आओ खिलौनों से खेलें कॅरियर का शानदार खेल !

भारत का मौजूदा खिलौना उद्योग लगभग दो अरब अमरीकी डॉलर का है, जिसकी वैश्विक बाजार में बमुश्किल 0.75 प्रतिशत बाजार हिस्सेदारी है। ठीक ठीक यह तो नहीं पता कि इस उद्योग में फिलहाल कितने उद्यमी सक्रिय हैं और कितने लोगों को रोज़गार मिला हुआ है, लेकिन साल 2016-17 में इस उद्योग में लगभग 15 हजार उद्यमी सक्रिय थे और करीब 37 हजार लोगों को इसमें काम मिला हुआ था। लेकिन हाल के वर्षों में भारत सरकार लगातार देसी खिलौना उद्योग को बढ़ावा देने की बात करती रही है और साल 2025-26 के आम बजट में इसकी शानदार शुरुआत की है। इस साल के केंद्रीय बजट में खिलौना उद्योग को प्रोत्साहित करने के लिए वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण ने ‘राष्ट्रीय खिलौना कार्य योजना’ की शुरुआत की है, जिसका उद्देश्य भारत को ‘वैश्विक खिलौना केंद्र’ के रूप में विकसित करना है। इस योजना के तहत क्लस्टर विकास, कौशल उन्नयन और एक मजबूत विनिर्माण पारिस्थितिकी तंत्र के विकास पर जोर दिया जायेगा, जिससे देश में उच्च गुणवत्ता वाले, पर्यावरण के अनुकूल, अनूठे और मानसिक विकास को प्रोत्साहित करने वाले खिलौनों का उत्पादन संभव हो सकेगा। खिलौनों के वैश्विक बाजार में अगले कुछ ही सालों में ‘मेड इन इंडिया’ ब्रांड को मजबूती देने की कोशिश की जायेगी। 
केंद्रीय बजट में खिलौना उद्योग के प्रोत्साहन के लिए घोषित की गई नीति के बाद इस उद्योग में बहुत तेजी से विकास की संभावना है और कॅरियर के लिहाज से इसके एक महत्वपूर्ण क्षेत्र में उभरना तय है। इसलिए जल्द ही खिलौना उद्योग में बड़े पैमाने पर रोजगार पैदा होगा। राष्ट्रीय खिलौना कार्य योजना न सिर्फ खिलौना उद्योग को व्यवस्थित करेगी बल्कि इसे एक महत्वपूर्ण निर्माण क्षेत्र के रूप में प्रतिष्ठित करेगी। सरकार ने क्लस्टर विकास और बुनियादी ढांचे में सुधार की जो घोषणा की है, उसके तहत खिलौना निर्माण के लिए विशेष क्लस्टर बनाये जाएंगे जिनमें छोटे और मध्यम उद्यमों को प्रोत्साहन मिलेगा। सरकार ने खिलौना विनिर्माण की ईकाईयों के लिए हर तरह के बुनियादी संसाधनों को उपलब्ध कराये जाने का आश्वासन दिया है। खिलौना उद्योग के व्यापक रूप से विकसित होने के लिए भारत सरकार इन ईकाईयों को टैक्स से दूर रखेगी, सस्ते और गुणवत्तापूर्ण खिलौनों के विकास के लिए हर तरह सहायता देगी। इसका उद्देश्य खिलौने के बाजार में मेड इन इंडिया ब्रांड को स्थापित करना है। 
इसके लिए सरकार कारीगरों और उद्योग से जुड़े श्रमिकों को नयी तकनीकों और डिजाइनों की ट्रेनिंग देगी। स्थानीय डिजाइनों और उसमें भारतीय संस्कृति के समावेश को बढ़ावा देगी और भारतीय खिलौनों को अंतर्राष्ट्रीय स्तर पर प्रतिस्पर्धी बनाने के लिए निर्यात प्रोत्साहन योजना भी लागू करेगी। भारत के खिलौना उद्योग को सशक्त बनाने के लिए सरकार ने विदेशी कंपनियों के साथ साझेदारी को बढ़ावा देने की भी बात कही है। इससे स्पष्ट है कि आने वाले दिनों में भारतीय खिलौना उद्योग खूब फले फूलेगा। भरपूर निवेश आयेगा। नये स्टार्टअप्स शुरु होंगे। इस सबसे जाहिर है, बड़े पैमाने पर रोज़गार सृजन होगा, जो कॅरियर के लिहाज से खिलौना उद्योग को महत्वपूर्ण क्षेत्र निर्मित करेगा। सवाल है इस क्षेत्र में प्रमुख खिलाड़ी बनने के लिए क्या करना होगा? 
जहां तक इस क्षेत्र के लिए बिजनेस और मार्किटिंग का सवाल है तो इस क्षेत्र के लिए एमबीए इन मार्किटिंग/इंटरनेशनल बिजनेस के लिए सभी आईआईएमएस एसपीजैन इंस्टीट्यूट और सिंबोएसिस जैसे संस्थानों से डिग्री और डिप्लोमा हासिल किया जा सकता है। अगर डिजिटल टॉयज, वीडियो गेम्स और इंट्रैक्टिव खिलौनों में रूचि है तो सॉफ्टवेयर और गेमिंग में बीटेक, बीएससी इन गेम डिजाइन और एत्चुअल रियल्टी/वर्चअल रियल्टी टेक्नोलॉजी में डिग्री हासिल करके इस क्षेत्र में प्रवेश किया जा सकता है। 
खिलौना उद्योग में अलग अलग प्रोफेशनल्स के लिए 6 से 12 लाख रुपये तक की प्रारंभिक नौकरियां मिल सकती हैं और एक और दो साल के अनुभव के बाद ये 12 से 40 लाख रुपये सालाना की नौकरी कर सकते हैं। मेक इन इंडिया और वोकल फॉर लोकल आह्वानों के चलते घरेलू खिलौना उद्योग ताकतवर ढंग से उभरने के लिए तैयार है। क्योंकि भारत को चीन के बाद दुनिया का सबसे बड़ा खिलौना बाजार बनाना है। अत: अगर आपको क्रिएटिविटी टेक्नोलॉजी या बिजनेस में रूचि है तो खिलौना उद्योग में आपके लिए बहुत सारे अवसर मौजूद हैं। जिन्हें हासिल किया जा सकता है।
-इमेज रिफ्लेक्शन सेंटर 

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