कैप्टन अमरेन्द्र सिंह ने स्पष्टता से पेश किया पंजाब के पानी का मामला

हांलांकि शुरुआती दौर में कैप्टन अमरेन्द्र सिंह तथा उनके साथियों ने दोनों राज्यसभा सदस्यों और पंजाब कांग्रेस के पूर्व अध्यक्षों प्रताप सिंह बाजवा तथा शमशेर सिंह दूलो की ओर से उनके विरुद्ध शुरू  की गई मुहिम को न सिर्फ वास्तव में दृष्टिविगत ही किया था बल्कि उसका मज़ाक भी उड़ाया था। जब प्रताप सिंह बाजवा ने पंजाब के भिन्न-भिन्न मामलों पर कैप्टन को सुझाव देने वाले पत्र लिखने शुरू किये तो कैप्टन ने यह कह कर बात उड़ा दी कि मुझे नहीं पता कि प्रताप सिंह बाजवा द्वारा लिखा पत्र कहां जाता है? 
फिर जब बाजवा ने कैप्टन के खासम-खास एडवोकेट जनरल को अयोग्य करार देते हुए उदाहरणों सहित पत्र लिख कर उसे हटाने के लिए कहा तो कैप्टन ने बाजवा पर हमला करते हुए कहा कि बाजवा, मेरी सरकार के कामकाज से दूर रहें। मुझे एडवोकेट  जनरल अतुल नंदा पर पूर्ण विश्वास है। हालांकि उस समय कैप्टन के एक और बहुत खास अधिकारी की भी ए.जी. के साथ नाराज़गी की चर्चा चली थी और यह भी चर्चा थी कि ए.जी. अतुल नंदा ने इस्तीफा भेज दिया है परन्तु फिर ए.जी. ने बयान देकर स्पष्ट किया कि वह इस्तीफा नहीं देंगे। वर्णनीय है कि एक समय पंजाब कांग्रेस के अध्यक्ष सुनील जाखड़ ने भी अतुल नंदा की कारगुजारी पर प्रश्न खड़े किये थे। उस समय यह चर्चा भी सुनाई दी थी कि जाखड़ तथा नवजोत सिंह सिद्धू में नज़दीकियां बन रही हैं। परन्तु पंजाब में पकड़ी गईं नकली शराब की फैक्टरियों के मामले में कांग्रेसी विधायकों पर लगते आरोपों के बाद ज़हरीली शराब से हुई मौतों के मामले में जिस तरह का स्टैंड बाजवा  तथा दूलो ने लिया, उसने कैप्टन खेमे को एक बार चिन्ता में  अवश्य डाल दिया है। 
जो मुख्यमंत्री बाजवा को नज़रअंदाज़ कर रहा था, उसे तल्खी में बाजवा की सुरक्षा हटाने का एक्शन लेना पड़ा। परन्तु बात यहां ही नहीं रुकी अब पंजाब कांग्रेस की ओर से दूलो तथा बाजवा के घरों का घेराव करने हेतु जत्थे भेजे जा रहे हैं। जत्थे का नेतृत्व कर रहे एक नेता ने स्पष्ट कहा कि  कांग्रेस पार्टी द्वारा हलका वार ड्यूटियां लगाई गई हैं कि उनके (दूलो तथा बाजवा) को जा कर कहा जाए कि वे पार्टी विरोधी बयानबाजी बंद करें। वैसे समाचार पत्रों में समाचार थे कि पहले दिन दूलो का घर घेरने गए कांग्रेसी नेताओं को दूलो ने लाजवाब करके भेजा। वह घर से बाहर आकर प्रदर्शनकारियों से मिले और कहा कि हम कांग्रेस तथा पंजाब को बचाने की लड़ाई लड़ रहे हैं और कैप्टन शराब माफिया को बचाना चाहते हैं। 
अब चाहे कैप्टन लोकसभा सदस्य तथा स्वर्गीय मुख्यमंत्री बेअंत सिंह के पोत्र के घुटनों में पीड़ा के कारण उनका हाल पूछने ही उसके घर गए थे, परन्तु राजनीतिक हलके इसे भी बाजवा-दूलो द्वारा चलाई मुहिम के  साथ जोड़कर ही देख रहे हैं। शमशेर सिंह दूलो के अनुसार कैप्टन 29 वर्ष में कभी भी बेअंत सिंह की बरसी में शामिल होने नहीं आए। उनके पास अपने विधायकों से मिलने का समय भी नहीं परन्तु अब बिट्टू के घर उसका हाल पूछने जाना अपनी कहानी आप ही कह रहा है। 
कहीं हाईकमान का कोई संकेत तो नहीं?
जितने लम्बे समय से बाजवा तथा दूलो खुल कर कैप्टन के खिलाफ मुहिम चला रहे हैं और कांग्रेसी हाईकमान द्वारा उनको इससे रोकने हेतु कुछ न किया जाना लोगों में एक नयी चर्चा को जन्म दे रहा है कि क्या इसके पीछे कांग्रेस हाईकमान में से ही किसी का दूलो तथा बाजवा को कोई संकेत तो नहीं? हालांकि ऐसा लगता नहीं पर चर्चा तो चर्चा है। यहां वर्णनीय है कि पहले दूलो तथा बाजवा के विरोध की कोई परवाह नहीं की जाती थी परन्तु अब कैप्टन के खास माने जाते मंत्री सुखजिन्दर सिंह रंधावा ने कांग्रेस की कार्यकारी अध्यक्ष सोनिया गांधी को पत्र लिख कर कहा है कि हाईकमान दूलो तथा बाजवा के मामले में हस्तक्षेप करे। 
नि:संदेह पहले तो हाई कमान राजस्थान सरकार बचाने में व्यस्त थी परन्तु वह मामला हल होने के बाद भी पंजाब कांग्रेस की लड़ाई में हस्तक्षेप न करना कई प्रश्न तो खड़े करता ही है। कुछ हलके यह भी कह रहे हैं कि कांग्रेस हाईकमान इसलिए चुप है कि इस लड़ाई में कैप्टन अमरेन्द्र सिंह अपने-आप को मज़बूत करने हेतु नवजोत सिद्धू के मामले में अपने पांव पीछे हटाने के लिए मजबूर हो जाएंगे  और हाईकमान सिद्धू को आसानी से पंजाब कांग्रेस का अध्यक्ष बना सकेगी। 
यहां एक और बात विशेष ध्यान मांगती है कि लगभग 7-8 महीने से कांग्रेस पूरी तरह नेतृत्व विहीन है। पंजाब कांग्रेस के अध्यक्ष के बिना कोई पदाधिकारी नहीं। सभी जिलाध्यक्ष भी हटाये हुए हैं। लगभग दो महीने पहले सुनील जाखड़ ने मुख्यमंत्री की सलाह से नये पदाधिकारियों तथा ज़िलाध्यक्षों की सूची स्वीकृति के लिए हाईकमान को भेजी थी, वह अभी तक जारी नहीं हुई। बाजवा के नज़दीकी हलके तो यह भी कहते हैं कि यह सूची उनके हस्तक्षेप के कारण रुकी हुई है। 
कांग्रेसी हलकों में यह भी चर्चा है कि बाजवा तथा दूलो द्वारा जिस ज़ोर से शराब माफिया पर हमला किया जा रहा है, उससे दूलो तथा बाजवा का कद ही नहीं बढ़ रहा, बल्कि इससे कांग्रेस हाईकमान उनके खिलाफ कोई कार्रवाई के लिए भी सौ बार सोचेगी, क्योंकि कांग्रेस हाईकमान ऐसा कोई प्रभाव नहीं दे सकती कि वह पार्टी में शराब तथा अन्य माफिया विरोधी नेताओं को पसंद नहीं करती। 
गांधी परिवार से बाहरी अध्यक्ष
दिल्ली के कांग्रेसी हलकों में यह आम चर्चा है कि अब सोनिया गांधी परिवार गंभीरता से विचार कर रहा है कि कांग्रेस को भाजपा के मुकाबले समर्थ बनाने के लिए पार्टी का राष्ट्रीय अध्यक्ष गांधी परिवार के वफादर परन्तु परिवार से बाहरी किसी व्यक्ति को बनाया जाए, क्योंकि कांग्रेस के लगभग 90 सांसदों में से अधिकतर राहुल गांधी को पुन: अध्यक्ष बनाए जाने के पक्ष में नहीं लगते। कांगे्रसी राज्यसभा सदस्यों की आनलाइन बैठक में उपस्थित 40 सदस्यों में से सिर्फ 7 ने ही राहुल गांधी को पुन: अध्यक्ष बनाने की मांग की, अन्य किसी ने समर्थन नहीं दिया, जबकि इससे पहले कांग्रेस के लगभग 50 लोकसभा सदस्यों की बैठक में सिर्फ 6 सांसदों ने ही राहुल गांधी को पुन: अध्यक्ष बनाए जाने की अपील की थी। 
पानी पर कैप्टन का स्टैंड
नि:संदेह कैप्टन अमरेन्द्र सिंह ने केन्द्रीय मंत्री गजेन्द्र सिंह शेखावत के साथ वीडियो कांफ्रेंस में अपनी बात पूरे साहस तथा तर्क के साथ उठाई है। उन्होंने कहा है कि पंजाब व हरियाणा का विभाजन 60:40 के अनुपात से हुआ परन्तु पंजाब के पास 105 लाख एकड़ ज़मीन के लिए 12.42 एम.ए.एफ. पानी है जबकि हरियाणा के पास 88 लाख एकड़ ज़मीन के लिए 12.48 एम.ए.एफ. पानी है। उनकी यमुना के पानी के बांट वाले पानी में शामिल करने की बात भी तर्कपूर्ण है। 
चीन द्वारा बनाए जा रहे डैमों में पंजाब में पानी कम होने के आसार भी सच्चे हैं। कैप्टन की ओर से केन्द्रीय मंत्री को स्पष्ट रूप में यह कहने की प्रशंसा करनी बनती है कि पंजाब के पास इस समय किसी भी राज्य को देने के लिए अतिरिक्त पानी उपलब्ध नहीं। दरियाओं के पानी की वास्तविक मात्रा जानने के लिए नये ट्रिब्यूनल के गठन की बात भी तर्कसंगत है परन्तु किसी ट्रिब्यूनल, अदालत या केन्द्र सरकार से पंजाब के साथ न्याय की उम्मीद करना भ्रम में रहने के समान है।  नि:संदेह कैप्टन की यह बात भी ठीक है कि एस.वाई.एल. बनने से राष्ट्रीय सुरक्षा के लिए खतरा पैदा हो सकता है। परन्तु उनको याद रखना चाहिए कि वर्तमान केन्द्र सरकार अल्पसंखयकों के विरोध की कोई अधिक परवाह नहीं करती। इसलिए आवश्यक है कि कैप्टन अमरेन्द्र सिंह पानियों के समझौते रद्द करने जैसी या उससे कुछ अधिक साहस एक  बार फिर दिखाएं और कानूनी राय लेकर पंजाब पुनर्गठन एक्ट की 78, 79 तथा 80 धाराएं रद्द करने का रास्ता ढूंढ कर पंजाब के पानियों तथा डैमों का अधिकार वापस लें, ताकि पंजाब के सिर पर लटक रही एस.वाई.एल. की तलवार भी हटाई जा सके और पंजाब अपनी आवश्यकताएं पूरी करने के बाद बचते पानी पर रायल्टी लेकर खुशहाल प्रदेश भी बन  सके। 
-1044, गुरु नानक स्ट्रीट, समराला रोड, खन्ना
मो: 92168-60000