बोतल का ढक्कन या कोई ऐसी छोटी व हल्की वस्तु की ज़रूरत होगी जो पानी में तैर सके। इसके अतिरिक्त अल्का सेल्टज़र टेबलेट, पानी से भरा कटोरा, आईड्रापर या चम्मच और स्टॉपवाच (वैकल्पिक, नाव का समय नोट करने के लिए) भी चाहिए होगी। 
नाव तैयार करने के लिए बोतल के ढक्कन को उल्टा पानी के कटोरे में डाल दें। यह सुनिश्चित करें की वह तैर रहा हो यानी डूबे नहीं। इसके बाद अल्का सेल्टज़र टेबलेट को तैरते हुए ढक्कन में डाल दें। क्या टेबलेट को पहले टुकड़ों में तोड़ देने से कोई अंतर पड़ेगा? क्या होगा अगर टेबलेट को डालने से पहले तैरते हुए ढक्कन में पहले से ही पर्याप्त पानी हो?
खैर, अब आपको रिएक्शन शुरू करना है। आईड्रापर या चम्मच का इस्तेमाल करते हुए ढक्कन में कुछ बूंदें पानी की डाल दें। इसके बाद जादू होता हुआ देखें। पानी की बूंदों और टेबलेट में रिएक्शन के कारण बुलबुले बनेंगे जो ढक्कन रूपी नाव को पानी पर चलाने लगेंगे। स्टॉपवाच से देखें की आपकी नाव कितनी देर तक चलती है। अलग आकार की नाव या अलग साइज़ की टेबलेट से प्रयोग करके देखें कि क्या बदलाव आते हैं।
इस प्रयोग के पीछे के विज्ञान को समझें। जब अल्का सेल्टज़र टेबलेट पानी को स्पर्श करती है तो दो चीज़ों के बीच कैमिकल रिएक्शन होता है- सोडियम बाइकारबोनेट (बेकिंग सोडा) और सिट्रिक एसिड। जब यह पदार्थ पानी में घुलते हैं तो उससे कार्बन डाईऑक्साइड गैस बनती है। यह गैस बुलबुले बनाती है जो टेबलेट में से बाहर निकलते हैं, पानी को धकेलते हैं और गति उत्पन्न करते हैं। 
न्यूटन के गति नियमों के अनुसार जब गैस एक दिशा में धकेलती है तो नाव उसकी विपरीत दिशा में चलती है। यह पानी पर छोटे राकेट की तरह होता है, जो हॉरिजॉन्टल चलता है। कार्बन डाईऑक्साइड गैस के बुलबुले नाव के नीचे के घनत्व (डेंसिटी) को कम कर देते हैं, जिससे वह ऊपर को उठती है और चलती है। चूंकि कार्बन डाईऑक्साइड गैस पानी से कम घनी होती है, इससे नाव को आगे बढ़ने में मदद मिलती है, जब बुलबुले बनकर फूट रहे हों। भौतिक बलों और केमिकल रिएक्शन से यह प्रयोग मज़ेदार बन जाता है और इन कॉन्सेप्ट्स को समझना आसान हो जाता है।
-इमेज रिफ्लेक्शन सेंटर 

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