कठिन हालात में कहीं अधिक मज़बूती से उभरते हैं रविन्द्र जडेजा
जो रूट और स्टीव स्मिथ क्रिकेट जगत में ऐसे नाम हैं, जो एक युग को परिभाषित करते हैं। किसी भी गेंदबाज़ के लिए इनका विकेट लेना गर्व की बात है, जो इन्हें एक बार भी आउट कर देता है, उसके लिए वह पल हमेशा के लिए यादगार बन जाता है। लेकिन अपने उल्लेखनीय करियर में रविन्द्र जडेजा ने इन्हें आउट करने की आदत सी बना ली है। जडेजा ने इन्हें अभी तक 23 बार आउट किया है। कम ही गेंदबाज़ हैं जो अपनी पीढ़ी के इन महानतम बैटर्स को बार-बार चकमा देकर आउट करने का दमखम रखते हैं। जडेजा ने यह काम होशियारी, नियंत्रण व अपनी कला पर पूर्ण महारत के मिश्रण से किया है। नागपुर में 6 फरवरी 2025 को भारत-इंग्लैंड श्रृंखला के पहले एकदिवसीय मैच में जो रूट और कप्तान जोस बटलर के बीच साझेदारी निरंतर मज़बूत होती जा रही थी, ऐसा लग रहा था कि मैच भारत की पकड़ से निकलता जा रहा है। रूट कुलदीप यादव को आसानी से खेल रहे थे, लेकिन उन्हें मालूम था कि असल मुकाबला तो जडेजा से होना है। ऐसे में कप्तान रोहित शर्मा ने गेंद जडेजा को दी। उन्होंने स्किड करती हुई 100 किमी प्रति घंटा की रफ्तार से अधिक तेज़ गेंद रूट के पैड्स की तरफ फेंकी। इससे पहले कि रूट अपना बल्ला गेंद के पास ला पाते वह उनके पैड्स पर लगी। ज़ोर की अपील हुई, अंपायर ने अपनी एक ऊंगली ऊपर उठा दी। रूट अविश्वास में खड़े रहे, उन्होंने रिव्यू लिया, जो कि मात्र औपचारिकता थी; क्योंकि नुकसान तो हो चुका था। जडेजा ने 12वीं बार रूट को आउट किया था।
इस विकेट के साथ जडेजा कुलीन क्लब में शामिल हो गये। वह 600 या उससे अधिक अंतर्राष्ट्रीय विकेट लेने वाले 5वें भारतीय गेंदबाज़ हो गये हैं। अब वह भारत के श्रेष्ठ-अनिल कुंबले, कपिल देव, हरभजन सिंह और आर अश्विन की कंपनी में हैं। जडेजा ने टेस्ट्स में 323 विकेट, एकदिवसीय में 223 विकेट (नागपुर मैच तक) और टी-20 इंटरनेशनल्स में 54 विकेट लिए हैं। इसके अतिरिक्त उन्होंने 6,000 अंतर्राष्ट्रीय रन भी बनाये हैं। वह वास्तव में अपने किस्म के इकलौते स्पिनर हैं क्योंकि 600 विकेट व 6,000 रन के डबल के साथ वह उस बुलंद पायदान पर खड़े हैं, जहां उनके साथ कोई अन्य भारतीय क्रिकेटर नहीं है। जडेजा एक ऐसे क्रिकेटर हैं कि जब स्थितियां उनके एकदम विपरीत होती हैं, तो उनसे धमाकेदार वापसी की उम्मीद की जा सकती है। उन्होंने भारतीय टीम में अनेक बार शानदार वापसी की है, जो वास्तव में उनके करियर को परिभाषित करती है। जब वह 12 टेस्ट खेल चुके थे तो उनकी रेड-बॉल कला की ज़बरदस्त आलोचना हुई थी। इंग्लैंड के विरुद्ध 2014 की सीरीज़ में उन्हें इतनी अधिक नकारात्मक टिप्पणी का सामना करना पड़ा कि उन्हें अगली सीरीज़ के लिए भारतीय टीम से बाहर का रास्ता दिखा दिया गया।
फिर उनके कंधे में गंभीर चोट लगी, जिससे उनका करियर ही लगभग दांव पर लग गया था। लेकिन कंधे की चोट से उबरने के बाद उन्होंने रणजी ट्राफी के अगले सीजन में शानदार गेंदबाज़ी की (चार मैचों में 38 विकेट) और वापस टेस्ट टीम में आ गये, मोहाली में दक्षिण अफ्रीका का मुकाबला करने के लिए। अपनी गेंदबाज़ी की गहरी परतों को प्रदर्शित करते हुए जडेजा ने 8 विकेट लिए और फिर एक दशक तक टेस्ट में जो भारत का दबदबा रहा, उसके वह अटूट हिस्सा बने रहे। जडेजा ने जब अपने करियर की शुरुआत की थी, तो उनकी आल-राउंड क्षमता पर सवाल उठाये जाते थे बल्कि उनका मजाक बनाया जाता था। वह ट्रोल-चुंबक, पंटोमाइम खलनायक बनकर रह गये थे। लेकिन जब उनकी बदनामी अपने चरम पर थी, उनकी काबिलियत पर शक करने वाले गुस्से से भरे हुए थे, तो उन्होंने 2012-13 के रणजी सीजन में तीन तीहरे शतक लगा डाले। बल्ले से यही कारनामा जल्द ही टेस्ट्स में भी देखने को मिला, लेकिन वह शतक से दूर ही रहे और यह सूखा राजकोट (2017) में वेस्टइंडीज के विरुद्ध खत्म हुआ, जब अपनी 56वीं पारी में उन्होंने शानदार शतक लगाया। उन्होंने तीन टेस्ट शतक उस समय लगाये जब शक भरी निगाहें उन पर गड़ी हुई थीं।
फिर सवाल उठे कि भारत की बेजान पिचों पर शतक लगाना कोई खास कमाल नहीं है, क्या वह विदेश में भी यह कारनामा कर सकते हैं? जडेजा ने इसका जवाब 2021 में बर्मिंघम में दिया, जब इंग्लैंड के विरुद्ध उनके बल्ले से क्लासिकल 104 रन निकले। ऑस्ट्रेलिया के हाल के दौरे पर जब भारत के प्रमुख बैटर्स तेज़ गेंदबाज़ी के सामने घुटने टेक रहे थे तो जडेजा गोलियत के सामने डेविड की तरह खड़े रहे। उन टेप्स को फिर से देखो और नोट करो कि किस तरह भेदती आंखों से जडेजा गेंद की लाइन में आते और फिर अंतिम पल में अपने बल्ले को तेल-लगे-दरवाज़े की तरह हटा लेते ताकि गेंद विकेट कीपर के दस्तानों में चली जाये। यह ऐसा दौरा था, जिसमें विराट कोहली जैसे महान बैटर भी एक माह से अधिक तक अपने ऑफ-स्टंप की तलाश करते रहे। लेकिन उच्चतम 77 रन के साथ जडेजा का औसत अधिकतर फ्रंटलाइन बैटर्स से बेहतर था।
-इमेज रिफ्लेक्शन सेंटर