इस बार बदला होगा विधानसभा का नज़ारा

इस बार हरियाणा विधानसभा अधिवेशन का स्वरूप बिल्कुल बदला हुआ नज़र आएगा। प्रदेश विधानसभा का मॉनसून सत्र 4 सितम्बर से पहले बुलाया जाना है यानि 3 सितम्बर तक सत्र हर हाल में बुला लिया जाएगा। देश में कोरोना संक्रमण के चलते सोशल डिस्टेंसिंग कायम रखने के लिए विधानसभा के अंदर विधायकों के बैठने की नए सिरे से व्यवस्था की जा रही है। विधानसभा में स्पीकर गैलरी व दर्शक दीर्घा को हटाकर विधायकों के बैठने की व्यवस्था इस हिसाब से की जा रही है, ताकि विधानसभा के अंदर सीटों को इस तरह से तैयार किया जा सके कि सदन में सोशल डिस्टेंसिंग कायम रखी जा सके। विपक्षी दलों विशेषकर कांग्रेस ने विधानसभा में सरकार को घेरने के लिए अभी से तैयारियां शुरू कर दी हैं। नेता प्रतिपक्ष व पूर्व सीएम भूपेन्द्र हुड्डा ने शराब घोटाले, धान घोटाले, रजिस्ट्री घोटाले के साथ कर्मचारियों के मुद्दे पर सरकार को विधानसभा में घेरने का ऐलान किया है। उनका यह भी कहना है कि नौकरी से निकाले गए 1983 जेबीटी अध्यापकों को लेकर उनकी पार्टी विधानसभा में प्राइवेट बिल लेकर आएगी, ताकि पीटीआई अध्यापकों की नौकरी बचाई जा सके। दूसरी तरफ विधानसभा में इनेलो के एकमात्र विधायक अभय सिंह चौटाला हैं, और वह भी सरकार को घेरने के लिए हर संभव प्रयास करेंगे। मेहम से निर्दलीय विधायक बलराज कुंडू भी आजकल सरकार से  नाराज़ चल रहे हैं। 
आईएएस में टॉपर हरियाणवी छोरा
हरियाणा के सोनीपत जिले के गांव तेवरी के ग्रामीण अंचल में रहने वाले एक किसान सुखबीर सिंह मलिक के बेटे प्रदीप मलिक ने (यूपीएससी) आईएएस की परीक्षा में टॉप करके पूरे देश में हरियाणा का परचम लहराने का काम किया है। प्रदीप के पिता एक आम किसान व गांव के पूर्व सरपंच हैं। प्रदीप ने पहले भी यूपीएससी की परीक्षा पास की थी और वह 2018 के बैच में आईआरएस सेवा के लिए चुना गया था और इन दिनों वह आईआरएस की टे्रनिंग ले रहा था, लेकिन उसके मन में आईएएस बनने का ऐसा जुनून था कि वह इसके लिए पूरी लगन से लगा रहा और अब टॉपर बनकर अपना सपना पूरा किया। प्रदीप ने अपनी शुरुआती स्कूली पढ़ाई सोनीपत के एक स्कूल से हासिल की और उसके बाद कम्प्यूटर साईंस में इंजीनियरिंग की डिग्री हासिल की। उसके बाद आईएएस बनने के प्रयास में जुट गया और आखिरकार कामयाब भी रहा। वैसे तो हरियाणा ने औद्योगिक क्षेत्र में अपनी विशेष पहचान बनाई है और कार उत्पादन से लेकर मोटरसाइकिल व ट्रैक्टर उत्पादन में विशेष जगह बनाई है। खेलों में भी सबसे ज्यादा पदक जीतने व सेना में शामिल होकर देश की रक्षा करने के लिए हरियाणा जाना जाता रहा है लेकिन प्रदीप मलिक ने अब यू.पी. एस.सी. में भी प्रदेश का नाम ऊंचा किया है।
बरोदा उपचुनाव के लिए अभी से गर्माया सियासी मैदान
बरोदा विधानसभा उपचुनाव के लिए अभी से सियासी मैदान गर्मा गया है। भाजपा हर हाल में बरोदा उपचुनाव को जीतना चाहती है। पार्टी ने पहले करनाल के सांसद संजय भाटिया को बरोदा उपचुनाव के लिए प्रभारी नियुक्त किया था। बरोदा पूरी तरह से ग्रामीण विधानसभा क्षेत्र है और इस सीट पर सबसे ज्यादा जाट मतदाता हैं। इसी नजरिए को देखते हुए अब पार्टी ने संजय भाटिया की जगह हरियाणा के कृषि मंत्री जय प्रकाश दलाल को बरोदा सीट के लिए प्रभारी बना दिया है। भाजपा के सभी छोटे बड़े नेता इन दिनों लगातार बरोदा में सक्रिय नज़र आ रहे हैं। मुख्यमंत्री भी बरोदा हल्के में कई बार देखे गए हैं। बरोदा विधानसभा उपचुनाव का महत्व इस बात से भी लगाया जा सकता है कि मुख्यमंत्री ने पिछले दिनों बरोदा विधानसभा क्षेत्र में 2 सरकारी कॉलेज खोलने का ऐलान भी किया है। सभी अधिकारियों को  प्राथमिकता के आधार पर बरोदा हलके के विकास कार्यों को गति देने बारे कहा गया है। 
बरोदा सीट पूर्व मुख्यमंत्री व नेता प्रतिपक्ष भूपेन्द्र सिंह हुड्डा के विधानसभा क्षेत्र के साथ लगती सीट है और इस सीट पर भूपेन्द्र हुड्डा का पूरा प्रभाव माना जाता है। जब तक बरोदा सीट आरक्षित थी, तब तक लगातार 7 बार चौधरी देवी लाल परिवार की ओर से चुनाव लड़ने वाले उम्मीदवार विजयी होते रहे हैं। इस सीट के सामान्य होने के बाद लगातार 3 बार कांग्रेस की ओर से दिवंगत विधायक श्रीकृष्ण हुड्डा ने चुनाव जीता था। श्रीकृष्ण हुड्डा के निधन से ही यह सीट खाली हुई है और इस सीट से नेता प्रतिपक्ष भूपेन्द्र हुड्डा की निजी प्रतिष्ठा जुड़ी हुई है। इनेलो भी इस उप-चुनाव के माध्यम से अपनी वापसी करना और राजनीति में खोया मुकाम हासिल करने के लिए प्रयासरत है। 
कर्मचारियों की नाराज़गी
हरियाणा के विभिन्नि कर्मचारी संगठन इन दिनों सरकार से नाराज़ हैं और कोरोना संक्रमण के खतरे के बावजूद  सड़कों पर आकर आन्दोलन कर रहे हैं। प्रदेश के कर्मचारी संगठनों का आरोप है कि सरकार उनकी मांगों की लगातार अनदेखी कर रही है। प्रदेश की आशा वर्कर पिछले कुछ दिनों से निरंतर धरना प्रदर्शन कर विरोध जता रही हैं। इसके अलावा 1983 पीटीआई शिक्षकों को नौकरी से निकाले जाने को लेकर भी कर्मचारी संगठनों में नाराज़गी है। कर्मचारी संगठनों में नाराज़गी की एक मुख्य वजह यह भी है कि सरकार भाजपा से जुड़े कर्मचारी संगठनों के नेताओं को स्थापित करने के प्रयास में प्रदेश के मुख्य कर्मचारी संगठनों की अनदेखी कर रही है। 
अब प्रदेश के मुख्य कर्मचारी संगठन सर्व कर्मचारी संघ और उस से जुड़े हुए विभिन्न संगठनों ने 14 अगस्त को जेल भरो आन्दोलन शुरू करने का ऐलान किया है। उनका कहना है कि सरकार निकाले गए 1983 पीटीआई शिक्षकों के स्थान पर नई भर्ती करने के लिए 23 अगस्त को जो टैस्ट करने जा रही है, उसे रद्द किया जाए और कोई ऐसा कानून बनाया जाए, जिससे 1983 पीटीआई शिक्षकों की नौकरियां बची रह सकें। उनका यह भी कहना है कि पीटीआई शिक्षक अपने परिवारों के साथ सामूहिक गिरफ्तारियां देंगे और विभिन्न कर्मचारी संगठन इस आन्दोलन में उन्हें सहयोग करेंगे। इससे पहले विभिन्न कर्मचारी संगठनों ने भारत छोड़ो आन्दोलन की वर्षगांठ पर सत्याग्रह आन्दोलन चलाया था और इसमें अनेक कर्मचारी संगठनों से जुड़े हुए नेताओं ने खुलकर हिस्सा लिया था। कर्मचारी संगठनों ने तबादलों का भी विरोध किया है। उनका कहना है कि भाजपा सरकार कोरोना काल में कर्मचारियों, श्रमिकों व किसानों के हितों को कुचलने में लगी हुई है। 
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