अखबार को लोकतंत्र का चौथा खम्भा क्यों कहते हैं ?

‘दीदी, आज पापा एक अंकल से बहस करते हुए अखबार को लोकतंत्र का चौथा खम्भा कह रहे थे, इसका क्या मतलब है?’ ‘देखो लोकतंत्र या जम्हूरियत के चार प्रमुख आधार होते हैं या यूं कहो इन्हीं चार संस्थाओं की बदौलत लोकतंत्र संभव हो पाता है। इन चार आधारों में तीन हैं-कार्यपालिका, विधायिका, न्यायपालिका और मीडिया जिसका एक रूप अखबार भी है। इसलिए अखबार को लोकतंत्र का चौथा खम्भा भी कहते हैं।’ ‘दीदी क्या हमेशा से सुबह सुबह अखबार घर आता था?’ ‘नहीं, दुनिया का पहला दैनिक अखबार 7 मार्च, 1772 को लंदन से प्रकाशित हुआ जिसका नाम था मानर्गिं पोस्ट’। ‘क्या यह पहला दैनिक अखबार भी आज के अखबारों जैसा ही था?’ ‘यह 13 इंच लंबे तथा 7 इंच चौड़े कागज पर सिर्फ एक ही तरफ छपता था। इसके पिछले हिस्से पर हमेशा किसी सुंदर युवती या चर्चित महापुरुष का चित्र छपता था।’ ‘दीदी, क्या हमेशा से कागज पर ही अखबार छपते रहे हैं?’ ‘प्राचीन रोम में ‘अक्ता-डिडर्ना’ नाम का एक अखबार छपता था जो कागज पर नहीं बल्कि लकड़ी की बिल्कुल पतली शीट पर हाथों से लिखकर तैयार किया जाता था। यह दुनिया का अब तक का सबसे महंगा और दुर्लभ अखबार था।’

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