अहिंसा की सोच पर आधारित था गांधी का सत्याग्रह

इस बार 2019 में महात्मा गांधी की 150वीं जयंती मनाई जा रही है। हमारे देश के साथ-साथ विश्व के कई देशों में, यू.एन. में भी महात्मा गांधी की 150वीं जयंती मनाई जा रही है। यह भारत के लिए बेहद गर्व की बात है। अमरीका में इस वर्ष महात्मा गांधी की 150वीं जयंती मनाने का एक मुख्य कारण यह है कि इस वर्ष हमारे देश के प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी ने अपने विचारों से यू.एन. में हमारे देश का नाम बेहद ऊंचा किया है।
महात्मा  गांधी, महान् विचारों के मालिक और इन्सानियत की एक ऐसी मिसाल थे, जिन्हें देश कभी भुला नहीं पायेगा। आज के युवाओं को उनकी जीवनी पर लिखी पुस्तकें पढ़नी चाहिए। शायद गांधी जी के विचार, कर्म, सोच, विचार आदि को समझ कर आज के विद्यार्थियों और युवाओं का हृदय परिवर्तन हो जाये और यही विद्यार्थी, युवा जिन्हें कल देश, राज्य, समाज चलाना है, बेहतर इंसान बनकर गांधी जी की राह पर चलकर भारत का भविष्य सर्वश्रेष्ठ बना पायेंगे। आज गांधी जी की बातें युवाओं के लिए प्रेरणा स्रोत बन चुकी हैं।  ‘सत्याग्रह’ करने का उनका अपना अलग तरीका था। गांधी जी का सत्याग्रह, अहिंसा की सोच पर आधारित था और इस  तरह की सोच और इतनी बड़ी कामयाबी विश्व में देखने को नहीं मिली। ज्यादातर लोग सत्याग्रह कुछ पाने के लिए करते हैं। परंतु गांधी जी ने अपना ‘सत्याग्रह’ देश और देश की जनता के लिये किया। सब सुख-सुविधाएं त्याग कर गांधी जी एक लाठी के सहारे अपनी महान सोच और अपने दम पर ऐसा चले कि उनकी सोचने की ताकत के सामने अंग्रेज़ों को झुकना पड़ा।  विचार में दम हो और वो विचार अच्छे कार्य के लिये किया जाये तो सफलता कैसे मिलती है ये सीखना है तो गांधी जी पर लिखी गई पुस्तकों से जानें। यह अलग बात है कि आज के युग में इन्टरनेट और गुग्गल के लिये तो विद्यार्थियों, युवाओं के पास समय है परंतु गांधी जी के विचारों पर लिखी पुस्तकों को पढ़ना वे ज़रूरी नहीं समझते। 
गांधी जी के विचार अनमोल एवं ताकत से भरपूर थे क्योंकि वो नेकी व सत्य के मार्ग पर ही चलते रहे अपनी पूरी ताकत के साथ। तब ही तो कहना सही है कि ‘बंदे में था दम।’ जब विचार लालच एवं लोभ से बचा हो तो एक साधारण इंसान भी अपनी आत्मा से बदल जाता है।  गांधी जी जन्म से महात्मा गांधी नहीं थे। जब उनकी आत्मा से महान विचार का जन्म हुआ तब गांधी जी बापू से महात्मा बन गये। गांधी जी के इस विषय पर एक महान पुस्तक है ‘वेन बापू टर्नड टू महात्मा’ आज उस पुस्तक को कितने लोगों ने पढ़ा है हमारे देश में। शायद कम लोगों ने क्योंकि आज के लोगों को नैतिक शिक्षा सिखानी पड़ती है। स्कूलों/कालेजों में नैतिक शिक्षा को पढ़ाया भी जाता है परंतु क्या सिर्फ पढ़ने/पढ़ाने से ही बड़ों का आदर करना चाहिए?
गांधी जी ने कहा बुरा मत देखो, बुरा मत बोलो, बुरा मत सुनो। परंतु आज कितने लोग इस बात पर अमल करते हैं। बापू ने अपने कर्म को धर्म की तरह निभाया तब ही उनके आज़ादी के कर्म को सफल परिणाम मिला। नमक आंदोलन हो, अंग्रेज़ों भारत छोड़ो, आदि गांधी जी ने कई बड़े-बड़े काम किये वो भी बिना किसी स्वार्थ के। यह गर्व की बात है कि गांधी जी भारतीय थे और उन्होंने भारत को आज़ादी दिलवाई। तो हम सभी भारतीय राष्ट्रपिता महात्मा गांधी द्वारा दर्शाये गये शांति, अहिंसा के मार्ग पर क्यों नहीं चल सकते?