संकीर्ण राजनीति से ऊपर उठने की आवश्यकता

पंजाब में उत्पन्न हुये हालात को देखते हुये किसान संगठनों के साथ रेलवे लाइनों एवं स्टेशनों पर धरने हटाने के संबंध में लम्बा विचार-विमर्श करने के बाद दिल्ली में केन्द्रीय कानूनों के विरुद्ध धरना लगा कर मुख्यमंत्री कैप्टन अमरेन्द्र सिंह की सरकार एवं कांग्रेस पार्टी ने किसानों के साथ एकजुटता प्रकट करने का प्रयास किया है। दिल्ली के धरने में बोलते हुये मुख्यमंत्री ने घटित हो रहे इस सब कुछ के लिए केन्द्र सरकार को कटघरे में खड़ा किया एवं इसके साथ ही उन्होंने पंजाब के साथ किये जा रहे सौतेले व्यवहार की बात भी की है। उन्होंने इस बात का भी खुलासा किया कि पंजाब को इस समय कोयले, खाद एवं अन्य आवश्यक वस्तुओं की कमी का सामना है। बिजली संकट के बढ़ने से सभी वर्ग बुरी तरह प्रभावित होंगे। उन्होंने माल गाड़ियां चलाने के संबंध में भी गारंटी दी तथा कहा कि इस समय केवल दो रेलवे लाइनों पर ही किसान धरना दे रहे हैं। उन्होंने केन्द्र सरकार को पंजाब के साथ न्याय करने की अपील की। दूसरी ओर किसान संगठनों ने माल गाड़ियों को चलाने की छूट देने की घोषणा अवश्य की है, परन्तु इसके साथ ही यात्री गाड़ियां न चलने देने की चेतावनी भी दी है। इसके साथ ही दो निजी ताप घरों को कोयला भेजने पर रोक लगाये रखने की बात भी कुछ किसान संगठनों ने की है। भाजपा के नेता इस स्थिति के लिए पंजाब सरकार पर आरोप लगा रहे हैं कि उसकी ढीली-ढाली नीति के कारण ही महीने भर से गाड़ियां नहीं चलाई जा सकीं, जिससे कई प्रकार के संकट उत्पन्न हुए हैं। व्यापारियों एवं उद्योगपतियों का भी भारी नुकसान हो रहा है। रेलवे को भी अब तक लगभग 1200 करोड़ रुपये का घाटा हो चुका है। भाजपा नेता माल गाड़ियों के साथ-साथ यात्री गाड़ियां चलाने के लिए भी मुख्यमंत्री को गारंटी देने के लिए कह रहे हैं। प्रदेश की दो अन्य बड़ी पार्टियां अकाली दल (ब) तथा आम आदमी पार्टी के नेता इस मामले पर केन्द्र सरकार एवं भाजपा के साथ-साथ कैप्टन सरकार की भी आलोचना कर रहे हैं तथा उस पर आरोप लगा रहे हैं कि उसकी ओर से केन्द्र की मिलीभुगत से ड्रामेबाज़ी की जा रही है। परन्तु इस संबंध में अभी तक किसान संगठन अपने द्वारा शुरू किये गये आन्दोलन के प्रति एकजुटता अवश्य दिखा रहे हैं। ऑल इंडिया किसान संघर्ष कोआर्डीनेशन कमेटी की ओर से देश भर में  की गई ‘चक्का जाम’ की घोषणा को भी किसानों की ओर से भरपूर समर्थन प्राप्त हुआ है, परन्तु चक्का जाम का अधिक प्रभाव पंजाब एवं हरियाणा में ही देखा गया जिससे यह प्रभाव बनता है कि आगामी समय में इस आन्दोलन के और भी उग्र होने की सम्भावनाएं बन गई हैं। इस मामले पर केन्द्र सरकार का रवैया हठपूर्ण बना हुआ दिखाई देता है। इसी कारण केन्द्रीय रेल मंत्री पीयूष गोयल की दिल्ली में कांग्रेस के सांसदों के साथ बैठक भी किसी परिणाम तक नहीं पहुंच सकी। इससे प्रदेश के अन्य विपक्षी राजनीतिक दलों में भी तीव्र प्रतिक्रिया होने की सम्भावनाएं बन गई हैं, जिससे माहौल और भी कटु हो जाएगा। इस माहौल में प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी, केन्द्र सरकार एवं भारतीय जनता पार्टी की अधिक ज़िम्मेदारी बन जाती है। हालात यदि इस मुकाम पर पहुंच गये हैं तो उन्हें इसके हल के लिए यत्नशील होने की बहुत आवश्यकता है। समस्याओं का हल सभी पक्षों की ओर से आपसी बातचीत से ही निकाला जा सकता है। धारण किया गया ऐसा दृष्टिकोण एवं नीति ही हालात को ठीक करने में कारगर हो सकते हैं। ऐसा तभी सम्भव हो सकेगा यदि सभी पक्ष किसी भी प्रकार की राजनीति से ऊपर उठ कर सामने खड़ी समस्याओं को सम्बोधित होने का यत्न करें। 

—बरजिन्दर सिंह हमदर्द