अब समय आया है बातें करने का और आगे बढ़ने का

क्या कभी सोचा है कि हमारे साथ क्या हुआ था? हमारे पांवों के नीचे से ज़मीन क्यों छीन ली गई थी? हमारा आसमान क्यों बांट दिया गया था? हम आज़ाद हुए थे या नफरत के गहरे कुएं में फैंक दिए गए थे? कोई बता सकता है कि नफरत का कुआं कितनी युवतियों को लील गया था? कितनी माताओं की लोरियों को हमेशा के लिए खामोश कर दिया गया था? पंजाब के दरिया कितने बेटों के लहू से लाल हो गए थे? 
नहीं, कोई नहीं बता सकता। दुनिया में कोई भी इस खून-खराबे के बारे में सोच भी नहीं सकता, हिसाब-किताब भी नहीं लगा सकता। क्या कोई बता सकता है कि नफरत का यह कुआं हमारा पीछा कब छोड़ेगा? कब पंजाब के दरियाओं को लाशें मिलनी बंद होंगी? हम कब अपनी पूरी धरती, पूरी ज़मीन को अपना कह सकेंगे? परन्तु अब जवाब देना पड़ेगा। राजनीतिज्ञों को मेहनत करनी पड़ेगी। रास्ते बनाने पड़ेंगे। रास्ते भी बनाने पड़ेंगे और उन पर बिखरे कांटे भी उठाने पड़ेंगे। हम यह कहना नहीं चाहते कि भारत और पाकिस्तान एक हो जाएं परन्तु यह अवश्य कहना चाहते हैं कि दोनों देश अपनी-अपनी जगह खुश और कायम रहें, खूब तरक्की करें, आगे बढ़ें। परन्तु जो कार्य हो सकता है वह यह है राजनीतिज्ञ को आवाम को जिन्दा रखने के लिए उनकी समस्याएं हल करने के लिए मेज़ पर बैठकर फैसला लें। यह इतनी बड़ी मांग नहीं, कि इसको पूरा नहीं किया जा सकता। जब आप 70 वर्षों में चार युद्ध लड़ सकते हैं, तो एक साथ बैठ कर एक मेज़ पर लोगों के लिए कोई चार कदम क्यों नहीं उठा सकते? क्यों चार बड़े फैसले नहीं ले सकते? क्यों हम सिर्फ सीमाओं के आर-पार लाशें ही उठाने के लिए रह गए हैं? 1947 में उप-महाद्वीप का विभाजन नहीं हुआ था। इस दुनिया पर सिर्फ और सिर्फ पंजाब की जरखेज धरती दो टुकड़े हो गई थी। एक पंजाब (पूर्वी) भारत को दिया गया था और एक पंजाब (पश्चिमी) पाकिस्तान के हिस्से आया था। दोनों पंजाबों में खून-खराबा हुआ, आर्थिक नुक्सान हुआ, लाखों घर बर्बाद हो गए, लाखों पंजाबियों ने अपनी जानें गंवाई। परन्तु अब ज़िंदगी पुन: हम सभी पंजाबियों का इंतज़ार कर रही है। ज़िंदगी का वह द्वार जिसको हम और आप दूर से दूरबीन से आंखों में आंसू लाकर देखते थे। गत 9 नवम्बर को वह मोहब्बत और सांझ का द्वार खुल गया है, जिंदगी का द्वार खुल गया है, नई नस्ल की तरक्की का द्वार खुल गया है। अब हम और आप मिलकर पूरी दुनिया के गुरु बाबा नानक देव जी के द्वार को चूम सकते हैं, माथा टेक सकते हैं। उस आज़ाद फिज़ा में सांस ले सकते हैं, जिसमें सिर्फ और सिर्फ मोहब्बत की महक है, जो किसी को तोड़ती नहीं, अपितु जोड़ती है, जो दिलों को सुकून पहुंचाती है। इस फिज़ा में नफरत की बू का नामोनिशान नहीं है। यह सभी के लिए है, पूरी दुनिया के लिए है। इतिहास ने 9 नवम्बर, 2019 का दिन देखा है, जब सीमाओं के आरपार 70 वर्षों के बाद पहली बार कोई इकट्ठ लाशें उठाने के लिए नहीं हुआ बल्कि दोनों तरफ ऐसा खुशी भरा इकट्ठ हुआ, जो एक-दूसरे को प्यार और मोहब्बत से गले लगा रहा था। बाबा के दरबार में सभी एक होकर हाज़िर थे। कोई किसी का दुश्मन नहीं था। सारे पंजाब के, एक धरती के बेटियां-बेटे मिलकर बैठे थे और सांझ तथा अमन से रहने की बात कर रहे थे। 9 नवम्बर को मोहब्बत का ऐसा द्वार खुला जो उम्मीद है कि कभी भी बंद नहीं होगा। इसी दिन 70 वर्षों की नफरत का जनाजा उठा, जिनको कंधा देने वाला कोई नहीं था और नफरत का वह कुआं जो पंजाब की लाखों युवतियों का कब्रिस्तान बन गया था, उसका स्थान बाबा गुरु नानक देव जी के कुएं ने ले लिया है और अब यह कुआं सभी को ज़िंदगी बाटेंगा। हर मज़हब से संबंध रखने वाला इन्सान प्यास बुझायेगा। बाबा गुरु नानक का लंगर हर मज़हब से संबंध रखने वाले इन्सान की भूख मिटायेगा।हम आपको यहां ताज़ा जानकारी देते चलें कि आज हम और आप जो करतारपुर गलियारा देख कर खुश हो रहे हैं, वह सिर्फ प्रथम चरण है, अभी दूसरा चरण शुरू होना है। प्रथम चरण में सिर्फ 42 एकड़ में निर्माण कार्य सम्पूर्ण किया गया है। पाक सरकार ने गुरु घर के लिए 444 एकड़ भूमि रखने का फैसला किया है। दूसरा चरण सम्पूर्ण होने के बाद 10,000 यात्री गुरुद्वारा में रह सकेंगे। गुरुद्वारा के लिए बाग 28 एकड़ में बनाया जायेगा। पाकिस्तान ने गुरुद्वारा को बाढ़ से सुरक्षित रखने के लिए भी योजना बनाई है। सीमांत टर्मिनल पर सभी काऊंटरों का कार्य भी सम्पूर्ण हो चुका है। सिख यात्रियों के लंगर के लिए 40 एकड़ भूमि रखी गई है, जिस पर सब्ज़ियां लगाई जाएंगी और बड़ा लंगर हाल भी बनाया जा रहा है, जिसमें एक ही बार 25,000 श्रद्धालु एक साथ बैठकर लंगर का सेवन कर सकते हैं। प्रधानमंत्री इमरान खान ने बाबा नानक के प्रकाश पर्व से पहले निश्चित समय के भीतर करतारपुर गलियारे के निर्माण का कार्य पूरा करने के लिए अपने मंत्रिमंडल और समूचे देश को बधाई दी है।
आप यह भी सोचते होंगे कि आजकल पाकिस्तान की राजधानी इस्लामाबाद में विपक्ष से संबंधित राजनीतिक पार्टियां विरोध प्रदर्शन कर रही हैं परन्तु आपको परेशान होने की कोई ज़रूरत नहीं। हां, इस विरोध प्रदर्शन के हवाले से एक बात आपको बताने वाली अवश्य है, क्योंकि इस बात का संबंध करतारपुर गलियारे से हैं। मौलाना फज़ल-उर-रहमान तथा मुस्लिम लीग और उन जैसे कई अन्य लोगों ने करतारपुर गलियारे को लेकर अपने-अपने विचारों को प्रकट किया है। भारत में भी काफी लोग या राजनीतिज्ञ अलग सोच रखते हैं। यहां हम आपके साथ सिर्फ एक बात सांझी करना चाहते हैं कि किसी की बुरी बात की तरफ ध्यान नहीं देना, बड़ी कुर्बानियों से और कई नस्लों के इंतज़ार के बाद एक गलियारा, एक रास्ता खुला है इसको हमने बंद नहीं होने देना।  एक सवाल का जवाब दें कि अल्लाह, गुरु या राम आप जिसको भी मानते हैं, क्या उनके दरबार में किसी पासपोर्ट या वीज़ा देखा जायेगा? कोई पहचान-पत्र मांगा जायेगा? कोई  स्पॉन्सर पत्र देखा जायेगा? बिल्कुल नहीं, सच्चे दरबार में सिर्फ आदमी की भलाई, अच्छे अमल देखे जायेंगे।  बाबा गुरु नानक का द्वार और दरबार दोनों आपके लिए सज-संवर गए हैं और आपका इंतज़ार कर रहे हैं। उम्मीद है आप मोहब्बतें दिलों में लेकर मोहब्बत के द्वार पर आते रहेंगे। इस द्वार को कभी भी बंद नहीं होने देंगे। बल्कि अन्य दरवाज़े खोलने के लिए कोशिशें जारी रखेंगे। आंधी आए या तूफान आप करतारपुर गुरुद्वारा आएं और बाबा के आगे माथा टेकें। सभी के लिए अरदास करें और अरदास के बाद पाकिस्तानियों को अपने पंजाबियों को गले से लगाएं, प्यार बढ़ाएं, 70 वर्ष की नफरत मिटाएं और हमें मोहब्बत में पहल करने पर शाबाश भी अवश्य दें। अब मुलाकात का सिलसिला नहीं टूटना चाहिए। बातचीत का सिलसिला नहीं टूटना चाहिए, बल्कि यह कहना चाहिए कि अब समय आया है बात करने का और आगे बढ़ने का। सरकारों को अपनी आवाज़ सुनाने का अब गेंद आपके पाले में हैं, पाकिस्तान ने अपना कार्य कर दिया है। बाबा का दरबार सजा दिया है। अब इस दरबार को आबाद रखना आपका कार्य है और हमें विश्वास है कि आप हर किस्म की समस्याओं का हिम्मत से सामना करते हुए अपने कदम आगे की ओर उठायेंगे। बाबा के दरबार को पीठ नहीं दिखायेंगे।