भारतीय इंजीनियरिंग का कमाल है चिनाब पर बना रेल पुल
6 जून, 2025 को प्रधानमंत्री मोदी ने रियासी ज़िले में चिनाब नदी पर बने दुनिया के सबसे ऊंचे रेलवे आर्च ब्रिज का तिरंगा दिखाकर उद्घाटन किया। इस तरह करीब सवा सौ सालों की जद्दोजहद के बाद कश्मीर तक भारतीय रेल पहुंच गई, लेकिन यह सिर्फ इतनी ही उपलब्धि नहीं है। चिनाब नदी पर बना यह रेल पुल इंजीनियरिंग की दुनिया का एक कमाल है और इसके अस्तित्व में आने से भारत की पुल इंजीनियरिंग का डंका पूरी दुनिया में बज रहा है। रियासी ज़िले में बक्कल और कौड़ी के बीच इस पुल को बनने में पूरे 22 साल लगे, यह दुनिया का सबसे ऊंचा नदी पुल है। इसकी लंबाई सवा किलोमीटर से भी ज्यादा है और ऊंचाई 359 मीटर है यानी पेरिस के एफिल टावर से भी यह 29 मीटर ऊंचा है। पुल की जब रूपरेखा बनी थी, तब के मुकाबले जब पुल बनकर निर्मित हुआ तो 6 गुना ज्यादा बढ़कर 1486 करोड़ रुपये की लागत से यह दुनिया का सबसे ऊंचा रेलवे पुल अस्तित्व में आया है।
7 जून, 2025 को पहली बार कटरा से श्रीनगर के लिए ट्रेन शुरु हुई है। आईआरसीटीसी की वेबसाइट पर ट्रेन की टिकटों की बुकिंग की जा सकेगी, हफ्ते में 6 दिन यह ट्रेन कटरा और श्रीनगर तक चलेगी। इस वंदे भारत ट्रेन में सिर्फ दो टैवेल क्लास होंगे, एक चेयर कार और दूसरा एग्जीक्ूयटिव क्लास। चेयर कार का किराया 715 रुपये प्रति सीट और एग्जीक्यूटिव क्लास में एक सीट का किराया 1320 रुपये होगा। अभी यह ट्रेन कटरा से चलकर सिर्फ बनिहाल में रूकेगी और इसी तरह श्रीनगर से चलकर भी बनिहाल में ही रूकेगी। अन्य स्टॉपिज पर फैसला आने वाले दिनों में होगा। आज़ादी के इतने साल बाद भी बर्फबारी के सीजन में कश्मीर देश के बाकी हिस्से से कट जाता है। नेशनल हाईवे 44 के अतिरिक्त से घाटी जाने का कोई दूसरा रास्ता नहीं है। यही नहीं किसी सड़क के रास्ते से जम्मू से कश्मीर जाने में जहां 8 से 10 घंटे लगते हैं, वहीं कटरा-श्रीनगर रूट पर चलने वाली इस वंदे भारत ट्रेन से जिसका नंबर 26401 अप और 26402 डाउन है, अब तीन घंटे लगेंगे।
लेकिन चिनाब नदी पर निर्मित इस पुल ने पूरी दुनिया का ध्यान अपनी तरफ खींचा है। चिनाब ब्रिज का विचार सबसे पहले साल 2002 में अटल बिहारी बाजपेयी सरकार के समय रखा गया था। जब उधमपुर-श्रीनगर-बारामुला रेल लिंक परियोजना शुरु की गई थी, जिसका उद्देश्य कश्मीर घाटी को पूरे भारत से जोड़ना था। साल 2004 के बाद पुल की डिज़ाइनिंग शुरू हुई और 2008 तक डिज़ाइन को फाइनल करके निर्माण कार्य शुरु हो गया, लेकिन कभी भू-स्खलन, कभी सुरक्षा खतरे, कभी स्थानीय प्रतिरोध और कभी कठिन भौगोलिक परिस्थितियों के कारण इस पुल के निर्माण में बार-बार बाधाएं आती रहीं। 2010 में तो इसे एक बार अस्थायी रूप से स्थगित ही कर दिया गया था, लेकिन साल 2017 में मोदी सरकार ने इसे दोबारा से शुरु कराया और 20 वर्ष के समय में आखिरकार यह अद्वितीय पुल बनकर तैयार हो गया। इस पुल के निर्माण में भारतीय रेलवे की इंजीनियरिंग शाखा ने अपनी सारी प्रतिभा झोंकी है। इस पुल पर 30 हज़ार मीट्रिक टन स्टील का इस्तेमाल हुआ है। यह स्टील विशेष मौसमरोधी सामग्री और आधुनिक तकनीकी का कमाल है। इस पुल परियोजना में पिछले 900 दिनों से 7 दिन 24 घंटे काम हो रहा था और इसके निर्माण में भारत की कई इंजीनियरिंग कंपनियों ने अतिरिक्त रूप से सहायता दी है। सैन्य विशेषज्ञ संस्थान डीआरडीओ और आईआईटीज विशेष रूप से शामिल रही हैं।
चिनाब नदी पर बना यह पुल अभियांत्रिकी के इतिहास की अगर अभूतपूर्व उपलब्धि है तो इसके कई कारण हैं। एफिल टावर से भी ज्यादा ऊंचा यह पुल 8.0 तीव्रता तक के भूकम्प के झटके को आसानी से सह लेगा और 260 किलोमीटर प्रतिघंटे की हवाएं चलेंगी तो भी यह सह लेगा। अर्धचंद्राकार यानी आर्च शेप का यह पुल दुनिया की अत्यंत जटिल संरचनाओं में गिना जायेगा। यह मेक इंडिया का एक चमकदार उदाहरण है। इस पुल के निर्माण में जो स्टील और तकनीक इस्तेमाल की गई है, उससे भी भारत का गौरव बढ़ा है। इस पुल की निगरानी और मेंटेनेस के लिए अत्याधुनिक सेंसर और डिजिटल टूल्स का इस्तेमाल किया जायेगा। कूटनीतिक दृष्टि से भी यह पुल बहुत महत्वपूर्ण है, क्योंकि इसके निर्मित होते ही चीन और पाकिस्तान की नींद उड़ गई है। चिनाब ब्रिज जम्मू से कश्मीर घाटी तक रेल सम्पर्क प्रदान करेगा, इसका मतलब यह है कि अब भारतीय सेना द्वारा भारी हथियार और रसद सामग्री किसी भी समय घाटी तक पहुंचायी जा सकती है। चाहे मौसम कैसा भी हो। अत: यह पुल भारत को अपने शत्रु देशों पर सामरिक बढ़त देता है।
चीन-पाकिस्तान गलियारा जो गिलगित व बाल्टिस्तान से होकर जाता है, जिसे भारत विवादित क्षेत्र मानता है, अब यह चिनाब ब्रिज इस पूरी परियोजना पर रणनीतिक बढ़त हासिल कर चुका है। इस पुल के बन जाने से कश्मीर अब पूरे साल शेष भारत के संपर्क में रहेगा। पाकिस्तान की सेना हमेशा कश्मीर को भारत का कमजोर मोर्चा मानती रही है, लेकिन इस चिनाब पुल ने कश्मीर को किले में बदल दिया। इससे कश्मीर में पर्यटन को भी जबरदस्त बढ़ावा मिलेगा। स्थानीय लोगों के लिए व्यापार, शिक्षा और स्वास्थ्य सुविधाओं तक पहुंच आसान होगी। इस पुल से शाब्दिक और प्रतीकात्मक दोनों स्तरों पर भारत की एकता को मजबूती हासिल हुई है अत: चिनाब नदी पर बना यह रेल पुल केवल स्टील और कंक्रीट की संरचना नहीं है यह भारतीय अभियान में प्रतिभा का कमाल है। -इमेज रिफ्लेक्शन सेंटर