पावरकॉम ने माना कम हुई लघु औद्योगिक इकाइयों में बिजली की खपत  

जालन्धर, 19 जनवरी (शिव शर्मा): पंजाब में जी.एस.टी. की वसूली घटने से चिंता पाई जा रही है जबकि अब इसकी वसूली घटने के कारण ही धीरे-धीरे सामने आ रहे हैं कि राज्य में कुछ समय तो लघु औद्योगिक इकाइयों में बिजली की खपत कम है जिस करके इसके साथ सरकार को बाकी मिलते टैक्सों में भी कमी का सामना करना पड़ रहा है। लघु औद्योगिक इकाइयों में बिजली खपत घटने बारे तो पावरकॉम ने आप भी माना है। पावरकॉम द्वारा मौजूदा वर्ष 2020-21 के लिए बिजली की बढ़ाई जाने वाली दरों बारे जो पटीशन पंजाब बिजली अथारिटी कमिशन के पास दाखिल की है, उसमें पावरकॉम द्वारा सभी वर्गों की बिजली खपत बारे जिक्र किया जाता है। पटीशन मुताबिक पावरकॉम ने कहा है कि वर्ष 2018-19 में लघु औद्योगिक इकाइयों में बिजली की खपत 1042 मैगावाट थी जबकि वर्ष 2019-20 में इसकी खपत घट कर करीब 940 मैगावाट रह गई है। पावरकॉम के आंकड़े दर्शाते हैं कि राज्य में लघु औद्योगिक इकाइयों में यदि बिजली की खपत घटी है, इससे यह भी सामने आ रहा है कि लघु औद्योगिक इकाइयों के बंद होने के अलावा अब उत्पादन भी काफी घटा है। जिन फैक्ट्रियों में काम करने की पहले दो-दो सिफ्टें चलती थी व अब वहां सिर्फ एक सिर्फ चल रही है। नोटबंदी के बाद तो लघु औद्योगिक इकाइयों का काम आज तक लाइन पर नहीं आ सका है जबकि हर वर्ष अतिरिक्त बिजली होने के बावजूद महंगी बिजली होने करके लघु औद्योगिक इकाइयों की कमर टूटी हुई है। पावरकॉम ने जो 5 रुपए बिजली देने की दरें लागू की थीं जबकि फिक्स चार्जिज़ लगने करके यह बिजली लघु औद्योगिक इकाइयों को 5 रुपए वाली बिजली 9 से 10 रुपए प्रति यूनिट पड़ रही है। बढ़िया औद्योगिक इकाइयों को ज्यादा खपत होने करके बिजली कुछ सस्ती मिलती है जबकि लघु औद्योगिक इकाइयों का बजट काफी बढ़ गया है। अब वर्ष 2020-21 के लिए बिजली महंगी करने बारे कमिशन ने खपतकारों व उद्योगपतियों के सुझाव पर इतराज़ सुनने के लिए 23 जनवरी से 4 फरवरी तक बैठक करनी है जिनमें 23 को बठिंडा, 24 को पटियाला, जालन्धर में 28 व चंडीगढ़ में 3 व 4 फरवरी को खपतकारों संगठनों के साथ बैठकें हुई हैं।