शीघ्र तैयार होगी अटल सुरंग 

पड़ोसी देश चीन के साथ चल रही तनातनी के बीच सामरिक दृष्टि से महत्वपूर्ण मनाली-लेह को जोड़ती अटल सुरंग के 31 अगस्त तक पूरी तरह से बनकर तैयार होने की संभावना है। प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी इस सुरंग का उद्घाटन सितम्बर में कर सकते हैं। इस सुरंग के बनने से लेह तक पहुंचने के लिए सेना को आसानी होगी और लाहौल घाटी भी शेष विश्व से 12 महीने जुड़ी रहेगी। चीन के साथ चल रही तनातनी के बीच मुख्यमंत्री जयराम ठाकुर अचानक अटल सुरंग का निरीक्षण करने पहुंच गए तथा सुरंग निर्माण की पूरी जानकारी हासिल की। 
अटल सुरंग का निर्माण सीमा सड़क संगठन (बीआरओ) कर रही है।  इससे मनाली और लेह की दूरी भी 46 किलोमीटर कम हो जाएगी, जिसका फायदा सेना के साथ-साथ स्थानीय लोगों को भी होगा। इससे पहले ठंड के मौसम में इन क्षेत्रों का संपर्क देश के अन्य भागों से छह महीने तक पूरी तरह खत्म हो जाता था। रक्षा मंत्रालय के अनुसार अटल सुरंग 8.8 किलोमीटर लम्बी है। यह करीब 3000 मीटर की ऊंचाई पर बनायी गयी विश्व की सबसे लंबी सुरंग है। रोहतांग दर्रे के नीचे रणनीतिक महत्व की इस सुरंग को बनाए जाने हेतु निर्णय तत्कालीन प्रधानमंत्री स्वर्गीय अटल बिहारी वाजपेयी ने साल 2003 में  इसका शिलान्यास किया था।  
भारी पड़ सकता है सीमाओं को खोलना
कोरोना के बढ़ते मामलों के बीच हिमाचल की सीमाओं को खोलने का फैसला कहीं प्रदेश वासियों की सेहत पर भारी न पड़ जाए। सरकार ने प्रदेश में प्रवेश के लिए जहां पास देने में ढील दे दी है, वहीं पयर्टन क्षेत्र को भी शर्तों के साथ खोल दिया है। देश के साथ-साथ हिमाचल में भी कोरोना के मामले तेजी के साथ बढ़ रहे हैं। इस बीच प्रदेश सरकार ने बाहरी राज्यों से हिमाचल आने वालों के लिए ई-पास की व्यवस्था खत्म कर दी है। लोगों को अब पोर्टल या प्रवेश द्वारों पर पंजीकरण करवाना होगा। लोग निजी वाहनों से भी हिमाचल में आवाजाही कर सकते हैं। साथ ही सैलानी होटल में एडवांस बुकिंग करवा कर हिमाचल आ सकते हैं। सैलानियों को कम से कम 5 दिन तक प्रदेश के होटलों में ठहरना अनिवार्य होगा। सरकार के इस निर्णय से प्रदेश के लोगों में अब भय का माहौल उत्पन्न हो गया है। यहां यह भी गौर करना आवश्यक है कि प्रदेश में कोरोना संक्रमण दूसरे राज्यों से वापस आए व्यक्तियों के कारण अधिक फैला है। हालांकि प्रदेश में कोरोना संक्रमितों के ठीक होने की दर करीब 65 फीसदी है, जो देश में सबसे अधिक है। लेकिन अन्य राज्यों में कोरोना अधिक तेजी से फैल रहा है। 
मुख्यमंत्री जयराम ठाकुर का संकोच  
मुख्यमंत्री जयराम ठाकुर को अपने निजी अमले में तैनात अधिकारियों को स्थायी तौर पर नियुक्ति देने में गुरेज है। जयराम ठाकुर जब से सत्ता में आए हैं, वह लगातार अपना निजी स्टॉफ तक बदलते रहे हैं। उन्होंने अपने प्रधान सचिव से लेकर प्रधान निजी सचिव व सुरक्षा अधिकारी सुशील कुमार को बदला है। इससे पहले प्रधान निजी सचिव विनय सिंह के स्थान पर आरएन बत्ता को निजी सचिव बनाया गया। जब से जयराम ठाकुर मुख्यमंत्री बने हैं, अब तक कई अधिकारियों को प्रधान सचिव बना चुके हैं। पहले मनीषा नंदा को मुख्यमंत्री का प्रधान सचिव बनाया गया। उसके बाद श्रीकांत बाल्दी को प्रधान सचिव बनाया। बाल्दी के पदोन्नत होने पर संजय कुंडू को प्रधान निजी सचिव बनाया गया। कुंडू के डीजीपी बनने के बाद अब जेसी शर्मा को प्रधान सचिव बनाया गया। जयराम ठाकुर ने ऐसा कर पूर्व की परम्परा को तोड़ा है। पूर्व के मुख्यमंत्री चाहे वीरभद्र सिंह हों या फिर प्रो. प्रेम कुमार धूमल, सभी के निजी स्टॉफ लगभग परमानेंट होते थे। यहां तक कि सेवानिवृति के बाद भी अपने निजी स्टॉफ को वे सेवा विस्तार देते थे। 
कांग्रेस में मचा अंदरूनी घमासान जारी
हिमाचल प्रदेश में मुख्य विपक्षी दल कांग्रेस में मचा अंदरूनी घमासान अब सार्वजनिक हो गया है। प्रदेश कांग्रेस अध्यक्ष कुलदीप सिंह राठौर द्वारा 12 नेताओं को कारण बताओ नोटिस थमाने ने इस घमासान में आग में घी डालने का काम किया है। इसके बाद पार्टी के दोनों खेमों की ओर से सार्वजनिक ब्यानबाजी शुरू हो गई है। पार्टी के दो पूर्व अध्यक्षों सुखविंद्र सिंह सुक्खू तथा कौल सिंह ठाकुर ने नोटिस देने पर सवाल उठाए तथा कहा कि पी.सी.सी. सदस्य को पार्टी प्रदेशाध्यक्ष द्वारा शो-कॉज नोटिस जारी नहीं किए जा सकते हैं। पार्टी के संविधान के अनुसार यह अधिकार केवल पार्टी के प्रदेश प्रभारी और केंद्रीय अनुशासन कमेटी को है। ऐसे में जारी शो-कॉज नोटिस को अवैध माना जाएगा।  पदाधिकारियों को नोटिस का जवाब देने की आवश्यकता नहीं है।  इसके अगले ही दिन प्रदेश कांग्रेस कमेटी ने संविधान की प्रति मीडिया को जारी कर दी तथा कांग्रेस प्रदेशाध्यक्ष के राजनीतिक सचिव ने स्पष्ट किया  कि कांग्रेस के संविधान अनुसार कांग्रेस प्रदेशाध्यक्ष को पूरा अधिकार है कि वह किसी भी प्रदेश स्तर के पार्टी पदाधिकारी  को अनुशासनहीनता के लिए नोटिस जारी कर सकते हैं। उन्होंने सुखविंद्र सिंह सुक्खू को याद दिलाते हुए कहा कि उनके कार्यकाल में लगभग 180 पदाधिकारियों को निष्कासित किया गया था। इसके साथ ही कांग्रेस के पूर्व विधायक एवं पार्टी के वरिष्ठ नेता पूर्व मंत्री रंगीला राम राव व पूर्व मुख्य ससंदीय सचिव  टेक चंद डोगरा भी राठौर के पक्ष में इस घमासान में कूद गए हैं। अब आने वाला समय ही बताएगा कि इस लड़ाई से आला कमान किस तरह से निपटती है।