अनेक रोगों की घरेलू दवा त्रिफला

त्रिफला शरीर में विटामिन सी की कमी से पैदा होने वाले रोगों में बहुत ही लाभप्रद है।  त्रिफला यकृत को शक्ति देता है और शरीर में लोहे की कमी को पूरा करता है। नया रक्त उत्पन्न करता है, यकृत में दर्द के विकारों को दूर करता है। त्रिफला खिलाते रहने से बच्चों के पेट के कीड़े मर जाते हैं। त्रिफला को किसी बंद बर्तन में जलाकर, राख को पीसकर छान लें। इस राख को दांतों मसूड़ों में मलते रहने से पीप व रक्त आने में आराम मिलता है। हिलते दांत मजबूत हो जाते हैं। मुंह से बदबू आनी बंद हो जाती है। आंवला व हरड़ को रसायन कहा गया है। त्रिफला में बूढ़ों को जवान बनाने के विशेष गुण हैं क्योंकि त्रिफला मनुष्य की ग्लैंडों, स्नायु, मस्तिष्क, यकृत, दिल और पाचन अंगों को ताकतवर बनाए रखता है। इसलिए त्रिफला को मधु के साथ खाने से रक्तवाहनियां कोमल और लचकीली हो जाती हैं।   पुराना सिरदर्द, सिर में गर्मी की अधिकता, हाई ब्लड प्रेशर, नाक से रक्त आना रुक जाता है। मस्तिष्क और स्नायु शक्तिशाली हो जाते हैं। इसके पानी से घावों को धोते रहने से वह जल्दी ठीक हो जाते हैं। त्रिफला पाचन अंगों को शक्तिशाली बनाता है। त्रिफला पुरानी कब्ज को दूर करता है। आमाशय और आंतड़ियों को शक्तिशाली बनाता है। भूख न लगना, पेट दर्द, पेट फूल जाना, पेट में वायु की अधिकता, आंत्रशोध भोजन न पचने के कारण सिरदर्द, दिल पर दबाव पड़ने पर दिल का अधिक धड़कना, गैस के कारण नींद न आना में बड़ा लाभकारी सिद्ध हुआ है। त्रिफला दिल को शक्ति देता है। दिल अधिक धड़कना, फड़फड़ाना, गर्मी में पैदा होने वाले दिल के रोग, दिल अधिक धड़कने में, रक्तवाहनियों का तंग हो जाना और उनमें लचक न रहना, में उत्तम उच्च कोटि की दवा है। इसके लगातार प्रयोग करने से दिल ताकतवर होजाता है। रक्तवाहिनियां नर्म व लचकीली होने के कारण मनुष्य बड़ी उम्र में चुस्त रहता है।  त्रिफला के प्रयोग से आंखों से पानी बहना, आंखों की लाली, खुजली, रात को कम दिखाई देना, दृष्टि की कमजोरी दूर हो जाती है। त्रिफला पुराने नजला-जुकाम, नाक में शोथ, नाक बंद हो जाना, सूंघने की शक्ति न रहना और नाक में बू आने की रामबाण सस्ती दवा है। 


(स्वास्थ्य दर्पण)