दूर हुई उलझन

‘मोनू जल्दी उठो स्कूल नहीं जाना है क्या आज? ‘अनीता ने कहा। मम्मा आज मेरे पेट में बहुत दर्द है।’ मोनू ने जवाब दिया। ‘क्या परेशानी है मोनू...लगभग रोज ही तेरे नए नए बहाने होते हैं।’ अनीता गुस्सा होते हुए बोली। सच्ची मम्मा मैं झूठ नहीं बोल रहा?’मोनू रोते हुए बोला—अनीता  प्यार से मोनू के सर पर हाथ फेरते हुए बोली। बेटा कोई परेशानी है तो बता। क्या कोई मारता है या डांटता है या फि र कोई परेशान करता है। इतना सुनते ही मोनू मां से लिपटकर सुबकने लगा और बोला—‘मम्मा वो मैथ्स की मैडम मारती है। मुझे समझ नहीं आती मैथ्स।  तो मैं क्या करूं।’ ‘चलो मैं चलती हूं तेरे साथ स्कूल।’ मम्मा ने कहा। अनीता सीधे प्रिंसिपल के रूम में पहुंची। उसे मोनू के साथ देखकर प्रिंसिपल सर ने पूछा, ‘आइए मिसेज वर्मा, कैसे तकलीफ  की।’ ‘सर माफ  करना मैं आना तो नहीं चाहती थी लेकिन मोनू की परेशानी देखकर आना पड़ा।’ अनीता ने कहा। ‘कैसी परेशानी मिसेज वर्मा?’ प्रिंसिपल ने आश्चर्य से पूछा। इस पर अनीता ने मोनू के स्कूल के प्रति बदलते व्यवहार पर खुल कर सर को बता दिया। इस पर प्रिंसिपल सर ने कॉल  बैल बजायी। बाहर बैठा चपरासी अंदर आते हुए बोला— जी सर। तुरंत मैडम माथुर को बुलाकर लाओ। अभी बुलाकर लाता हूं सर। चपरासी ने जाते हुए कहा। थोड़ी देर में मैडम माथुर प्रिंसिपल के रूम में पहुंच गयी। सर आपने मुझे बुलाया—‘मैडम ने पूछा।’ जी मैम आप मोनू को गणित पढ़ाती हैं। ‘जी सर’ । 
‘इस बच्चे को और इसके पैरंट्स को कुछ शिकायत है आपसे।’ सर ने सख्त लहजे में कहा। मैम ने पूछा, कैसी शिकायत सर। प्रिंसिपल सर ने मोनू के प्रति किए गये उनके व्यवहार पर अपनी शिकायत बता दी।  लेकिन सर बहुत समझाने के बाद भी मोनू समझता नहीं और काम भी पूरा नहीं करता। मैडम माथुर ने जबाव दिया। ‘बच्चों को जरूरी नहीं कि सब समझ आ जाये, इसलिए उनको प्यार से समझाया जाना चाहिए।’ प्रिंसिपल ने कहा— अब आप जाइये मैडम माथुर अपनी कक्षा में।’ प्रिंसिपल ने कहा और अनीता को भी आश्वस्त करते हुए कहा ‘मिसेज वर्मा अब आप बेफिक्र होकर जाइये और हम पर भरोसा करिये।’ थैंक्यू सर... अनीता बोली और बाहर आ गयी। वापसी में अनीता ने कुछ किताबें ली जिनमें अब्राहम लिंकन, एडिसन, न्यूटन, कालिदास आदि के विषय में था कि कैसे ये तमाम असफ लताओं के बाद भी महान बने। ‘मोनू ये कुछ किताबें हैं जाओ और पढ़ो। कल संडे है इसलिए आराम से पढ़ी जाएंगी, ठीक है मम्मा कहता हुआ वो किताबें लेकर चला गया। कुछ दिन बाद अनीता की बहन के घर पूजा में जाना था तो अनिता ने मोनू से कहा—‘आज तो तुम्हारे लिए सरप्राइज है।’ क्या है ...जल्दी बताओ न मम्मा। मोनू उछलते हुए बोला... ‘आज मौसी के घर जाना है और आज तुम्हारी स्कूल की छुट्टी...क्यों है न सरप्राइज।’ नहीं मम्मा मुझे नहीं जाना मौसी के घर। मैं तो स्कूल ही जाऊंगा। ‘मोनू का जबाव सुनकर अनीता ने मोनू को  गले लगाते हुए कहा ‘शाबाश’ लगता है अब मेरा मोनू अच्छा बच्चा बन गया।’