भारतीय संस्कृति की छटा बिखेरता ताज महोत्सव

ताज महोत्सव पर विशेष

हर साल की तरह इस साल भी ताज नगरी आगरा में होने वाले भव्य ताज महोत्सव की तैयारियां जोर शोर से चल रही हैं। आगामी 18 फरवरी से 2 मार्च 2025 तक आयोजित होने वाला यह सांस्कृतिक महोत्सव, इस सिलसिले का 34वां संस्करण होगा, जिसकी इस बार थीम है- धरोहर। महोत्सव सदा की तरह इस बार भी भारत की समृद्ध सांस्कृतिक विरासत को प्रस्तुत करेगा। गौरतलब है कि ताज महोत्सव की शुरुआत 1992 में उत्तर प्रदेश पर्यटन विभाग द्वारा की गई थी और इसका उद्देश्य भारतीय कला और संस्कृति की विश्व स्तर पर छटा बिखेरने के साथ-साथ ताजमहल देखने आने के लिए देसी, विदेशी पर्यटकों को आकर्षित करना था। कहना न होगा कि यह महोत्सव आयोजन के अपने उद्देश्यों से कहीं ज्यादा सफल साबित हुआ है।
ताज महोत्सव देश का विरल सांस्कृतिक महोत्सव है। इसकी कुछ विशिष्ट खासियतें हैं। यह ताज नगरी में निर्मित कला और शिल्प ग्राम में आयोजित होता है। यहां भारत के कोने-कोने से शिल्पकार अपनी उत्कृष्ट कलाकृतियों का प्रदर्शन करने आते हैं। सहारनपुर की लकड़ी के खिलौने तथा विभिन्न तरह की नक्काशी की हुई वस्तुएं, खुर्जा के मिट्टी के बर्तन, लखनऊ की चिकनकारी और वाराणसी की रेशम की साड़ियां करीब-करीब हर बार इस महोत्सव के मुख्य आकर्षण की वस्तुएं होती हैं। इसी तरह ताज महोत्सव में देशभर के लोक कलाकार और शास्त्रीय संगीत के मर्मज्ञ अपनी प्रस्तुतियां देते हैं और महोत्सव की शोभा बढ़ाते हैं। ताज महोत्सव वास्तव में भारत की विविध संस्कृतियों का अद्भुत संगम है। कला और संगीत के साथ-साथ ताज महोत्सव अपने लजीज व्यंजनों के प्रदर्शन के लिए भी जाना जाता है। इस महोत्सव में करीब-करीब सभी राज्यों के पारंपरिक व्यंजनों के स्टॉल लगाये जाते हैं, जहां महोत्सव में आये आगंतुक तरह-तरह के स्वाद लेकर आनंदित होते हैं।
जहां तक इस बार के ताज महोत्सव की बात है तो इस साल इस महोत्सव का सबसे बड़ा आकर्षण बॉलीवुड के प्रसिद्ध गायक कैलाश खेर होंगे जो मुक्ताकाशीय मंच पर अपनी सुरीली प्रस्तुति देंगे। हर साल इस महोत्सव के लिए कई महीनों पहले ही भाग लेने वाले कलाकारों का चयन कर लिया जाता है और वे महोत्सव शुरु होने के पहले ही आयोजन स्थल शिल्पग्राम में पहुंचने लगते हैं। इस बार के ताज महोत्सव का आयोजन शिल्पग्राम के साथ-साथ ताज खेमा, ग्यारह सीढ़ी पार्क, और फतेहपुर सीकरी सहित कई जगहों पर आयोजित होगा। ज़िलाधिकारी अरविंद मल्लप्पा बंगारी के मुताबिक आयोजन की सारी तैयारियों को पूरा कर लिया गया है। महोत्सव के दौरान हर तरह की सुरक्षा की चाकचौबंद व्यवस्था का इंतजाम भी किया जा चुका है।
इस बार का ताज महोत्सव कई नये कार्यक्रमों के साथ होगा। जो इसे अब तक के मुकाबले और अधिक रोमांचक और दर्शनीय बनाएंगे। इस महोत्सव में पहली बार इस साल बर्ड फेस्टिवल का भी आयोजन किया गया है। हॉट एयर बैलून शो भी इस महोत्सव का हिस्सा होगा तथा ड्रोन शो, विंटेज कार रैली और पतंग महोत्सव का आयोजन भी इस बार इस महोत्सव में चार चांद लगाएंगे। पिछले कई सालों से इस महोत्सव में एक साहित्य कोना की भी ज़रूरत महसूस की जा रही थी। इस साल इस महोत्सव में साहित्य प्रेमियों के लिए भी विशेष कार्यक्रम होंगे। सदर बाजार मुक्ताकाशीय मंच, यमुना व्यू प्वाइंट, ताज व्यू गार्डन और आई लव सेल्फी  प्वाइंट जैसे स्थानों पर भी इस बार महोत्सव के विभिन्न आयोजन सम्पन्न होंगे। हाल के सालों को देखें तो इस साल का ताज महोत्सव पहले से कहीं ज्यादा भव्य और कहीं ज्यादा विराट आयोजन होगा।
ताज महोत्सव न केवल आगरा या उत्तर प्रदेश अपितु समूची भारतीय संस्कृति की विविधता को संजोता है और विश्व पटल के सामने इसे प्रस्तुत करता है। इसलिए यह भले ताज महोत्सव के नाम से जाना जाता हो, लेकिन यह वास्तव में समूची भारतीय संस्कृति का विराट महोत्सव होता है। इसमें देशभर के लोक कलाकार और संगीत मर्मज्ञों के साथ हर तरह के कला रसिक आते हैं। इस कारण ताज महोत्सव हाल के दशकों में देश की संस्कृति को सहेजने, संवारने और दुनिया के सामने प्रस्तुत करने का महत्वपूर्ण उपक्रम बन गया है। ताज महोत्सव की सरस प्रस्तुतियों में मुगलकाल जीवंत हो जाता है। यमुना किनारे मुगल सम्राट शाहजहां और मुमताज की चिर स्थायी प्रेम स्मृति ताजमहल न केवल इस महोत्सव की सबसे बड़ी यूएसपी है अपितु इसे आमतौर पर वेलेंटाइन सप्ताह के आस-पास आयोजित किया जाता है, इस लिहाज से यह एक तरह का प्रेम महोत्सव बनकर उभरता है, जिसकी ख्याति अब देश ही नहीं दुनिया के कोने कोने तक फैल चुकी है। यही कारण है कि बड़ी संख्या में देशी, विदेशी पर्यटक ताज महोत्सव के दौरान यहां पर्यटन के लिए आना पसंद करते हैं।
हाल के सालों में अगर कोरोना के कठिन दौर को छोड़ दें तो हर साल ताज महोत्सव के दौरान यहां पूरे साल में सबसे ज्यादा पर्यटक आते हैं। सच बात तो यह है कि पर्यटकों की भारी आवक को देखते हुए ही इस जश्न को अब पूरे 10 दिन मनाते हैं। पहले यह 10 दिनों तक चलने वाला महोत्सव नहीं होता था। लेकिन इसकी मांग जिस तरह से देशी विदेशी पर्यटकों के बीच बढ़ी है, जिस तरह से टूरिस्ट एजेंट्स इसका इंतजार करते हैं, इससे अच्छा कारोबार करते हैं, उस कारण यह महोत्सव देश की समृद्ध संस्कृति का पर्याय तो बन ही गया है, आगरा शहर की अर्थव्यवस्था का बड़ा स्रोत भी बनकर उभरा है। माना जाता है कि ताज महोत्सव के दौरान आगरा शहर की आय में भारी वृद्धि होती है। ताज महोत्सव शुरु होने के एक सप्ताह पहले से और समाप्त होने के एक हफ्ते बाद तक इस शहर की पर्यटकों से होने वाली आमदनी में भारी इजाफा होता है। इसलिए जिन लोगों को कला संस्कृति से बहुत लगाव नहीं है, उन्हें भी यह सांस्कृतिक महोत्सव बहुत पसंद है।
-इमेज रिफ्लेक्शन सेंटर 

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